तलाश खत्म होती नहीं सुकून की
हर लम्हा बेचैन हैं
होठों पर हँसी मगर फिर
रोते क्यूँ नैन हैं
यूँ तो सब हैं पास मेरे
खोया बस दिल का चैन हैं
कोई था जिससे ये सब खुशनुमा सा था
वही था जो था
अब ना वो कहाँ खो गया
वो था मेरा हर दिन रब की रज़ा
शाम हंसीन हैं
©writer....Nishu...
#तलाश और वो