White रक्षक की छत्र छाया में ही भक्षक पलता है l
सत्ता का कारोबार है ये, ऐसे ही चलता है ll
तुम चाहे कितना ही मान लो किसी को अपना,
जिसको जहां मौका मिलता है वहीं छलता है l
तुम नहीं करोगे तो सौ लोग तैयार बैठे है,
मत सोचो कि तुमसे ही सारा काम चलता है l
पेड़, झरने, हवा, चांद, सूरज यही सिखाते है,
जो देना जानता है वही फूलता फलता है l
देश से मतलब, ना ही देश के विकास से,
मुफ़्त की रेवड़ियों के नाम पर वोट डलता है l
समय और हालात कभी भी एक से नही रहते,
समझदार वही है जो वक्त के अनुसार ढलता है ll
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June 2024
©Dimple Kumar
#रक्षक