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New कविता रामधारी सिंह दिनकर Status, Photo, Video

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#‌AbhiJaunpur #Motivational #VoteForIndia #2roundvoting #voting #Vote  White लोकतंत्र के महापर्व के दूसरे चरण का 
मतदान 26/04/2024 प्रारम्भ।
लोकतंत्र के महापर्व मे अपनी 
सहभागिता वोट देकर दर्ज करें।
आपका वोट ।।
आपकी ताकत।।

©AbhiJaunpur

#VoteForIndia #‌AbhiJaunpur #voting #2roundvoting #Vote @Sm@rty divi P@ndey शिवम् सिंह भूमि आशुतोष पांडेय (Aashu) सनातनी अदनासा- Anshu write

171 View

#GoodMorning #SAD  White खुद को गलत ठहरा कर,
कहानी से निकल गए हम।

©5million Followers

#GoodMorning "सीमा"अमन सिंह

81 View

#sitapurkawoladka #शून्य #Sitapurpoetry #outoflove #Kavyarpan #sitapur  "सीतापुर का वो लड़का 

💕" love' Poetry

सीतापुर का वो लड़का by pragya Shukla #Kavyarpan #sitapur #sitapurkawoladka #Sitapurpoetry #IPL #outoflove @Anshu writer @Niaz (Harf) शिवम्

2,898 View

#खालीपन #शून्य #महबूब #mothernature #motivatation #Kavyarpan  एक खालीपन सा है इस दिल में 💕😊

खालीपन सा रहता है,😊 #खालीपन #महबूब #Kavyarpan #Nojoto #motivatation #mothernature @Anshu writer @Niaz (Harf) शिवम् सिंह भूमि hardik Mahaja

6,021 View

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

13 Love

#नोजोटो_हिंदी #पूनमकीकलमसे #मैंऔरक़लम #hunarbaaz #lover  White  मैं और मेरी क़लम ,अक़्सर साँझे ख़्वाब देखते हैं,
भरके कल्पना की उड़ान ,बारिश में धूप सेंकते हैं,

करते हैं खूबसूरत  लफ़्ज़ों से मुलाक़ात जब जब,
करते हैं सज़दा उनको, सम्मान में माथा टेकते हैं,

बना लेते हैं यदा कदा , लज़ीज़  पुलाव   ख्याली,
बनाकर लफ़्ज़ों के व्यंजन,क़ागज़ पे तंदूर सेंकते हैं,

सजाते हैं चाँद तारों को ,कोरे क़ागज़ के आसमान पे,
उड़ जातें  हैं  हाथ थामे कभी,अंबर से नीचे देखते हैं,

अधूरे  हैं एक   दूसरे  के बिन  ,मुक़म्मल होकर भी,
उदास और तन्हा लम्हो में,पानी मे पत्थर फेंकते हैं,

लिखतें हैं ग़ज़ल ख़ुशियों की ,नज़्म बातों की बनाकर,
लफ़्ज़ों   की   लंबी  डोर  को ,क़लम पर लपेटते हैं।।

मैं  और  मेरी  कलम , जब मिल बैठते हैं तन्हाई में,
सारे लफ्ज़ मुस्कुराकर ,तब हमारी ओर देखते हैं ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

#मैंऔरक़लम #पूनमकीकलमसे @02/नोजोटो_हिंदी" title="नोजोटो_हिंदी">#नोजोटो_हिंदी @051df4c36a4@0b8ec6f8@02d73b1ae/sethi-ji" title="Sethi Ji">@Sethi Ji @02a1bdb1f7ec@06@032d1e/ashish-khare" title="Ashish Khare">@Ashish Khare @01f15@07e7d2@0a38f61b864a@0473f5ae/mahi" title="Mahi">@Mahi अब्र (Abr) @08549153528c3ff74a476c3df5ca/bhardwaj-only-budana" title="Bhardwaj Only Budana">@Bhardwaj Only Budana @0@0772f/mili-saha" title="Mili Saha">@Mili Saha RAVINANDAN Tiwari @0 Suresh Gu

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#‌AbhiJaunpur #Motivational #VoteForIndia #2roundvoting #voting #Vote  White लोकतंत्र के महापर्व के दूसरे चरण का 
मतदान 26/04/2024 प्रारम्भ।
लोकतंत्र के महापर्व मे अपनी 
सहभागिता वोट देकर दर्ज करें।
आपका वोट ।।
आपकी ताकत।।

©AbhiJaunpur

#VoteForIndia #‌AbhiJaunpur #voting #2roundvoting #Vote @Sm@rty divi P@ndey शिवम् सिंह भूमि आशुतोष पांडेय (Aashu) सनातनी अदनासा- Anshu write

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#GoodMorning #SAD  White खुद को गलत ठहरा कर,
कहानी से निकल गए हम।

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#sitapurkawoladka #शून्य #Sitapurpoetry #outoflove #Kavyarpan #sitapur  "सीतापुर का वो लड़का 

💕" love' Poetry

सीतापुर का वो लड़का by pragya Shukla #Kavyarpan #sitapur #sitapurkawoladka #Sitapurpoetry #IPL #outoflove @Anshu writer @Niaz (Harf) शिवम्

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#खालीपन #शून्य #महबूब #mothernature #motivatation #Kavyarpan  एक खालीपन सा है इस दिल में 💕😊

खालीपन सा रहता है,😊 #खालीपन #महबूब #Kavyarpan #Nojoto #motivatation #mothernature @Anshu writer @Niaz (Harf) शिवम् सिंह भूमि hardik Mahaja

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दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

13 Love

#नोजोटो_हिंदी #पूनमकीकलमसे #मैंऔरक़लम #hunarbaaz #lover  White  मैं और मेरी क़लम ,अक़्सर साँझे ख़्वाब देखते हैं,
भरके कल्पना की उड़ान ,बारिश में धूप सेंकते हैं,

करते हैं खूबसूरत  लफ़्ज़ों से मुलाक़ात जब जब,
करते हैं सज़दा उनको, सम्मान में माथा टेकते हैं,

बना लेते हैं यदा कदा , लज़ीज़  पुलाव   ख्याली,
बनाकर लफ़्ज़ों के व्यंजन,क़ागज़ पे तंदूर सेंकते हैं,

सजाते हैं चाँद तारों को ,कोरे क़ागज़ के आसमान पे,
उड़ जातें  हैं  हाथ थामे कभी,अंबर से नीचे देखते हैं,

अधूरे  हैं एक   दूसरे  के बिन  ,मुक़म्मल होकर भी,
उदास और तन्हा लम्हो में,पानी मे पत्थर फेंकते हैं,

लिखतें हैं ग़ज़ल ख़ुशियों की ,नज़्म बातों की बनाकर,
लफ़्ज़ों   की   लंबी  डोर  को ,क़लम पर लपेटते हैं।।

मैं  और  मेरी  कलम , जब मिल बैठते हैं तन्हाई में,
सारे लफ्ज़ मुस्कुराकर ,तब हमारी ओर देखते हैं ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

#मैंऔरक़लम #पूनमकीकलमसे @02/नोजोटो_हिंदी" title="नोजोटो_हिंदी">#नोजोटो_हिंदी @051df4c36a4@0b8ec6f8@02d73b1ae/sethi-ji" title="Sethi Ji">@Sethi Ji @02a1bdb1f7ec@06@032d1e/ashish-khare" title="Ashish Khare">@Ashish Khare @01f15@07e7d2@0a38f61b864a@0473f5ae/mahi" title="Mahi">@Mahi अब्र (Abr) @08549153528c3ff74a476c3df5ca/bhardwaj-only-budana" title="Bhardwaj Only Budana">@Bhardwaj Only Budana @0@0772f/mili-saha" title="Mili Saha">@Mili Saha RAVINANDAN Tiwari @0 Suresh Gu

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