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New शिक्षकांच्या अर्जित रजा Status, Photo, Video

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इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो ©person

#Bhakti  इस संसार में 
एक इंसान भिखारी हैं 
क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं 
खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं 
हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं 
और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं 
सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं 
हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो

©person

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते है

13 Love

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

White हम शिक्षक ही नही, बल्कि विशेष शिक्षक है हम सब से अलग शिक्षक है, हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते, हम अपने बच्चो को समाज में नेक इंसान व्यवहार करना, खाना, पीना, उठाना, बैठना, बोलना ,चलना सिखाते है , समाज से उनका अधिकार दिलवाते है , और उस समय बहुत ही खुशी होती है , जब वह एक कदम भी स्वयं से चलता है स्वयं का काम स्वयं करे, किसी पर निर्भर न रहे । और समावेशी शिक्षा अर्जित करता है। और समानता के साथ प्राकृतिक रूप से अपना जीवन खुशी से यापन करता है । Happy teacher's day all of you विशेष शिक्षक ©Nimisha Mishra HI

#Motivational #teachers_day  White हम शिक्षक ही नही,
बल्कि
 विशेष शिक्षक है 
हम सब से अलग शिक्षक है,
 हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते,
 हम अपने बच्चो को समाज में नेक इंसान व्यवहार करना, 
खाना, पीना, उठाना, बैठना, बोलना ,चलना सिखाते है , 
समाज से उनका अधिकार दिलवाते है ,
और उस समय बहुत ही खुशी होती है ,
जब वह एक कदम
भी स्वयं से चलता है 
स्वयं का काम स्वयं करे, 
किसी पर निर्भर न रहे ।
और 
समावेशी शिक्षा अर्जित करता है।
और 
समानता के साथ प्राकृतिक रूप से 
अपना जीवन खुशी से यापन करता है ।
 Happy teacher's day all of you
विशेष शिक्षक

©Nimisha Mishra HI

#teachers_day हम शिक्षक ही नही, बल्कि विशेष शिक्षक है हम सब से अलग शिक्षक है, हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते, हम अपने बच्चो को समा

14 Love

तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकल सा देखना तो ठीक है फिर दीदार ना दो। तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकरार देखना तो ठीक है फिर करार ना दो तेरी रजा मेरे सर आंखों पे है मेरी जान.. तुम चाहते हो मुझे, यूं तड़पते देखना तो ठीक है फिर यूं प्यार ना दो।। ©Rimpi chaube

#ना_दो  तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकल सा देखना 
तो ठीक है फिर दीदार ना दो।
तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकरार देखना 
तो ठीक है फिर करार ना दो
तेरी रजा मेरे सर आंखों पे है मेरी जान..
तुम चाहते हो मुझे, यूं तड़पते देखना
तो ठीक है फिर यूं प्यार ना दो।।

©Rimpi chaube

#ना_दो ☺️ तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकल सा देखना तो ठीक है फिर दीदार ना दो। तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकरार देखना तो ठीक है फिर करार ना दो तेरी

14 Love

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो ©person

#Bhakti  इस संसार में 
एक इंसान भिखारी हैं 
क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं 
खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं 
हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं 
और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं 
सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं 
हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो

©person

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते है

13 Love

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

White हम शिक्षक ही नही, बल्कि विशेष शिक्षक है हम सब से अलग शिक्षक है, हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते, हम अपने बच्चो को समाज में नेक इंसान व्यवहार करना, खाना, पीना, उठाना, बैठना, बोलना ,चलना सिखाते है , समाज से उनका अधिकार दिलवाते है , और उस समय बहुत ही खुशी होती है , जब वह एक कदम भी स्वयं से चलता है स्वयं का काम स्वयं करे, किसी पर निर्भर न रहे । और समावेशी शिक्षा अर्जित करता है। और समानता के साथ प्राकृतिक रूप से अपना जीवन खुशी से यापन करता है । Happy teacher's day all of you विशेष शिक्षक ©Nimisha Mishra HI

#Motivational #teachers_day  White हम शिक्षक ही नही,
बल्कि
 विशेष शिक्षक है 
हम सब से अलग शिक्षक है,
 हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते,
 हम अपने बच्चो को समाज में नेक इंसान व्यवहार करना, 
खाना, पीना, उठाना, बैठना, बोलना ,चलना सिखाते है , 
समाज से उनका अधिकार दिलवाते है ,
और उस समय बहुत ही खुशी होती है ,
जब वह एक कदम
भी स्वयं से चलता है 
स्वयं का काम स्वयं करे, 
किसी पर निर्भर न रहे ।
और 
समावेशी शिक्षा अर्जित करता है।
और 
समानता के साथ प्राकृतिक रूप से 
अपना जीवन खुशी से यापन करता है ।
 Happy teacher's day all of you
विशेष शिक्षक

©Nimisha Mishra HI

#teachers_day हम शिक्षक ही नही, बल्कि विशेष शिक्षक है हम सब से अलग शिक्षक है, हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते, हम अपने बच्चो को समा

14 Love

तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकल सा देखना तो ठीक है फिर दीदार ना दो। तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकरार देखना तो ठीक है फिर करार ना दो तेरी रजा मेरे सर आंखों पे है मेरी जान.. तुम चाहते हो मुझे, यूं तड़पते देखना तो ठीक है फिर यूं प्यार ना दो।। ©Rimpi chaube

#ना_दो  तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकल सा देखना 
तो ठीक है फिर दीदार ना दो।
तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकरार देखना 
तो ठीक है फिर करार ना दो
तेरी रजा मेरे सर आंखों पे है मेरी जान..
तुम चाहते हो मुझे, यूं तड़पते देखना
तो ठीक है फिर यूं प्यार ना दो।।

©Rimpi chaube

#ना_दो ☺️ तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकल सा देखना तो ठीक है फिर दीदार ना दो। तुम चाहते हो मुझे,यूं बेकरार देखना तो ठीक है फिर करार ना दो तेरी

14 Love

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