White " वन्दगी "
कभी फूलों की सेज...
कभी काँटों का सफ़र...
अनुभूतियों की पाठशाला है जिंदगी।
बोलने से पहले तौल लिया करो....
कर्म करने से पहले सोंच लिया करो....
अंजाम देख कर कहीं हो ना शर्मिंदगी।
नहीं करती मैं....
पूजा/इबादत/प्रार्थना/गुरुवाणी।
सृष्टि के हर शै से करती हूँ प्यार....
मन/कर्म/वचनों से किसी को वेदना न देना ही है परमात्मा की वन्दगी।
(स्वरचित:अनामिका अर्श)
©अर्श
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