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#सर्वशक्तिमान #नवरात्रि2024 #शक्तिशाली #स्कंदमाता #नवरात्रि #भक्ति  
 जिसकी पूजा नवरात्रि के ,पांचवें दिन होती है ।
जिसके समान  ,सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं है ।।

कमल आसन पर विराजती, सिंह जिनकी सवारी है।
  होंठों पर मृदुल मुस्कान , अदम्य साहसी नारी है ।।

माता पार्वती ने धारण , वो पांचवां रुप मां का किया ।
पुत्र स्कंद को शिक्षित करने हेतु , स्कंदमाता बनी ।।

तारकासुर के अत्याचारों से , जब जग त्रस्त हुआ ।
इंद्रादिक देवगण स्वर्ग छोड़े , उससे परास्त हुए ।।

उसे शिवपुत्र के हाथों वध का , उनको वरदान मिला था ।
तब शिवपुत्र के रूप में ,  अवतार स्कंद का हुआ ।।

उसी स्कंद को शिक्षित करने  हेतु आई स्कंदमाता ।
अति सौम्य,अति शक्तिशाली , अति दयालु माता है ।।

श्वेत वस्त्र, श्वेत भोग , स्कंदमाता को अति प्रिय है ।
 स्कंदमाता की नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा करें ।।

हर विपदा दूर होगी ,  हर मुश्किलें परास्त होगी ।
मां अपने भक्तों को सदा , आश्वस्त करती है ।।

©Shivkumar

#navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं

144 View

#भक्ति #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्

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#Motivational #nojohindi #kukku2004 #quaotes #shayri

जन-गण-मन-अधिनायक🇮🇳🇮🇳🇮🇳 #kukku2004 #nojohindi #Nojoto #quaotes #SAD #Love #shayri #Video #Poetry

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#समाज #Holi  होली आई होली आई कितना प्यारा रंग है लाई
हरा पिला लाल गुलाबी श्याम रंग भी ले आई
भीगी चुनरीया राधे की श्याम होली खेले हैं संग
भीगी चुनरीया राधे की हो गई श्यामा रंग।
श्याम होली खेलें है संग।
होली है।

©Surendra Kumar Kahar

#Holi @051df4c36a4@0b8ec6f8@02d73b1ae/sethi-ji" title="Sethi Ji">@Sethi Ji PФФJД ЦDΞSHI पथिक.. @Krishna G @Internet Jockey @036@03225b2a@0d9f84@0dfec5484f7ed6/ronak-khandelwal" title="Ronak Khandelwal">@Ronak Khandelwal @0 Deep Dhaliwal Moga @0e23a4fb/manoj-kumar" title="Manoj Kumar">@Manoj Kumar @Miss Shalini @0e2b2da44cce5@07e33e/pankaj-sharma" title="pankaj Sharma">@pankaj Sharma

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#सरस्वती #MeriMatiMeraDesh #कविता #हमारा #जमुना #संगम  Meri Mati Mera Desh मेरी माटी मेरा देश



 हमारा देश तो जैसे गंगा सागर सा है
इसकी माटी तो अति पावन है
देवों की भी यह मानस माता है 
ये धरती मां  बंधुत्व भाव ही दिखलाती है

गंगा , जमुना और सरस्वती जी
वो संगम तट पर बहती नित धारा है
सांझ सकरे सिंधु चरण पखारे
कश्मीर मुकुट सा लगता प्यारा है

 मेरी माटी मेरा देश अलग सभी से 
बोली भाषा और भिन्न यहां गण वेश
 ये प्रेम से भरा हुआ अनेकता मे एकता का है 
एकता मे अनेकता का ये संसार यहां है 

पानी से पत्थर तक सब पूजे जाते हैं
कण कण मे भी मेरे प्रभु समझे जाते हैं
यहीं से खुलता सतयुग का प्रवेश द्वार है 
ऋषि मुनियों का  अब भी बसता संसार है

मुझे मेरी माटी मेरे देश पर गर्व है
मुझे इसके विशेष होने पर गर्व  है 
अखिल विश्व को भी समझा सकता हूं
क्यों है प्यारी मेरी माटी मेरा देश

©Shivkumar

#MeriMatiMeraDesh #Nojoto #nojotohindi मेरी माटी मेरा देश

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#समाज #gururavidas  श्री कृष्‍ण का धृतराष्‍ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्‍त करना और धृतराष्‍ट्र का पाण्‍डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
{Bolo Ji Radhey Radhey}

महाभारत: स्‍त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्‍ण का धृतराष्‍ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्‍त करना और धृतराष्‍ट्र का पाण्‍डवों को हृदय से लगाना.

📙 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्‍तर सेवक-गण शौच-सम्‍बन्‍धी कार्य सम्‍पन्‍न कराने के लिय राजा धृतराष्‍ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्‍य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्‍त्रों का अध्‍ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है।

📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्‍यों कर रहे हैं ? भरतनन्‍दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्‍म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 

📙 कुरुनन्‍दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्‍डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्‍वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्‍याण का भागी होता है। 

📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्‍याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्‍दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्‍याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्‍यों मार डालना चाहते हैं?

📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्‍कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्‍णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्‍छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्‍मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्‍याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्‍डवों का परित्‍याग कर दिया था।

📙 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पाचनजी कहते हैं – नरेश्‍वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्‍ण ने सब सच्‍ची-सच्‍ची बातें कह डालीं, तब पृथ्‍वी पति धृतराष्‍ट्र ने देवकी नन्‍दन श्रीकृष्‍ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्‍नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था।

📙 श्रीकृष्‍ण! सौभग्‍य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्‍य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्‍त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्‍ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्‍यम पाण्‍डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्‍त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्‍तन पाण्‍डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है।

📙 तदनन्‍तर रोते हुए धृतराष्‍ट्र ने सुन्‍दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्‍हें सान्‍तवना देकर कहा – तुम्‍हारा कल्‍याण हो।

📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्‍तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्‍ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्‍डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्‍याय पूरा हुआ। N S Yadav ....

©N S Yadav GoldMine

#gururavidas श्री कृष्‍ण का धृतराष्‍ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्‍त करना और धृतराष्‍ट्र का पाण्‍डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝

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#सर्वशक्तिमान #नवरात्रि2024 #शक्तिशाली #स्कंदमाता #नवरात्रि #भक्ति  
 जिसकी पूजा नवरात्रि के ,पांचवें दिन होती है ।
जिसके समान  ,सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं है ।।

कमल आसन पर विराजती, सिंह जिनकी सवारी है।
  होंठों पर मृदुल मुस्कान , अदम्य साहसी नारी है ।।

माता पार्वती ने धारण , वो पांचवां रुप मां का किया ।
पुत्र स्कंद को शिक्षित करने हेतु , स्कंदमाता बनी ।।

तारकासुर के अत्याचारों से , जब जग त्रस्त हुआ ।
इंद्रादिक देवगण स्वर्ग छोड़े , उससे परास्त हुए ।।

उसे शिवपुत्र के हाथों वध का , उनको वरदान मिला था ।
तब शिवपुत्र के रूप में ,  अवतार स्कंद का हुआ ।।

उसी स्कंद को शिक्षित करने  हेतु आई स्कंदमाता ।
अति सौम्य,अति शक्तिशाली , अति दयालु माता है ।।

श्वेत वस्त्र, श्वेत भोग , स्कंदमाता को अति प्रिय है ।
 स्कंदमाता की नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा करें ।।

हर विपदा दूर होगी ,  हर मुश्किलें परास्त होगी ।
मां अपने भक्तों को सदा , आश्वस्त करती है ।।

©Shivkumar

#navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं

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#भक्ति #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्

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#Motivational #nojohindi #kukku2004 #quaotes #shayri

जन-गण-मन-अधिनायक🇮🇳🇮🇳🇮🇳 #kukku2004 #nojohindi #Nojoto #quaotes #SAD #Love #shayri #Video #Poetry

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#समाज #Holi  होली आई होली आई कितना प्यारा रंग है लाई
हरा पिला लाल गुलाबी श्याम रंग भी ले आई
भीगी चुनरीया राधे की श्याम होली खेले हैं संग
भीगी चुनरीया राधे की हो गई श्यामा रंग।
श्याम होली खेलें है संग।
होली है।

©Surendra Kumar Kahar

#Holi @051df4c36a4@0b8ec6f8@02d73b1ae/sethi-ji" title="Sethi Ji">@Sethi Ji PФФJД ЦDΞSHI पथिक.. @Krishna G @Internet Jockey @036@03225b2a@0d9f84@0dfec5484f7ed6/ronak-khandelwal" title="Ronak Khandelwal">@Ronak Khandelwal @0 Deep Dhaliwal Moga @0e23a4fb/manoj-kumar" title="Manoj Kumar">@Manoj Kumar @Miss Shalini @0e2b2da44cce5@07e33e/pankaj-sharma" title="pankaj Sharma">@pankaj Sharma

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#सरस्वती #MeriMatiMeraDesh #कविता #हमारा #जमुना #संगम  Meri Mati Mera Desh मेरी माटी मेरा देश



 हमारा देश तो जैसे गंगा सागर सा है
इसकी माटी तो अति पावन है
देवों की भी यह मानस माता है 
ये धरती मां  बंधुत्व भाव ही दिखलाती है

गंगा , जमुना और सरस्वती जी
वो संगम तट पर बहती नित धारा है
सांझ सकरे सिंधु चरण पखारे
कश्मीर मुकुट सा लगता प्यारा है

 मेरी माटी मेरा देश अलग सभी से 
बोली भाषा और भिन्न यहां गण वेश
 ये प्रेम से भरा हुआ अनेकता मे एकता का है 
एकता मे अनेकता का ये संसार यहां है 

पानी से पत्थर तक सब पूजे जाते हैं
कण कण मे भी मेरे प्रभु समझे जाते हैं
यहीं से खुलता सतयुग का प्रवेश द्वार है 
ऋषि मुनियों का  अब भी बसता संसार है

मुझे मेरी माटी मेरे देश पर गर्व है
मुझे इसके विशेष होने पर गर्व  है 
अखिल विश्व को भी समझा सकता हूं
क्यों है प्यारी मेरी माटी मेरा देश

©Shivkumar

#MeriMatiMeraDesh #Nojoto #nojotohindi मेरी माटी मेरा देश

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#समाज #gururavidas  श्री कृष्‍ण का धृतराष्‍ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्‍त करना और धृतराष्‍ट्र का पाण्‍डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
{Bolo Ji Radhey Radhey}

महाभारत: स्‍त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्‍ण का धृतराष्‍ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्‍त करना और धृतराष्‍ट्र का पाण्‍डवों को हृदय से लगाना.

📙 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्‍तर सेवक-गण शौच-सम्‍बन्‍धी कार्य सम्‍पन्‍न कराने के लिय राजा धृतराष्‍ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्‍य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्‍त्रों का अध्‍ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है।

📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्‍यों कर रहे हैं ? भरतनन्‍दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्‍म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 

📙 कुरुनन्‍दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्‍डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्‍वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्‍याण का भागी होता है। 

📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्‍याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्‍दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्‍याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्‍यों मार डालना चाहते हैं?

📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्‍कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्‍णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्‍छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्‍मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्‍याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्‍डवों का परित्‍याग कर दिया था।

📙 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पाचनजी कहते हैं – नरेश्‍वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्‍ण ने सब सच्‍ची-सच्‍ची बातें कह डालीं, तब पृथ्‍वी पति धृतराष्‍ट्र ने देवकी नन्‍दन श्रीकृष्‍ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्‍नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था।

📙 श्रीकृष्‍ण! सौभग्‍य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्‍य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्‍त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्‍ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्‍यम पाण्‍डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्‍त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्‍तन पाण्‍डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है।

📙 तदनन्‍तर रोते हुए धृतराष्‍ट्र ने सुन्‍दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्‍हें सान्‍तवना देकर कहा – तुम्‍हारा कल्‍याण हो।

📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्‍तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्‍ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्‍डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्‍याय पूरा हुआ। N S Yadav ....

©N S Yadav GoldMine

#gururavidas श्री कृष्‍ण का धृतराष्‍ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्‍त करना और धृतराष्‍ट्र का पाण्‍डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝

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