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#SAD

शब्द

171 View

#शब्द  White अक्षर अक्षर मिलकर
बन जाते हैं शब्द।
शब्द शब्द मिलकर
कहते मन का दर्द।।

कभी छंद में ढ़लकर
बन जाते हैं गीत।
कभी कहानी बनकर
दिखलाते हैं प्रीत।।

कभी दोजख दिखलाते
कभी जन्नत से मिलवाते।
दुःख सुख दोनों ही से
अपना रिश्ता निभाते।

अक्षर ही से 'राम' बनता
अक्षर ही से बने रहिम।
जाति-धर्म भेदभाव नहीं
न कोई हिन्दू मुस्लिम।।
- निलम

©Nilam Agarwalla

#शब्द

153 View

#शब्द  White शब्द

शब्दच सुख,शब्दच दुःख,
शब्दच आहे भावना..
शब्दातच आयुष्य आपले,
सामावले आहे रे मना...

शब्दच हसवतात, शब्दच रडवतात,
शब्दच घेतात परीक्षा आयुष्याची..
शब्दाविना व्यर्थ सर्व,
नाही मजा जीवन जगण्याची..

शब्दच आहे प्रेम,शब्दच द्वेष आहे,
शब्द म्हणजे देवाने,आपल्याला दिलेले वरदान आहे..

म्हणून वापरा शब्द जपून आपले,
दुखऊ नका कोणाचे मन..
आयुष्यात परत येणार नाही,
निघून गेलेले क्षण..

©Priyanka Jaiswal

#शब्द

135 View

#beingoriginal #nojotohindi #Dard #jeet

तुम्हारे तन से #nojotohindi #beingoriginal #Dard #jeet

297 View

#भक्ति #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ 
और आनंदमय है. आनंद बाहर 
से नहीं आता, आनन्द ही 
भगवान श्री कृष्ण जी  का 
पर्यायवाची नाम है।।

©N S Yadav GoldMine

#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य

108 View

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे वहाँ कर्मों से गणित मन का होता पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम होता..... वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को... ©Mahadev Son

 आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से 
मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे 
वहाँ कर्मों से गणित मन का होता 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से
मन को भी न मालूम होता.....

वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को...

©Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर

13 Love

#SAD

शब्द

171 View

#शब्द  White अक्षर अक्षर मिलकर
बन जाते हैं शब्द।
शब्द शब्द मिलकर
कहते मन का दर्द।।

कभी छंद में ढ़लकर
बन जाते हैं गीत।
कभी कहानी बनकर
दिखलाते हैं प्रीत।।

कभी दोजख दिखलाते
कभी जन्नत से मिलवाते।
दुःख सुख दोनों ही से
अपना रिश्ता निभाते।

अक्षर ही से 'राम' बनता
अक्षर ही से बने रहिम।
जाति-धर्म भेदभाव नहीं
न कोई हिन्दू मुस्लिम।।
- निलम

©Nilam Agarwalla

#शब्द

153 View

#शब्द  White शब्द

शब्दच सुख,शब्दच दुःख,
शब्दच आहे भावना..
शब्दातच आयुष्य आपले,
सामावले आहे रे मना...

शब्दच हसवतात, शब्दच रडवतात,
शब्दच घेतात परीक्षा आयुष्याची..
शब्दाविना व्यर्थ सर्व,
नाही मजा जीवन जगण्याची..

शब्दच आहे प्रेम,शब्दच द्वेष आहे,
शब्द म्हणजे देवाने,आपल्याला दिलेले वरदान आहे..

म्हणून वापरा शब्द जपून आपले,
दुखऊ नका कोणाचे मन..
आयुष्यात परत येणार नाही,
निघून गेलेले क्षण..

©Priyanka Jaiswal

#शब्द

135 View

#beingoriginal #nojotohindi #Dard #jeet

तुम्हारे तन से #nojotohindi #beingoriginal #Dard #jeet

297 View

#भक्ति #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ 
और आनंदमय है. आनंद बाहर 
से नहीं आता, आनन्द ही 
भगवान श्री कृष्ण जी  का 
पर्यायवाची नाम है।।

©N S Yadav GoldMine

#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य

108 View

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे वहाँ कर्मों से गणित मन का होता पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम होता..... वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को... ©Mahadev Son

 आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से 
मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे 
वहाँ कर्मों से गणित मन का होता 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से
मन को भी न मालूम होता.....

वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को...

©Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर

13 Love

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