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New श्रद्धा नदी Status, Photo, Video

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#कोट्स #sad_shayari #नदी  White जैसे नदी अपनी तरलता का त्याग किए बिना अपनी सरलता को प्रबलता में बदलकर जटिल चट्टानों को भी फाड़ देती है उसी प्रकार सरल मानव को भी जटिल परिस्थितियों से निकलने के लिए सरलता को प्रबलता में परिवर्तित करना चाहिए।

©शब्दिता
 चली आती है क्यूँ तू  लहरों की तरह चैन नहीं तुझे 
सपन -पँख लगा बह कर यूँ 
यादों की गठरी सी बंध क्यूँ
खुद को शांत गंभीर कर ज्यूँ 
अपने में ही समेटने क्यूँ
चली आती मुझमें ही तू ..?

मैंने भी बस हँस कर कहा यूँ..

समुद्र बिलखने की तुम्हारे ज्यूँ
आवाज आती है मुझे यूँ 
हजारों मीलों तक फैला मैं हूं 
बह नहीं सकता फ़िर भी क्यूँ ..?

मेरा इश्क ऐसा क्यूँ
इतना जल फ़िर भी प्यासा क्यूँ..
प्यास किसी की भी यूँ 
 अपने जल से बुझा न संकू
ऊपर से खामोश यूँ
अंदर इतने तूफान छुपाए हूं क्यूँ

यह तुम्हारी वेदना यूँ ..
तुम्हारी प्यास -प्रेम -पीड़ा-क्यूँ 
पौरुष-पीड़ा-पर-न -रुदन-यूँ
तुममें छिपा इतना दर्द - मैं-समझूं..!

इसीलिए तुम्हारे जख्मों को सहलाने यूँ 
तुमको मीठा करने आती मैं हूं
पर देख तुम्हारा अथाह दुःख क्यूँ
मै खुद भी तेरे जैसी हो जाती हूं..!

तुम्हारे इश्क में, मैं कहीं यूं
डूब कर जैसे उबर जाती हूं..

#HeartfeltMessage # तू #चली #आती #क्यूँ..? #समुद्र # नदी #पीड़ा

90 View

जरूरी नहीं है कि मूरत पत्थर की हो या मिट्टी की माथा टेकने के लिए तो बस ••श्रद्धा जरूरी•• है ©Shalini Nigam

#श्रद्धा #जरूरी #विचार #माथा #yqbaba  जरूरी नहीं है कि
 मूरत पत्थर की हो या मिट्टी की
माथा  टेकने के लिए
 तो बस ••श्रद्धा जरूरी•• है

©Shalini Nigam
#वीडियो

सरयू नदी

117 View

#Quotes #Moon  White याद रहे
तारीफों के पुल के नीचे अक्सर मतलब की नदी बहती है!

©roshan lal

#Moon तारीफ और नदी

126 View

#कविता #नदी  पर्वतों के बीच  में नदी है मनोहर
कल कल करती बह रही निरंतर
निर्मल जल शीतल अथाह चंचल
बदल रहा निज स्वरूप पल पल
विह्वल हो निहारता अंबर  छवि 
झांकता मेघों से इसको देखो रवि
लज्जा भरी हुई  प्रकृति आनंदित
देख रहा है कवि होकर प्रसन्नचित

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#नदी

135 View

#कोट्स #sad_shayari #नदी  White जैसे नदी अपनी तरलता का त्याग किए बिना अपनी सरलता को प्रबलता में बदलकर जटिल चट्टानों को भी फाड़ देती है उसी प्रकार सरल मानव को भी जटिल परिस्थितियों से निकलने के लिए सरलता को प्रबलता में परिवर्तित करना चाहिए।

©शब्दिता
 चली आती है क्यूँ तू  लहरों की तरह चैन नहीं तुझे 
सपन -पँख लगा बह कर यूँ 
यादों की गठरी सी बंध क्यूँ
खुद को शांत गंभीर कर ज्यूँ 
अपने में ही समेटने क्यूँ
चली आती मुझमें ही तू ..?

मैंने भी बस हँस कर कहा यूँ..

समुद्र बिलखने की तुम्हारे ज्यूँ
आवाज आती है मुझे यूँ 
हजारों मीलों तक फैला मैं हूं 
बह नहीं सकता फ़िर भी क्यूँ ..?

मेरा इश्क ऐसा क्यूँ
इतना जल फ़िर भी प्यासा क्यूँ..
प्यास किसी की भी यूँ 
 अपने जल से बुझा न संकू
ऊपर से खामोश यूँ
अंदर इतने तूफान छुपाए हूं क्यूँ

यह तुम्हारी वेदना यूँ ..
तुम्हारी प्यास -प्रेम -पीड़ा-क्यूँ 
पौरुष-पीड़ा-पर-न -रुदन-यूँ
तुममें छिपा इतना दर्द - मैं-समझूं..!

इसीलिए तुम्हारे जख्मों को सहलाने यूँ 
तुमको मीठा करने आती मैं हूं
पर देख तुम्हारा अथाह दुःख क्यूँ
मै खुद भी तेरे जैसी हो जाती हूं..!

तुम्हारे इश्क में, मैं कहीं यूं
डूब कर जैसे उबर जाती हूं..

#HeartfeltMessage # तू #चली #आती #क्यूँ..? #समुद्र # नदी #पीड़ा

90 View

जरूरी नहीं है कि मूरत पत्थर की हो या मिट्टी की माथा टेकने के लिए तो बस ••श्रद्धा जरूरी•• है ©Shalini Nigam

#श्रद्धा #जरूरी #विचार #माथा #yqbaba  जरूरी नहीं है कि
 मूरत पत्थर की हो या मिट्टी की
माथा  टेकने के लिए
 तो बस ••श्रद्धा जरूरी•• है

©Shalini Nigam
#वीडियो

सरयू नदी

117 View

#Quotes #Moon  White याद रहे
तारीफों के पुल के नीचे अक्सर मतलब की नदी बहती है!

©roshan lal

#Moon तारीफ और नदी

126 View

#कविता #नदी  पर्वतों के बीच  में नदी है मनोहर
कल कल करती बह रही निरंतर
निर्मल जल शीतल अथाह चंचल
बदल रहा निज स्वरूप पल पल
विह्वल हो निहारता अंबर  छवि 
झांकता मेघों से इसको देखो रवि
लज्जा भरी हुई  प्रकृति आनंदित
देख रहा है कवि होकर प्रसन्नचित

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#नदी

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