अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग ।
वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।।
अबके फागुन मीत मिलेंगे...
छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद ।
हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।।
छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग ।
अबके फागुन मीत मिलेंगे....
मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल ।
नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।।
तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग ।
अबके फागुन मीत मिलेंगे....
चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग ।
दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।।
उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग ।
अबके फिगुन मीत मिलेंगे....
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग ।
वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।।
०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
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