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White मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला ©@BeingAdilKhan

#love_shayari  White मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।

प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला

©@BeingAdilKhan

White जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारे तूफानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल कलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल ©@BeingAdilKhan

#emotional_sad_shayari  White 


जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल

©@BeingAdilKhan

White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में, अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में। समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल, गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है? युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है? पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग, फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग। ©@BeingAdilKhan

#Hindi  White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल

जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है?
युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है?
पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग,
फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग।

©@BeingAdilKhan

#Hindi pantiya#@Niaz (Harf) @Anshu writer I_surbhiladha Irfan Saeed @Mrs.Donia Aakash Bhardwaj

17 Love

#शायरी #parinda #aakash #dhayri #nazar #Hope  White ना जाने इस परिंदे को किसकी तलाश है ,

आज़ाद है ये, जमी इसकी,

इसके हिस्से में ही आकाश है,,,,

रिम्मी बेदी नज़र

©NAZAR
#शायरी

Aakash

108 View

लाना था उन्हें और, वो, कुछ और लाये हैं ll जिनके बुरे थे, उनके, दिन अच्छे आये हैं ll जो लूट करके देश, को, विदेश के हुए ll काहे न उन्हें,अबतक, वापस बुलाये हैं ll ©aakashsaral

#कविता  लाना था उन्हें और, वो, कुछ और लाये हैं ll
जिनके बुरे थे, उनके, दिन अच्छे आये हैं ll
जो लूट करके देश, को, विदेश के हुए ll
काहे न उन्हें,अबतक, वापस बुलाये हैं ll

©aakashsaral

White मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला ©@BeingAdilKhan

#love_shayari  White मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।

प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला

©@BeingAdilKhan

White जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारे तूफानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल कलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल ©@BeingAdilKhan

#emotional_sad_shayari  White 


जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल

©@BeingAdilKhan

White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में, अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में। समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल, गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है? युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है? पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग, फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग। ©@BeingAdilKhan

#Hindi  White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल

जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है?
युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है?
पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग,
फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग।

©@BeingAdilKhan

#Hindi pantiya#@Niaz (Harf) @Anshu writer I_surbhiladha Irfan Saeed @Mrs.Donia Aakash Bhardwaj

17 Love

#शायरी #parinda #aakash #dhayri #nazar #Hope  White ना जाने इस परिंदे को किसकी तलाश है ,

आज़ाद है ये, जमी इसकी,

इसके हिस्से में ही आकाश है,,,,

रिम्मी बेदी नज़र

©NAZAR
#शायरी

Aakash

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लाना था उन्हें और, वो, कुछ और लाये हैं ll जिनके बुरे थे, उनके, दिन अच्छे आये हैं ll जो लूट करके देश, को, विदेश के हुए ll काहे न उन्हें,अबतक, वापस बुलाये हैं ll ©aakashsaral

#कविता  लाना था उन्हें और, वो, कुछ और लाये हैं ll
जिनके बुरे थे, उनके, दिन अच्छे आये हैं ll
जो लूट करके देश, को, विदेश के हुए ll
काहे न उन्हें,अबतक, वापस बुलाये हैं ll

©aakashsaral
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