tags

New अन्तस् का अर्थ Status, Photo, Video

Find the latest Status about अन्तस् का अर्थ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about अन्तस् का अर्थ.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#Motivational #motivatation #status #story #Gym  White अन्तो नास्ति पिपासायाः ।

अर्थ : तृष्णा का अन्त नहीं है ।

©Ganesh joshi

#shayari अन्तो नास्ति पिपासायाः । अर्थ : तृष्णा का अन्त नहीं है । #story #status #motivatation #Gym

225 View

#विचार #Video #Sorts #Real

योग का अर्थ अपने आत्म रूप में स्थापित होना । Yogi Sonu #Sorts #Real #Video

108 View

#कविता #emotionalstory #अर्थ
#अन्तस् #शायरी  *हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं*
*जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है।*
 * 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर*
*के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और*
*ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो।*
 पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे*
*महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है।*
*फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,*
*उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर*
*खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे*
*अन्दर चमत्कार हो उठेगा।*
*पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे* 
*कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं* 
*और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं,* 
*अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर*
*के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग* 
*फीके पड़ जाएंगे।*
फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।*
*तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा।*

©Andy Mann
#अन्तस् #शायरी  *हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं*
*जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है।*
 * 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर*
*के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और*
*ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो।*
 पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे*
*महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है।*
*फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,*
*उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर*
*खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे*
*अन्दर चमत्कार हो उठेगा।*
*पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे* 
*कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं* 
*और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं,* 
*अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर*
*के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग* 
*फीके पड़ जाएंगे।*
फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।*
*तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा।*

©Andy Mann
#अन्तस् #शायरी  'शब्द' की ध्वनि तो हम सबके हृदय में जन्म से ही जारी हो जाती है और आखरी सांस तक नहीं रुकती। प्रभुधाम से पैदा होने वाली यह 'दिव्यधुन' जीव के अत्यधिक निकट है। इसके बावजूद उस कल्याणकारी संगीत से वंचित रह जाना हमारा दुर्भाग्य है।
    हमारे कमरे में टाइम पीस रखा हो, तो दिनभर बाहर के शोरगुल के कारण हमें उसकी लगातार हो रही टिकटिक सुनाई नहीं देती। परंतु जब रात होती है और बाहर का शोर खत्म हो जाता है, उसी टिकटिक का ऊंचा स्वर हमारा सोना दूभर कर देता है।
    "शब्दधुन" सुनने के लिए जिज्ञासु को बाहरी आवाजों की तरफ से अपने कान बंद कर लेने चाहिए और अंदर के सूक्ष्म कानों से शब्दधुन को सुनना चाहिए।

©Andy Mann

#अन्तस् की खोज

909 View

#Motivational #motivatation #status #story #Gym  White अन्तो नास्ति पिपासायाः ।

अर्थ : तृष्णा का अन्त नहीं है ।

©Ganesh joshi

#shayari अन्तो नास्ति पिपासायाः । अर्थ : तृष्णा का अन्त नहीं है । #story #status #motivatation #Gym

225 View

#विचार #Video #Sorts #Real

योग का अर्थ अपने आत्म रूप में स्थापित होना । Yogi Sonu #Sorts #Real #Video

108 View

#कविता #emotionalstory #अर्थ
#अन्तस् #शायरी  *हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं*
*जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है।*
 * 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर*
*के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और*
*ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो।*
 पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे*
*महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है।*
*फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,*
*उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर*
*खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे*
*अन्दर चमत्कार हो उठेगा।*
*पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे* 
*कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं* 
*और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं,* 
*अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर*
*के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग* 
*फीके पड़ जाएंगे।*
फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।*
*तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा।*

©Andy Mann
#अन्तस् #शायरी  *हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं*
*जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है।*
 * 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर*
*के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और*
*ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो।*
 पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे*
*महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है।*
*फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,*
*उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर*
*खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे*
*अन्दर चमत्कार हो उठेगा।*
*पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे* 
*कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं* 
*और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं,* 
*अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर*
*के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग* 
*फीके पड़ जाएंगे।*
फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।*
*तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा।*

©Andy Mann
#अन्तस् #शायरी  'शब्द' की ध्वनि तो हम सबके हृदय में जन्म से ही जारी हो जाती है और आखरी सांस तक नहीं रुकती। प्रभुधाम से पैदा होने वाली यह 'दिव्यधुन' जीव के अत्यधिक निकट है। इसके बावजूद उस कल्याणकारी संगीत से वंचित रह जाना हमारा दुर्भाग्य है।
    हमारे कमरे में टाइम पीस रखा हो, तो दिनभर बाहर के शोरगुल के कारण हमें उसकी लगातार हो रही टिकटिक सुनाई नहीं देती। परंतु जब रात होती है और बाहर का शोर खत्म हो जाता है, उसी टिकटिक का ऊंचा स्वर हमारा सोना दूभर कर देता है।
    "शब्दधुन" सुनने के लिए जिज्ञासु को बाहरी आवाजों की तरफ से अपने कान बंद कर लेने चाहिए और अंदर के सूक्ष्म कानों से शब्दधुन को सुनना चाहिए।

©Andy Mann

#अन्तस् की खोज

909 View

Trending Topic