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 बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

©skpooniasir

भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

135 View

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT

#प्यारे  वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,
मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी,
स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल,

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी
बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों,

रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था,

कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं,
ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे,
फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे।

रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था,

जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते,
हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती,
याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती।

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं,
उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था।
बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था,
और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था।

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से।

©Nik JAT

#प्यारे बाबा

10 Love

Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA

#विचार  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े
 और 
होली में ही उतर भी गये 
और 
एक आपकी यादों और वादो का रंग
 है जो आज तक उतरा ही नहीं 
और 
भी गहरा होता चला गया...

©vidushi MISHRA

बाबा

18 Love

#समाज

मेरे प्रभु मेरे सरकार मेरे बाबा श्री महाकाल जी 🕉️🙏🌹🙏

81 View

#समाज

मेरे बाबा श्री महाकाल जी ॐ नमः शिवाय

144 View

#समाज

एकादशी के शुभ अवसर पर बाबा श्याम जी के दर्शन पटियाला धाम से

135 View

 बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

©skpooniasir

भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

135 View

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT

#प्यारे  वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,
मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी,
स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल,

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी
बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों,

रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था,

कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं,
ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे,
फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे।

रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था,

जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते,
हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती,
याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती।

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं,
उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था।
बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था,
और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था।

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से।

©Nik JAT

#प्यारे बाबा

10 Love

Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA

#विचार  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े
 और 
होली में ही उतर भी गये 
और 
एक आपकी यादों और वादो का रंग
 है जो आज तक उतरा ही नहीं 
और 
भी गहरा होता चला गया...

©vidushi MISHRA

बाबा

18 Love

#समाज

मेरे प्रभु मेरे सरकार मेरे बाबा श्री महाकाल जी 🕉️🙏🌹🙏

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#समाज

मेरे बाबा श्री महाकाल जी ॐ नमः शिवाय

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#समाज

एकादशी के शुभ अवसर पर बाबा श्याम जी के दर्शन पटियाला धाम से

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