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गीत:- आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बाते करना बाद । जान रही हूँ आज तुझे मैं , करें न कोई याद ।। अपने महल दुमहले होवें , करता सब फरियाद । उनकी बातें भूल यहाँ तू , हो जा पहले टन्न । आई है घर में गौरैया...। कुल्लड़ में पानी है रख्खा , आज बुझाओ प्यास । दाना चुगकर नीम पेड़ पर, पुनः बना आवास ।। जब भी भूख लगे तुझको , आना मेरे पास । रख दूँगी सुनो मुंडेर पे , तेरी खातिर अन्न । आई है घर में गौरैया..... देख रही तू पहले जैसा , घर अब मेरा नाहि । बिल्ली कुत्ता दूर बहुत है , डरने को अब नाहि ।। जब भी तेरा जी चाहे अब , करना घर में सैर । किसी बात की फिकर नही अब , तुझे मिलेगा अन्न । आई है घर में गौरैया .... आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। ०५/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत:-
आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न ।
चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।।
आई है घर में गौरैया....

पहले चुग ले तू जी भरके , बाते करना बाद ।
जान रही हूँ आज तुझे मैं , करें न कोई याद ।।
अपने महल दुमहले होवें , करता सब फरियाद ।
उनकी बातें भूल यहाँ तू , हो जा पहले टन्न ।
आई है घर में गौरैया...।

कुल्लड़ में पानी है रख्खा , आज बुझाओ प्यास ।
दाना चुगकर नीम पेड़ पर, पुनः बना आवास ।।
जब भी भूख लगे तुझको , आना मेरे पास ।
रख दूँगी सुनो मुंडेर पे , तेरी खातिर अन्न ।
आई है घर में गौरैया.....

देख रही तू पहले जैसा , घर अब मेरा नाहि ।
बिल्ली कुत्ता दूर बहुत है , डरने को अब नाहि ।।
जब भी तेरा जी चाहे अब , करना घर में सैर ।
किसी बात की फिकर नही अब , तुझे मिलेगा अन्न ।
आई है घर में गौरैया ....

आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न ।
चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।।

०५/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बा

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शांत बैठकय देखना आंगन में चिड़ियों का दाना चुगना दुनिया ज़हान में बड़ा इससे कोई सुकून सुख ना ✨🐦✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya

#rajkumarsiwachiya #Jhumpa_Kalan #JhumpaKalan #Haryanvi #boatclub  शांत बैठकय देखना आंगन में 
चिड़ियों का दाना चुगना
दुनिया ज़हान में बड़ा इससे
कोई सुकून सुख ना
✨🐦✨♥️🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya

शांत बैठकय देखना आंगन में चिड़ियों का दाना चुगना दुनिया ज़हान में बड़ा इससे कोई सुकून सुख ना ✨🐦✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #boatclub

12 Love

माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर  यह पीर हमारी है ।। पढ़कर दौड़े आना  पाती हूँ लिखती अब छूट गया दाना ।। चाल चलूँ मतवाली  देखो तुम साजन हो अधरो पे लाली ।। पट आज उठा लेना बाते करने को ढ़ल जाये जब रैना ।। क्या प्रीति बिना फागुन भायेगा मुझको कुछ आकर कर अवगुन । २०/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  माहिया/टप्पा छन्द
दुनिया दुखयारी है
पाँव पडूँ गिरधर 
यह पीर हमारी है ।।
पढ़कर दौड़े आना 
पाती हूँ लिखती
अब छूट गया दाना ।।
चाल चलूँ मतवाली 
देखो तुम साजन
हो अधरो पे लाली ।।
पट आज उठा लेना
बाते करने को
ढ़ल जाये जब रैना ।।
क्या प्रीति बिना फागुन
भायेगा मुझको
कुछ आकर कर अवगुन ।
२०/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर  यह पीर हमारी है ।

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गीत:- आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बाते करना बाद । जान रही हूँ आज तुझे मैं , करें न कोई याद ।। अपने महल दुमहले होवें , करता सब फरियाद । उनकी बातें भूल यहाँ तू , हो जा पहले टन्न । आई है घर में गौरैया...। कुल्लड़ में पानी है रख्खा , आज बुझाओ प्यास । दाना चुगकर नीम पेड़ पर, पुनः बना आवास ।। जब भी भूख लगे तुझको , आना मेरे पास । रख दूँगी सुनो मुंडेर पे , तेरी खातिर अन्न । आई है घर में गौरैया..... देख रही तू पहले जैसा , घर अब मेरा नाहि । बिल्ली कुत्ता दूर बहुत है , डरने को अब नाहि ।। जब भी तेरा जी चाहे अब , करना घर में सैर । किसी बात की फिकर नही अब , तुझे मिलेगा अन्न । आई है घर में गौरैया .... आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। ०५/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत:-
आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न ।
चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।।
आई है घर में गौरैया....

पहले चुग ले तू जी भरके , बाते करना बाद ।
जान रही हूँ आज तुझे मैं , करें न कोई याद ।।
अपने महल दुमहले होवें , करता सब फरियाद ।
उनकी बातें भूल यहाँ तू , हो जा पहले टन्न ।
आई है घर में गौरैया...।

कुल्लड़ में पानी है रख्खा , आज बुझाओ प्यास ।
दाना चुगकर नीम पेड़ पर, पुनः बना आवास ।।
जब भी भूख लगे तुझको , आना मेरे पास ।
रख दूँगी सुनो मुंडेर पे , तेरी खातिर अन्न ।
आई है घर में गौरैया.....

देख रही तू पहले जैसा , घर अब मेरा नाहि ।
बिल्ली कुत्ता दूर बहुत है , डरने को अब नाहि ।।
जब भी तेरा जी चाहे अब , करना घर में सैर ।
किसी बात की फिकर नही अब , तुझे मिलेगा अन्न ।
आई है घर में गौरैया ....

आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न ।
चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।।

०५/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बा

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शांत बैठकय देखना आंगन में चिड़ियों का दाना चुगना दुनिया ज़हान में बड़ा इससे कोई सुकून सुख ना ✨🐦✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya

#rajkumarsiwachiya #Jhumpa_Kalan #JhumpaKalan #Haryanvi #boatclub  शांत बैठकय देखना आंगन में 
चिड़ियों का दाना चुगना
दुनिया ज़हान में बड़ा इससे
कोई सुकून सुख ना
✨🐦✨♥️🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya

शांत बैठकय देखना आंगन में चिड़ियों का दाना चुगना दुनिया ज़हान में बड़ा इससे कोई सुकून सुख ना ✨🐦✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #boatclub

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माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर  यह पीर हमारी है ।। पढ़कर दौड़े आना  पाती हूँ लिखती अब छूट गया दाना ।। चाल चलूँ मतवाली  देखो तुम साजन हो अधरो पे लाली ।। पट आज उठा लेना बाते करने को ढ़ल जाये जब रैना ।। क्या प्रीति बिना फागुन भायेगा मुझको कुछ आकर कर अवगुन । २०/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  माहिया/टप्पा छन्द
दुनिया दुखयारी है
पाँव पडूँ गिरधर 
यह पीर हमारी है ।।
पढ़कर दौड़े आना 
पाती हूँ लिखती
अब छूट गया दाना ।।
चाल चलूँ मतवाली 
देखो तुम साजन
हो अधरो पे लाली ।।
पट आज उठा लेना
बाते करने को
ढ़ल जाये जब रैना ।।
क्या प्रीति बिना फागुन
भायेगा मुझको
कुछ आकर कर अवगुन ।
२०/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर  यह पीर हमारी है ।

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