जिन्हें सब कुछ समझ कर पूजते थे हम दिलो जान से पीछ

"जिन्हें सब कुछ समझ कर पूजते थे हम दिलो जान से पीछे बुराई कर रहे थे ओ मेरी बड़े जी जान से दीपक संग बाती बन जलने का था इरादा जहां मुंह मोड़ कर जाने लगे और कहने लगे तू कहां मैं कहां"

 जिन्हें सब कुछ समझ कर पूजते थे हम दिलो जान से

पीछे बुराई कर रहे थे ओ मेरी बड़े जी जान से

दीपक संग बाती बन जलने का था इरादा जहां




मुंह मोड़ कर जाने लगे और कहने लगे तू कहां मैं कहां

जिन्हें सब कुछ समझ कर पूजते थे हम दिलो जान से पीछे बुराई कर रहे थे ओ मेरी बड़े जी जान से दीपक संग बाती बन जलने का था इरादा जहां मुंह मोड़ कर जाने लगे और कहने लगे तू कहां मैं कहां

कृष्ण कुमार अग्रहरी सरल

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