कोशिश जारी है मग़र हालात सुधरते नही।
भटकते ढूंढते हरतरफ पर तुम मिलते नही।
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किस पर्देके पीछे छुपकर बैठे हो मेरे मौला।
कितनी आवाज़ लगाते है तुम सुनते नही।
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बहरूपियों ने रायते में रायता फेला रखा है।
चुप्पी साधे हो मौला क्यूँ कुछ कहते नही।
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मेरी नज़रे तुम्हारे दीदार को तड़प रही ।
तुम कैसे निष्ठुर हो मौला मिलने आते नही।
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चंचल मन चंचल की बाते कब समझता है।
तुम बोलो मौला तुम क्यों कुछ बोलते नही।
-चंchal©
#Dullness