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 चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना
हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए

©ABRAR

चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए - अबरार Reeda

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#_कविता_असरार_की_ #_असरार_जौनपुरी_ #कविता #Emotional  डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी -

डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी   क्या बताएं डेमोक्रेसी 
देख रहे हैं डेमोक्रेसी  फर्जी नारों की डेमोक्रेसी
जुमलेबाजी की डेमोक्रेसी मंदबुद्धि की डेमोक्रेसी
मरी मीडिया की डेमोक्रेसी अराजकता की डेमोक्रेसी
सत्ता लूट की डेमोक्रेसी फर्जी विचारधारा की डेमोक्रेसी
दक्षिणपंथी डेमोक्रेसी वामपंथ की डेमोक्रेसी
मुख्यधारा की डेमोक्रेसी अजब गजब डेमोक्रेसी
रंग बिरंगी डेमोक्रेसी ब्लैक एंड व्हाइट डेमोक्रेसी
लूट रही है डेमोक्रेसी हंस रही है डेमोक्रेसी
बर्बरता की डेमोक्रेसी रोज लूटे है डेमोक्रेसी 
रोज पीटे है डेमोक्रेसी हमारी अपनी डेमोक्रेसी
गुंडागर्दी की डेमोक्रेसी गैर कानूनी डेमोक्रेसी
चीख रही है डेमोक्रेसी घुट रही है डेमोक्रेसी
दम तोड़ती डेमोक्रेसी चौकी थाने की डेमोक्रेसी
माफिया की अपनी डेमोक्रेसी नकल माफिया की डेमोक्रेसी
अपराध उद्योग की डेमोक्रेसी कॉरपोरेट फंडिंग की डेमोक्रेसी
इलेक्टोरल बांड की डेमोक्रेसी ऐसी नौटंकी डेमोक्रेसी
न्याय में बिकती डेमोक्रेसी झूठ नहीं है ये डेमोक्रेसी
मजबूर हुई है डेमोक्रेसी मजबूत हुई है डेमोक्रेसी
शांत सब सहती डेमोक्रेसी कुछ न कहती डेमोक्रेसी
सबके दिल में डेमोक्रेसी न रोती हंसती डेमोक्रेसी
ऐसी हो गई डेमोक्रेसी रंग बेरंग की डेमोक्रेसी
नॉर्वे डेनमार्क की डेमोक्रेसी ऐसी ना अपनी डेमोक्रेसी
ऐसी ही यहां की डेमोक्रेसी चंचल मन की डेमोक्रेसी
कविता असरार की डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी

©Harshvardhan असरार जौनपुरी

#Emotional डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी - डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी क्या बताएं डेमोक्रेसी देख रहे हैं डेमोक्रेसी फर्जी नारों की डेमोक्रेसी जुमल

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ग़ज़ल :- बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१ हमारे सामने गिरधर खड़े हैं । सकल संसार के रहबर खड़े हैं ।।२ करें कैसे तुम्हारा मान अब हम । पलटकर देखिए झुककर खड़े हैं ।३ डरूँ क्यूँ आँधियों को देखकर मैं । अभी पीछे मेरे गुरुवर खड़े हैं ।।४ मसीहा जो बताते थे खुदी को । वही अब देख बुत बनकर खड़े हैं ।।५ अभी तुम बात मत करना कोई भी । हमारे साथ सब सहचर खड़े हैं ।।६ मिली है योग्यता से नौकरी यह । तभी तो सामने तन कर खड़े हैं ।।७ पकड़ लो हाथ तुम अब तो किसी का । तुम्हारे योग्य इतने वर खड़े हैं ।।८ निभाओ तो प्रखर वादा कभी अब । अभी तक देखिए छत पर खड़े हैं ।। २६/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं
कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१
हमारे सामने गिरधर खड़े हैं ।
सकल संसार के रहबर खड़े हैं ।।२
करें कैसे तुम्हारा मान अब हम ।
पलटकर देखिए झुककर खड़े हैं ।३
डरूँ क्यूँ आँधियों को देखकर मैं ।
अभी पीछे मेरे गुरुवर खड़े हैं ।।४
मसीहा जो बताते थे खुदी को ।
वही अब देख बुत बनकर खड़े हैं ।।५
अभी तुम बात मत करना कोई भी ।
हमारे साथ सब सहचर खड़े हैं ।।६
मिली है योग्यता से नौकरी यह ।
तभी तो सामने तन कर खड़े हैं ।।७
पकड़ लो हाथ तुम अब तो किसी का ।
तुम्हारे योग्य इतने वर खड़े हैं ।।८
निभाओ तो प्रखर वादा कभी अब ।
अभी तक देखिए छत पर खड़े हैं ।।
२६/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१ हमारे सामने गिरधर खड़े हैं ।

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#कॉमेडी

सिलेंडर ना पूछो, पेट्रोल ना पूछो, अस्पताल ना पूछो, स्कूल ना पूछो, नौकरी ना पूछो, बस गुणगान करो वरना हिंदू खतरे में आ जाएगा..

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#ज़िन्दगी #Motivation #Running #Gym  एक नौकरी के चक्कर में पूरी जिंदगी की शौक खत्म हो जात हैं दोस्त

©black chhora 2x up41

# एक नौकरी के चक्कर में पूरी जिंदगी की शौक खत्म हो जात हैं दोस्त ...#Gym #Motivation #Running

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#ज़िन्दगी #ReachingTop #Motivation #Running #Gym

एक नौकरी के चक्कर में पूरी जिंदगी की शौक खत्म हो जात हैं दोस्त ...#Gym #Motivation #Running #ReachingTop

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 चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना
हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए

©ABRAR

चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए - अबरार Reeda

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#_कविता_असरार_की_ #_असरार_जौनपुरी_ #कविता #Emotional  डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी -

डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी   क्या बताएं डेमोक्रेसी 
देख रहे हैं डेमोक्रेसी  फर्जी नारों की डेमोक्रेसी
जुमलेबाजी की डेमोक्रेसी मंदबुद्धि की डेमोक्रेसी
मरी मीडिया की डेमोक्रेसी अराजकता की डेमोक्रेसी
सत्ता लूट की डेमोक्रेसी फर्जी विचारधारा की डेमोक्रेसी
दक्षिणपंथी डेमोक्रेसी वामपंथ की डेमोक्रेसी
मुख्यधारा की डेमोक्रेसी अजब गजब डेमोक्रेसी
रंग बिरंगी डेमोक्रेसी ब्लैक एंड व्हाइट डेमोक्रेसी
लूट रही है डेमोक्रेसी हंस रही है डेमोक्रेसी
बर्बरता की डेमोक्रेसी रोज लूटे है डेमोक्रेसी 
रोज पीटे है डेमोक्रेसी हमारी अपनी डेमोक्रेसी
गुंडागर्दी की डेमोक्रेसी गैर कानूनी डेमोक्रेसी
चीख रही है डेमोक्रेसी घुट रही है डेमोक्रेसी
दम तोड़ती डेमोक्रेसी चौकी थाने की डेमोक्रेसी
माफिया की अपनी डेमोक्रेसी नकल माफिया की डेमोक्रेसी
अपराध उद्योग की डेमोक्रेसी कॉरपोरेट फंडिंग की डेमोक्रेसी
इलेक्टोरल बांड की डेमोक्रेसी ऐसी नौटंकी डेमोक्रेसी
न्याय में बिकती डेमोक्रेसी झूठ नहीं है ये डेमोक्रेसी
मजबूर हुई है डेमोक्रेसी मजबूत हुई है डेमोक्रेसी
शांत सब सहती डेमोक्रेसी कुछ न कहती डेमोक्रेसी
सबके दिल में डेमोक्रेसी न रोती हंसती डेमोक्रेसी
ऐसी हो गई डेमोक्रेसी रंग बेरंग की डेमोक्रेसी
नॉर्वे डेनमार्क की डेमोक्रेसी ऐसी ना अपनी डेमोक्रेसी
ऐसी ही यहां की डेमोक्रेसी चंचल मन की डेमोक्रेसी
कविता असरार की डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी

©Harshvardhan असरार जौनपुरी

#Emotional डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी - डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी क्या बताएं डेमोक्रेसी देख रहे हैं डेमोक्रेसी फर्जी नारों की डेमोक्रेसी जुमल

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ग़ज़ल :- बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१ हमारे सामने गिरधर खड़े हैं । सकल संसार के रहबर खड़े हैं ।।२ करें कैसे तुम्हारा मान अब हम । पलटकर देखिए झुककर खड़े हैं ।३ डरूँ क्यूँ आँधियों को देखकर मैं । अभी पीछे मेरे गुरुवर खड़े हैं ।।४ मसीहा जो बताते थे खुदी को । वही अब देख बुत बनकर खड़े हैं ।।५ अभी तुम बात मत करना कोई भी । हमारे साथ सब सहचर खड़े हैं ।।६ मिली है योग्यता से नौकरी यह । तभी तो सामने तन कर खड़े हैं ।।७ पकड़ लो हाथ तुम अब तो किसी का । तुम्हारे योग्य इतने वर खड़े हैं ।।८ निभाओ तो प्रखर वादा कभी अब । अभी तक देखिए छत पर खड़े हैं ।। २६/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं
कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१
हमारे सामने गिरधर खड़े हैं ।
सकल संसार के रहबर खड़े हैं ।।२
करें कैसे तुम्हारा मान अब हम ।
पलटकर देखिए झुककर खड़े हैं ।३
डरूँ क्यूँ आँधियों को देखकर मैं ।
अभी पीछे मेरे गुरुवर खड़े हैं ।।४
मसीहा जो बताते थे खुदी को ।
वही अब देख बुत बनकर खड़े हैं ।।५
अभी तुम बात मत करना कोई भी ।
हमारे साथ सब सहचर खड़े हैं ।।६
मिली है योग्यता से नौकरी यह ।
तभी तो सामने तन कर खड़े हैं ।।७
पकड़ लो हाथ तुम अब तो किसी का ।
तुम्हारे योग्य इतने वर खड़े हैं ।।८
निभाओ तो प्रखर वादा कभी अब ।
अभी तक देखिए छत पर खड़े हैं ।।
२६/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१ हमारे सामने गिरधर खड़े हैं ।

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#कॉमेडी

सिलेंडर ना पूछो, पेट्रोल ना पूछो, अस्पताल ना पूछो, स्कूल ना पूछो, नौकरी ना पूछो, बस गुणगान करो वरना हिंदू खतरे में आ जाएगा..

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#ज़िन्दगी #Motivation #Running #Gym  एक नौकरी के चक्कर में पूरी जिंदगी की शौक खत्म हो जात हैं दोस्त

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# एक नौकरी के चक्कर में पूरी जिंदगी की शौक खत्म हो जात हैं दोस्त ...#Gym #Motivation #Running

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#ज़िन्दगी #ReachingTop #Motivation #Running #Gym

एक नौकरी के चक्कर में पूरी जिंदगी की शौक खत्म हो जात हैं दोस्त ...#Gym #Motivation #Running #ReachingTop

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