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New दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति Status, Photo, Video

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White उन लोगों से निरंतर दूरी बनाये रखे जो आपकी ज़िंदगी में सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति की सिद्धि के लिए बने हुए है। ©Bhupendra Rawat

#good_evening_images #विचार  White उन लोगों से निरंतर दूरी बनाये रखे 
जो आपकी ज़िंदगी में सिर्फ 
अपनी स्वार्थ पूर्ति की 
सिद्धि के लिए बने हुए है।

©Bhupendra Rawat

#good_evening_images उन लोगों से निरंतर दूरी बनाये रखे जो आपकी ज़िंदगी में सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति की सिद्धि के लिए बने हुए है।

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#मोटिवेशनल #car  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
गन्ने मे जहां गाँठ होती है, वहाँ 
रस नही होता, और जहाँ रस 
होता है, वहाँ गाँठ नही होती, 
ऐसे ही हमारे रिश्तों में जहां 
आपस में गांठ होती है, उस 
रिश्ते में रस नही सिर्फ़ 
खाना पूर्ति के अलावा 
कुछ भी नहीं होता।। 
जय श्री राधे कृष्ण जी

©N S Yadav GoldMine

#car {Bolo Ji Radhey Radhey} गन्ने मे जहां गाँठ होती है, वहाँ रस नही होता, और जहाँ रस होता है, वहाँ गाँठ नही होती, ऐसे ही हमारे रिश्तों म

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#भक्ति #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्

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White उन लोगों से निरंतर दूरी बनाये रखे जो आपकी ज़िंदगी में सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति की सिद्धि के लिए बने हुए है। ©Bhupendra Rawat

#good_evening_images #विचार  White उन लोगों से निरंतर दूरी बनाये रखे 
जो आपकी ज़िंदगी में सिर्फ 
अपनी स्वार्थ पूर्ति की 
सिद्धि के लिए बने हुए है।

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#मोटिवेशनल #car  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
गन्ने मे जहां गाँठ होती है, वहाँ 
रस नही होता, और जहाँ रस 
होता है, वहाँ गाँठ नही होती, 
ऐसे ही हमारे रिश्तों में जहां 
आपस में गांठ होती है, उस 
रिश्ते में रस नही सिर्फ़ 
खाना पूर्ति के अलावा 
कुछ भी नहीं होता।। 
जय श्री राधे कृष्ण जी

©N S Yadav GoldMine

#car {Bolo Ji Radhey Radhey} गन्ने मे जहां गाँठ होती है, वहाँ रस नही होता, और जहाँ रस होता है, वहाँ गाँठ नही होती, ऐसे ही हमारे रिश्तों म

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#भक्ति #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्

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