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#मोटिवेशनल

अनदेखी वस्तु

117 View

#Emotional मुफ्त में पाई हुई वस्तु इंसान उसकी वैल्यू नहीं करता । #Motivational #Poetry #poem #Emotional #Trending #Nojoto #Life #Life_experi

180 View

हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा देना दोनों अलग क्रियाएं हैं परिणाम दोनों के अलग आएंगे उस दिन कहां जाएगा शायद पिछले जन्म का कोई बुरा कर्म हैं अगला पिछला कुछ होता नहीं जो होता हैं इसी जन्म का होता है तुम्हारा बोया हुआ अगला कटेगा अच्छा या बुरा तुम्हारे वजह से पाएगा जैसे मैंने काटे थे बेटी के रुप में जन्म लेकर मुझे दबाया गया अनचाहा समझकर जैसे अब दबाया जा रहा हैं मलबे में पुरानी वस्तु समझकर मैं वस्तु नहीं विदित उसे भी पर उस के प्रयास में सामिल कई कौरव लालची बन कर ©Prerna Singh

#कोट्स #कौरव  हमें समाधान पसंद था उसे समस्या
उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत
मैं पारदर्शी वो डार्क
बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया
उसे बचा दिया
मिटना और मिटा देना दोनों अलग क्रियाएं हैं
परिणाम दोनों के अलग आएंगे
उस दिन कहां जाएगा 
शायद पिछले जन्म का कोई बुरा कर्म हैं
अगला पिछला कुछ होता नहीं 
जो होता हैं इसी जन्म का होता है  
तुम्हारा बोया हुआ अगला कटेगा 
अच्छा या बुरा तुम्हारे वजह से पाएगा
जैसे मैंने काटे थे 
बेटी के रुप में जन्म लेकर
मुझे दबाया गया अनचाहा समझकर
जैसे अब दबाया जा रहा हैं
मलबे में पुरानी वस्तु समझकर
मैं वस्तु नहीं विदित उसे भी
पर उस के प्रयास में सामिल कई कौरव
लालची बन कर

©Prerna Singh

हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा द

12 Love

#विचार  Beautiful Moon Night प्रेम
एक विलक्षण 
वस्तु है 
और हम कितनी. आसानी से 
उसकी ऊष्मा भरी लौ 
क़ो ख़ो देते  है

अर्थात  प्रेम की ज्योति विलीन 
हो जाती 
और हमारे पास उसका धुँवा
रह जाता है

©Arora PR

प्रेम एक बिलक्षण वस्तु

81 View

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।। ०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सीता छन्द
मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२
वर्ण :-  १५
राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।।
लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है ।
आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।।
१
भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं ।
दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।।
प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में ।
खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।।
२
प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो ।
प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।।
प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते ।
जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।।
३
प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये ।
प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।।
प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है ।
प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।।
०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।

14 Love

#विचार

किसी वस्तु को देखकर घृणा न करे

117 View

#मोटिवेशनल

अनदेखी वस्तु

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#Emotional मुफ्त में पाई हुई वस्तु इंसान उसकी वैल्यू नहीं करता । #Motivational #Poetry #poem #Emotional #Trending #Nojoto #Life #Life_experi

180 View

हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा देना दोनों अलग क्रियाएं हैं परिणाम दोनों के अलग आएंगे उस दिन कहां जाएगा शायद पिछले जन्म का कोई बुरा कर्म हैं अगला पिछला कुछ होता नहीं जो होता हैं इसी जन्म का होता है तुम्हारा बोया हुआ अगला कटेगा अच्छा या बुरा तुम्हारे वजह से पाएगा जैसे मैंने काटे थे बेटी के रुप में जन्म लेकर मुझे दबाया गया अनचाहा समझकर जैसे अब दबाया जा रहा हैं मलबे में पुरानी वस्तु समझकर मैं वस्तु नहीं विदित उसे भी पर उस के प्रयास में सामिल कई कौरव लालची बन कर ©Prerna Singh

#कोट्स #कौरव  हमें समाधान पसंद था उसे समस्या
उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत
मैं पारदर्शी वो डार्क
बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया
उसे बचा दिया
मिटना और मिटा देना दोनों अलग क्रियाएं हैं
परिणाम दोनों के अलग आएंगे
उस दिन कहां जाएगा 
शायद पिछले जन्म का कोई बुरा कर्म हैं
अगला पिछला कुछ होता नहीं 
जो होता हैं इसी जन्म का होता है  
तुम्हारा बोया हुआ अगला कटेगा 
अच्छा या बुरा तुम्हारे वजह से पाएगा
जैसे मैंने काटे थे 
बेटी के रुप में जन्म लेकर
मुझे दबाया गया अनचाहा समझकर
जैसे अब दबाया जा रहा हैं
मलबे में पुरानी वस्तु समझकर
मैं वस्तु नहीं विदित उसे भी
पर उस के प्रयास में सामिल कई कौरव
लालची बन कर

©Prerna Singh

हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा द

12 Love

#विचार  Beautiful Moon Night प्रेम
एक विलक्षण 
वस्तु है 
और हम कितनी. आसानी से 
उसकी ऊष्मा भरी लौ 
क़ो ख़ो देते  है

अर्थात  प्रेम की ज्योति विलीन 
हो जाती 
और हमारे पास उसका धुँवा
रह जाता है

©Arora PR

प्रेम एक बिलक्षण वस्तु

81 View

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।। ०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सीता छन्द
मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२
वर्ण :-  १५
राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।।
लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है ।
आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।।
१
भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं ।
दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।।
प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में ।
खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।।
२
प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो ।
प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।।
प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते ।
जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।।
३
प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये ।
प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।।
प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है ।
प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।।
०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।

14 Love

#विचार

किसी वस्तु को देखकर घृणा न करे

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