मैं संभाल सकती हूँ तेरे पौरूष को,
तुम मेरा स्त्रीधन स्वीकार करोगे क्या...?
दसों दिशाओं को लगा दूँगी तेरे पीछे
मेरे गुरुड़ पे तुम अहंकार करोगे क्या..?
यूँ तो कोई नई बात नही तेरे ज़िन्दगी में खुशियों का
पर मेरे सफलता में तुम झंकार भरोगे क्या..?
भरोशा नही तोडूंगी ये वचन हैं मेरा
कोई जो कान भरे तेरी, उसे शर्मशार करोगे क्या..?
©मौसम मिश्रा
#umeedein
मैं संभाल सकती हूँ तेरे पौरूष को,
तुम मेरा स्त्रीधन स्वीकार करोगे क्या...?
दसों दिशाओं को लगा दूँगी तेरे पीछे
मेरे गुरुड़ पे तुम अहंकार करोगे क्या..?