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New तपन सिन्हा Status, Photo, Video

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 White सूरज की तपन हमें जला ना पाई
नदियों की लहरें हमें डूबा ना पाई
खुद पर भरोसा इतना है कि 
आंधी यो ने भी अपना रुख़ बदल दिया
पर हमारा हौसला डगमगा ना पाई

©vish

# सूरज की तपन

126 View

 🙂"दिखावे की खुशी"🙂 

दिल में दर्द और होठों पे हँसी ;
इसे कहते हैं दिखावे की खुशी ;
चाहे हो झूठी या हो फिर सच्ची, 
मुस्कराने में न हो कभी बेबसी ! 

प्रिया सिन्हा 𝟏𝟗. जून 𝟐𝟎𝟐𝟒.
(बुधवार)

©PRIYA SINHA

🙂"दिखावे की खुशी"🙂 दिल में दर्द और होठों पे हँसी ; इसे कहते हैं दिखावे की खुशी ; चाहे हो झूठी या हो फिर सच्ची, मुस्कराने में न हो कभी बेब

117 View

#कविता #rajdhani_night #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
छेड़ छाड़ प्रकृति से करके
नतीजे कैसे भयाभय आ रहे है
तपन सूरज की ऐसी बढ़ी
झुलस कर लोग तड़पने पर आ रहे है
ना बची कही छाँव ना पेड़ नजर आ रहे है
सपाट सब कुछ कर
विकास के झूठे गीत गा रहे है
नाज था कूलर एयरकंडीशनर पर
सब दम तोड़कर 
सूरज की तपन से परस्त नजर आ रहे है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#rajdhani_night सूरज की तपन से परस्त नजर आ रहे है #nojotohindi

144 View

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । नही पथ कोई हो दूजा ।। तपन सूरज की है भारी । झेलती दुनिया है सारी ।। हुए बेहाल जीव सारे । बरसते तन पे अंगारे ।। बने सज्जन हो तुम फिरते । बात भी मीठी हो करते ।। अधर पे सिर्फ टिकी लाली । हृदय में बस तेरे गाली ।। शोक उनका हो क्यों करते । पथिक बनकर जो हैं रहते ।। प्रखर यही राम की माया । नेह छोड़ो ये तन छाया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा ।

10 Love

#वीडियो

गर्मी का कहर, बढ़ गई तपन

117 View

#nightthoughts #hunarbaaz  White बैठा आग के पास मैं
सोच रहा एक ख्याल।

आग जल रही बाहर
भीतर जल रहा संसार।

 तपन किसकी अधिक झुलसाती
बाहर या भीतर की ये आग।

©Banarasi..

#nightthoughts बैठा आग के पास मैं सोच रहा एक ख्याल। आग जल रही बाहर भीतर जल रहा संसार।

153 View

 White सूरज की तपन हमें जला ना पाई
नदियों की लहरें हमें डूबा ना पाई
खुद पर भरोसा इतना है कि 
आंधी यो ने भी अपना रुख़ बदल दिया
पर हमारा हौसला डगमगा ना पाई

©vish

# सूरज की तपन

126 View

 🙂"दिखावे की खुशी"🙂 

दिल में दर्द और होठों पे हँसी ;
इसे कहते हैं दिखावे की खुशी ;
चाहे हो झूठी या हो फिर सच्ची, 
मुस्कराने में न हो कभी बेबसी ! 

प्रिया सिन्हा 𝟏𝟗. जून 𝟐𝟎𝟐𝟒.
(बुधवार)

©PRIYA SINHA

🙂"दिखावे की खुशी"🙂 दिल में दर्द और होठों पे हँसी ; इसे कहते हैं दिखावे की खुशी ; चाहे हो झूठी या हो फिर सच्ची, मुस्कराने में न हो कभी बेब

117 View

#कविता #rajdhani_night #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
छेड़ छाड़ प्रकृति से करके
नतीजे कैसे भयाभय आ रहे है
तपन सूरज की ऐसी बढ़ी
झुलस कर लोग तड़पने पर आ रहे है
ना बची कही छाँव ना पेड़ नजर आ रहे है
सपाट सब कुछ कर
विकास के झूठे गीत गा रहे है
नाज था कूलर एयरकंडीशनर पर
सब दम तोड़कर 
सूरज की तपन से परस्त नजर आ रहे है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#rajdhani_night सूरज की तपन से परस्त नजर आ रहे है #nojotohindi

144 View

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । नही पथ कोई हो दूजा ।। तपन सूरज की है भारी । झेलती दुनिया है सारी ।। हुए बेहाल जीव सारे । बरसते तन पे अंगारे ।। बने सज्जन हो तुम फिरते । बात भी मीठी हो करते ।। अधर पे सिर्फ टिकी लाली । हृदय में बस तेरे गाली ।। शोक उनका हो क्यों करते । पथिक बनकर जो हैं रहते ।। प्रखर यही राम की माया । नेह छोड़ो ये तन छाया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा ।

10 Love

#वीडियो

गर्मी का कहर, बढ़ गई तपन

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#nightthoughts #hunarbaaz  White बैठा आग के पास मैं
सोच रहा एक ख्याल।

आग जल रही बाहर
भीतर जल रहा संसार।

 तपन किसकी अधिक झुलसाती
बाहर या भीतर की ये आग।

©Banarasi..

#nightthoughts बैठा आग के पास मैं सोच रहा एक ख्याल। आग जल रही बाहर भीतर जल रहा संसार।

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