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New दादी अम्मा पोएट्री Status, Photo, Video

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#अम्मा #mothers_day #motherlove #satyavrat  White चाय पिलाती, पान खिलाती 

बाबू जी से भी बतियाती 

बच्चों से उनकी तकलीफ़ें 

बढ़ा-चढ़ाकर कहती जाती 

घर परिवार जोड़ती, ऐसी 

रेशम वाली गाँठ रही है

अम्मा धनिया काट रही है।

©Satyavrat dwivedi
#पोएट्री #sad_shayari  White हम वो कष्टी है जिस्का कोई किनारा ना hua 
हम सबके hue, मगर कोई हमारा ना hua..

©GOAN PRASHAL
 White मैं अपने अश्कों की कहानी लिखूंगी ,
कोई याद बहुत पुरानी लिखूंगी ,
जिसे पढ़कर तुम पहुंच जाओगे
 गुज़रे वक्त में ,
मैं वो एहसास अपनी जुबानी लिखूंगी।

©Bhawna Sagar Batra

#safar #पोएट्री #Videos #Poetry

171 View

#कविताएं #पोएट्री #aaina  ।।।।।।।कलम ए विद्यार्थी।।।।।।।
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

आज सुबह सबेरे चमचमाती धूप में नीले अम्बर को
 निहारती जैसे किसी हिरण रूपी रौशनी को देखा!
सुनसान बंजर खेतों के बीच खड़ी चारों तरफ फलों से लदे 
लहराती गेहूं चने के झूमते पौधों और टहनी को देखा !!

लूक छिप लूक छिप झगड़ा मेल कभी फुटबॉल क्रिकेट का सेल
भाई बहन पड़ोसी भेल  मानव और जानवर में फिर कैसा बेमेल ।
छुक छुक मंद गति से कभी तेज़ रफ़्तार से चल रही थीं अपनी रेल!
सफ़र था विद्यालय तक का  पर देख रहा था मैं कुछ दूसरा खेल !!

उठकर तो कभी बैठकर झांक रहा था  उच्चकर मैं खिड़की से भी!
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी हिरण न भाग रही थी  हिचकी से भी।।
टेढ़ी +मेढ़ी लकड+अकड़ सी सिंघ सोभती पाती हुईं थीं कानों को
सिर कर सीधा मासूम भरी कोमल निगाहों से आह रही थीं वाणो को!।

उछल कूद लगा भूल गईं थीं शायद शान्ति की थीं तालाश में
आनन्द अब न उसे कुछ आ रहा था हरे भरे फूलों और घास में ।
अकेली निर्जन वातावरण में बन की विरहन सी सजी दुलहन 
प्रेम पिपासी लग रही थीं खोई थी प्यारे प्रभू के आश में ।।

पहले जैसा अब कुछ भाव न दिखा जैसे कोई जंगली डरती हैं
कनक खनक न कुछ बता रही थी मृग नयनी बस आहे भरती हैं!
पूछ का पक्ष बना संकेतक बालो का प्रमाण अब बताता है।
कोई धनुर्धर महाबली किसी का आजकल न पीछा करता हैं!!

चेहरे का भाव बता रहा था उसकी भी मन की कुछ ईक्षा थीं
प्यार नफरत के वृत्ताकार केंद्र बीच होनेवाली अग्नि परीक्षा थीं!
सोच रही थीं गर कोई मिले भी तो न कन्हैया और न श्रीराम सा
थीं ख्वाइश घायल दिल के उसको  महादेव कैलाशी महान सा।।
@विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi

इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम, तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है। (सिद्धान्त पावस) ©Siddhant Pawas

#पोएट्री #silhouette  इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम,
तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है।
(सिद्धान्त पावस)

©Siddhant Pawas
#पोएट्री #streetlamp  जरा सा.. कपड़े जो काले पड़ गए हैं
 मेरे पीछे उजाले पड़ गए हैं..
 दरों पर "Welcome" लिखा हुआ है..
 और दरवाजों पर ताले पड़ गए हैं..!!

©Aman
#अम्मा #mothers_day #motherlove #satyavrat  White चाय पिलाती, पान खिलाती 

बाबू जी से भी बतियाती 

बच्चों से उनकी तकलीफ़ें 

बढ़ा-चढ़ाकर कहती जाती 

घर परिवार जोड़ती, ऐसी 

रेशम वाली गाँठ रही है

अम्मा धनिया काट रही है।

©Satyavrat dwivedi
#पोएट्री #sad_shayari  White हम वो कष्टी है जिस्का कोई किनारा ना hua 
हम सबके hue, मगर कोई हमारा ना hua..

©GOAN PRASHAL
 White मैं अपने अश्कों की कहानी लिखूंगी ,
कोई याद बहुत पुरानी लिखूंगी ,
जिसे पढ़कर तुम पहुंच जाओगे
 गुज़रे वक्त में ,
मैं वो एहसास अपनी जुबानी लिखूंगी।

©Bhawna Sagar Batra

#safar #पोएट्री #Videos #Poetry

171 View

#कविताएं #पोएट्री #aaina  ।।।।।।।कलम ए विद्यार्थी।।।।।।।
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आज सुबह सबेरे चमचमाती धूप में नीले अम्बर को
 निहारती जैसे किसी हिरण रूपी रौशनी को देखा!
सुनसान बंजर खेतों के बीच खड़ी चारों तरफ फलों से लदे 
लहराती गेहूं चने के झूमते पौधों और टहनी को देखा !!

लूक छिप लूक छिप झगड़ा मेल कभी फुटबॉल क्रिकेट का सेल
भाई बहन पड़ोसी भेल  मानव और जानवर में फिर कैसा बेमेल ।
छुक छुक मंद गति से कभी तेज़ रफ़्तार से चल रही थीं अपनी रेल!
सफ़र था विद्यालय तक का  पर देख रहा था मैं कुछ दूसरा खेल !!

उठकर तो कभी बैठकर झांक रहा था  उच्चकर मैं खिड़की से भी!
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी हिरण न भाग रही थी  हिचकी से भी।।
टेढ़ी +मेढ़ी लकड+अकड़ सी सिंघ सोभती पाती हुईं थीं कानों को
सिर कर सीधा मासूम भरी कोमल निगाहों से आह रही थीं वाणो को!।

उछल कूद लगा भूल गईं थीं शायद शान्ति की थीं तालाश में
आनन्द अब न उसे कुछ आ रहा था हरे भरे फूलों और घास में ।
अकेली निर्जन वातावरण में बन की विरहन सी सजी दुलहन 
प्रेम पिपासी लग रही थीं खोई थी प्यारे प्रभू के आश में ।।

पहले जैसा अब कुछ भाव न दिखा जैसे कोई जंगली डरती हैं
कनक खनक न कुछ बता रही थी मृग नयनी बस आहे भरती हैं!
पूछ का पक्ष बना संकेतक बालो का प्रमाण अब बताता है।
कोई धनुर्धर महाबली किसी का आजकल न पीछा करता हैं!!

चेहरे का भाव बता रहा था उसकी भी मन की कुछ ईक्षा थीं
प्यार नफरत के वृत्ताकार केंद्र बीच होनेवाली अग्नि परीक्षा थीं!
सोच रही थीं गर कोई मिले भी तो न कन्हैया और न श्रीराम सा
थीं ख्वाइश घायल दिल के उसको  महादेव कैलाशी महान सा।।
@विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi

इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम, तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है। (सिद्धान्त पावस) ©Siddhant Pawas

#पोएट्री #silhouette  इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम,
तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है।
(सिद्धान्त पावस)

©Siddhant Pawas
#पोएट्री #streetlamp  जरा सा.. कपड़े जो काले पड़ गए हैं
 मेरे पीछे उजाले पड़ गए हैं..
 दरों पर "Welcome" लिखा हुआ है..
 और दरवाजों पर ताले पड़ गए हैं..!!

©Aman
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