White कैसे करे कोई ऐसे लोगों पर यकीन....
जो जुबान पर शहद और दिल में ज़हर लिये फिरते हैं...
वक़्त के साथ बदल जाती है जिनकी फितरत।
मनुष्य की कलुषित दृष्टि ने ...
ऊंच/नीच ,अमीर/गरीब/खूबसूरत/बदसूरत का पैमाना बनाया....
किसी प्राणी में भेदभाव नहीं करती कुदरत।
इंसान को हैवान बना देती है..
हरियाली को बंजर....
पालने वाले का सर्वस्व जला देती है....
अजीब बला है ये नफ़रत।
न खरीदने से मिलती है....
न छीनने/हड़पने से या भीख में....
निष्काम कर्म व निस्वार्थ प्रेम से मिलती है इज्ज़त।
मंदिर/मस्जिद/गुरुद्वारा व चर्च में कैद नहीं है परमात्मा....
कर्मकांड का पाखंड/आडम्बर नहीं है धर्म...
रोते हुए को हंसाना है सबसे बड़ी इबादत।
(स्वरचित:अनामिका अर्श)
©अर्श
#sad_shayari