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#poetry_addicts #sookha #Sukha  बदलते मौसम की राहों में,
बिन पानी की धरती बेजान है।
जब से तेरा साथ छूटा है,
ये दिल बेहाल और उदास है।

तेरी यादों की बरसात के बाद,
सूखे पत्तों की तरह बिखरा हूँ।
अब तेरे बिना ज़िन्दगी की राहें,
सूखी हवाओं में बस बहा हूँ।

कहानी तेरी यादों की गहराइयों में,
ये दिल तन्हाई की सूनी है।
बिन तेरे ये ज़िन्दगी बेमानी है,
सूखी रेत की तरह बिखरी है।

बस तेरी यादों का साहिल हो,
सूखे दिल को बहार मिले।
क्योंकि बिना तेरे ये ज़िंदगी,
सूखी धरती की तरह बेवजह है।

©Nirankar Trivedi

बदलते मौसम की राहों में, बिन पानी की धरती बेजान है। जब से तेरा साथ छूटा है, ये दिल बेहाल और उदास है।तेरी यादों की बरसात के बाद, सूखे पत्तों

126 View

#विचार #New  White “बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो,
करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो।
क्रोध करके स्नेह मांगते हो,
करते हो हिंसा और शांति मांगते हो।
असत्य के व्यवहार में, सत्यता मांगते हो,
व्यभिचार में रमे, चरित्र मांगते हो,
असभ्य हो स्वयं और सभ्य बेटा मांगते हो।

पेड़ काटकर छाया मांगते हो।
प्रदूषण करके स्वच्छता मांगते हो,
मिटाकर नदियों को, पानी मांगते हो।
हवा दूषित करके साँसे मांगते हो,
भोजन दूषित करके आरोग्यता मांगते हो।
संस्कृति को मिटाकर, भारत मांगते हो,
तकनीक के आदी!
प्रकृति को मिटाकर जीवन मांगते हो। 
खुदको अविष्कारक समझने वाले,
ईश्वर का प्रमाण मांगते हैं।”
- प्रेम

©Surendra Sharma

“बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो, करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो। क्रोध करके स्नेह मांगते हो, करते हो हिंसा और शांति मांगते हो। असत्य के व्यव

108 View

#shamawritesBebaak #Motivational #sad_shayari  White ***औरत का वजूद***
कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...?
वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे अखलाक, इल्म,तालीम,और अपना जहीन जहन......
फिर उसकी पहचान,उसकी अजमत,अस्मत,आजादी और अल्हड़पन कहाँ खो जाती होगी...
गजाला सी चंचल चितवन वाली
पिंजरेनुमा सुसराल में कैद मैना सी,शिरीन जुबा से रस उड़ेलती अनजान लोगों से सबकी जी हुजूरी में खिदमते करती बोलती, झिड़कियां,तंज,रंज गाली ग्लोच झेलती और इसी उधेड़बुन में सब्र करती बस......
फिर इसी कशमकश में संतानोत्पत्ति के बाद खुद से ही जिहाद करती हुई,अपनी गृहस्थी संभालती,भूलती रही,अपने जिस्म और रुह पर पड़े जख्मों की थकन से चकनाचूर,अपनी आप बीती को डायरी के पन्नो पर लिखती,संजोती...........
वो एक बेनाम,औरत एक रोज मर जाती रही अपना फर्ज निभाकर,और भूल जाते हैं ये मतलबी लोग,....
यही सब सुनते और देखते आ रहे हैं,पता नहीं कब से.?
मौजूदा दौर मे तो रिश्ते बस समझौते भर रह गए है..?

सुनो बीन्त हव्वा 🎤अबअपने जिस्म को बिछौना बनाकर नहीं जीना...?
तुम्हारी वुसअती तो (फैलाव) ला_मेहदूद(अनंत) है!!
तुम इब्न आदम की नस्ल बढाने वाली हो,निस्वार्थ उल्फ्तें बांटने वाली हो,
तुम अदबन हो अदब के काबिल हो...
औरत ही मर्द की संपूरक है,और मर्द औरत से ही संपूर्ण और परिपूर्ण है.!!
आदमी मतलबी,अना परस्त,ढीठ,तंगदिल,संगदिल सा हो सकता है,मगर औरत संजीदा,आब ए हयात की मानिंद.हयात देने वाली होती है।जैसे मानो पूरी कायनात बिन औरत के वजूद के अधूरी और बेमानी हो..!
मुख्तसर बात यही है के आदमी जरिया है तो औरत तामीरदा(निर्माता).....
बनना और मिटना,औरत से ही है,तो फिर ये बेमिसाल औरत पर आदमी को फजीलत देने वाला,पुरुष प्रधान मुआश्रा क्यूं भूल जाता है औरत के वजूद को....???Bolg by✍️
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#sad_shayari ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे

531 View

#मेरी_कलम_से✍️ #हसीं_वादियां #नोजोतो #रिश्ता #बेमानी #प्यार  White " मुझे मत ले के चल तू इन हसीं वादियों में 
मैंने कहा कोई ऐसा ख्वाब देखा है ,
मुझे तो तेरी बाँहो का सहारा ही बहुत है ,
मेरी दुनिया तो इन बाँहो में आकर ही सिमट जाती है ,
मेरा सुकून इन वादियों में नही ,
तेरे प्यार में मिलता है ,.....
तेरी हँसी  में मिलता है ,
तेरी खुशी में मिलता है ,
तुझे देखकर मिलता है ,
तेरे संग जी कर मिलता है ,
तेरे बिना बहुत बेमानी लगती है ये हसीं वादियां भी ....❤️❤️❤️❤️

©Parul (kiran)Yadav
#poetry_addicts #sookha #Sukha  बदलते मौसम की राहों में,
बिन पानी की धरती बेजान है।
जब से तेरा साथ छूटा है,
ये दिल बेहाल और उदास है।

तेरी यादों की बरसात के बाद,
सूखे पत्तों की तरह बिखरा हूँ।
अब तेरे बिना ज़िन्दगी की राहें,
सूखी हवाओं में बस बहा हूँ।

कहानी तेरी यादों की गहराइयों में,
ये दिल तन्हाई की सूनी है।
बिन तेरे ये ज़िन्दगी बेमानी है,
सूखी रेत की तरह बिखरी है।

बस तेरी यादों का साहिल हो,
सूखे दिल को बहार मिले।
क्योंकि बिना तेरे ये ज़िंदगी,
सूखी धरती की तरह बेवजह है।

©Nirankar Trivedi

बदलते मौसम की राहों में, बिन पानी की धरती बेजान है। जब से तेरा साथ छूटा है, ये दिल बेहाल और उदास है।तेरी यादों की बरसात के बाद, सूखे पत्तों

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#विचार #New  White “बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो,
करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो।
क्रोध करके स्नेह मांगते हो,
करते हो हिंसा और शांति मांगते हो।
असत्य के व्यवहार में, सत्यता मांगते हो,
व्यभिचार में रमे, चरित्र मांगते हो,
असभ्य हो स्वयं और सभ्य बेटा मांगते हो।

पेड़ काटकर छाया मांगते हो।
प्रदूषण करके स्वच्छता मांगते हो,
मिटाकर नदियों को, पानी मांगते हो।
हवा दूषित करके साँसे मांगते हो,
भोजन दूषित करके आरोग्यता मांगते हो।
संस्कृति को मिटाकर, भारत मांगते हो,
तकनीक के आदी!
प्रकृति को मिटाकर जीवन मांगते हो। 
खुदको अविष्कारक समझने वाले,
ईश्वर का प्रमाण मांगते हैं।”
- प्रेम

©Surendra Sharma

“बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो, करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो। क्रोध करके स्नेह मांगते हो, करते हो हिंसा और शांति मांगते हो। असत्य के व्यव

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#shamawritesBebaak #Motivational #sad_shayari  White ***औरत का वजूद***
कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...?
वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे अखलाक, इल्म,तालीम,और अपना जहीन जहन......
फिर उसकी पहचान,उसकी अजमत,अस्मत,आजादी और अल्हड़पन कहाँ खो जाती होगी...
गजाला सी चंचल चितवन वाली
पिंजरेनुमा सुसराल में कैद मैना सी,शिरीन जुबा से रस उड़ेलती अनजान लोगों से सबकी जी हुजूरी में खिदमते करती बोलती, झिड़कियां,तंज,रंज गाली ग्लोच झेलती और इसी उधेड़बुन में सब्र करती बस......
फिर इसी कशमकश में संतानोत्पत्ति के बाद खुद से ही जिहाद करती हुई,अपनी गृहस्थी संभालती,भूलती रही,अपने जिस्म और रुह पर पड़े जख्मों की थकन से चकनाचूर,अपनी आप बीती को डायरी के पन्नो पर लिखती,संजोती...........
वो एक बेनाम,औरत एक रोज मर जाती रही अपना फर्ज निभाकर,और भूल जाते हैं ये मतलबी लोग,....
यही सब सुनते और देखते आ रहे हैं,पता नहीं कब से.?
मौजूदा दौर मे तो रिश्ते बस समझौते भर रह गए है..?

सुनो बीन्त हव्वा 🎤अबअपने जिस्म को बिछौना बनाकर नहीं जीना...?
तुम्हारी वुसअती तो (फैलाव) ला_मेहदूद(अनंत) है!!
तुम इब्न आदम की नस्ल बढाने वाली हो,निस्वार्थ उल्फ्तें बांटने वाली हो,
तुम अदबन हो अदब के काबिल हो...
औरत ही मर्द की संपूरक है,और मर्द औरत से ही संपूर्ण और परिपूर्ण है.!!
आदमी मतलबी,अना परस्त,ढीठ,तंगदिल,संगदिल सा हो सकता है,मगर औरत संजीदा,आब ए हयात की मानिंद.हयात देने वाली होती है।जैसे मानो पूरी कायनात बिन औरत के वजूद के अधूरी और बेमानी हो..!
मुख्तसर बात यही है के आदमी जरिया है तो औरत तामीरदा(निर्माता).....
बनना और मिटना,औरत से ही है,तो फिर ये बेमिसाल औरत पर आदमी को फजीलत देने वाला,पुरुष प्रधान मुआश्रा क्यूं भूल जाता है औरत के वजूद को....???Bolg by✍️
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#sad_shayari ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे

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#मेरी_कलम_से✍️ #हसीं_वादियां #नोजोतो #रिश्ता #बेमानी #प्यार  White " मुझे मत ले के चल तू इन हसीं वादियों में 
मैंने कहा कोई ऐसा ख्वाब देखा है ,
मुझे तो तेरी बाँहो का सहारा ही बहुत है ,
मेरी दुनिया तो इन बाँहो में आकर ही सिमट जाती है ,
मेरा सुकून इन वादियों में नही ,
तेरे प्यार में मिलता है ,.....
तेरी हँसी  में मिलता है ,
तेरी खुशी में मिलता है ,
तुझे देखकर मिलता है ,
तेरे संग जी कर मिलता है ,
तेरे बिना बहुत बेमानी लगती है ये हसीं वादियां भी ....❤️❤️❤️❤️

©Parul (kiran)Yadav
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