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New कंचों का अंगूर का गुच्छा Status, Photo, Video

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#Bhakti  जो धर्म की राह पर चलते हैं भगवान उनके घोड़ों की लगाम खुद पकड़ लेते हैं

©book lover

धर्म का मार्ग उन्नति का मार्ग है

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पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का। ©Bharat Bhushan pathak

#भक्ति  पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का।
सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।।
राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का।
भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का।

©Bharat Bhushan pathak

पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश

15 Love

#Motivational  एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया.
वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी.  निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी.
इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है.
रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया.
लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए.
वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था.

©Rohit Lala

एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे

54 View

#विचार

ना उठने का अभिमान ना डूबने का डर

153 View

#विचार

समय का...

99 View

#Motivational

ज़िंदगी जीने का नाम है गुज़ारने का नहीं

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#Bhakti  जो धर्म की राह पर चलते हैं भगवान उनके घोड़ों की लगाम खुद पकड़ लेते हैं

©book lover

धर्म का मार्ग उन्नति का मार्ग है

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पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का। ©Bharat Bhushan pathak

#भक्ति  पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का।
सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।।
राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का।
भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का।

©Bharat Bhushan pathak

पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश

15 Love

#Motivational  एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया.
वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी.  निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी.
इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है.
रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया.
लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए.
वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था.

©Rohit Lala

एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे

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#विचार

ना उठने का अभिमान ना डूबने का डर

153 View

#विचार

समय का...

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#Motivational

ज़िंदगी जीने का नाम है गुज़ारने का नहीं

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