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New महाभारत अभिमन्यु वध Status, Photo, Video

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#कोट्स #sad_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 
📜 भीमसेन का गान्‍धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मॉंगना, युधिष्ठिर का अपना अपराध स्‍वीकार करना, गान्‍धारी के दृष्टिपात से युधिष्ठिर के पैरों के नखों का काला पड़ जाना, अर्जुन का भयभीत होकर श्रीकृष्‍ण के पीछे छिप जाना, पाण्‍डवों का अपनी माता से मिलना, द्रौपदी का विलाप, कुन्‍ती का आश्‍वासन तथा गान्‍धारी का उन दोनोंको धीरज बँधाना.
📜 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं-जनमेजय ! गान्‍धारी की यह बात सुनकर भीमसेन नें डरे हुए की भॉंति विनय पूर्वक उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा। माताजी ! यह अधर्म हो या धर्म मैंने दुर्योधन से डरकर अपने प्राण बचाने के लिये ही वहॉं ऐसा किया था अत: आप मेरे उस अपराध को क्षमा कर दें। 
📜 आपके उस महाबली पुत्र को कोई भी धर्मानु कूल युद्ध करके मारने का साहस नहीं कर सकता था अत: मैंने विषमता पूर्ण बर्ताव किया। पहले उसने भी अधर्मसे ही राजा युघिष्ठिर को जीता था और हम लोगों के साथ सदा धोखा किया था, इसलिये मैंने भी उसके साथ विषम बर्ताव किया। कौरव सेना का एक मात्र बचा हुआ यह पराक्रमी वीर गदा युद्ध के द्वारा मुझे मारकर पुन: सारा राज्‍य हर न ले, 
📜 इसी आशड्का़ से मैंने वह अयोग्‍य बर्ताव किया था। राजकुमारी द्रौपदी से, जो एक वस्‍त्र धारण किये रजस्‍वला अवस्‍था में थी, आपके पुत्र ने जो कुछ कहा था, वह सब आप जानती हैं। दुर्योधन का संहार किये बिना हम लोग निष्‍कण्‍टक प्रथ्‍वी का राज्‍य नहीं भोग सकते थे, इसलिये मैंने यह अयोग्‍य कार्य किया। 
📜 आपक ेपुत्र ने तो हम सब लोगों का इससे भी बढ़कर अप्रिय कि‍या था कि उसने भरी सभा में द्रौपदी को अपनी बॉंयी जॉंघ दिखायी। आपके उस दुराचारी पुत्र को तो हमें उसी समय मार डालना चाहिये था, परंतु धर्मराज की आज्ञा से हम लोग समय के बन्‍धन में बँधकर चुप रह गये। 
📜 रानी ! आपके पुत्र ने उस महान् वैर की आग को और भी प्रज्‍वलित कर दिया और हमें वन में भेजकर सदा क्‍लेश पहुँचाया इसीलिये हमने उसके साथ ऐसा व्‍यवहार किया है। रणभूमि में दुर्योधन का वध करके हमलोग इस वैर से पार हो गये। राजा युधिष्ठिर को राज्‍य मिल गया और हम लोगों का क्रोध शान्‍त हो गया।
📜 गान्धार्युवाच गान्‍धारी बोलीं –तात ! तुम मेरे पुत्र की इतनी प्रशंसा कर रहे हो इसलिये यह उसका वध नहीं हुआ (वह अपने यशोमय शरीर से अमर है) और मेरे सामने तुम जो कुछ कह रहे हो, वह सारा अपराध दुर्योधनbने अवश्‍य किया है। भारत ! परंतु वृषसेन ने जब नकुल के घोड़ो को मारकर उसे रथहीन कर दिया था, 
📜 उस समय तुमने युद्ध में दु:शासन -को मारकर जो उसका खून पी लिया, वह सत्‍पुरुषों द्वारा निन्दित और नीच पुरुषों द्वारा सेवित घोर क्रूरता पूर्ण कर्म है। वृकोदर ! तुमने वही क्रूर कार्य किया है, इसलिये तुम्‍हारे द्वारा सत्‍यन्‍त अयोग्‍य कर्म बन गया है। भीमसेन उवाच भीमसेन बोले—माताजी ! दूसरे का भी खून नहीं पीना चाहिये फिर अपना ही खून कोई कैसे पी सकता है ? 
📜 जैसे अपना शरीर है, वैसे ही भाई का शरीर है।अपने में और भाई में कोई अन्‍तर नहीं है। मॉं ! आप शोक न करें। वह खून मेरे दॉंतो और ओठों को लॉंघकर आगे नहीं जा सका था। इस बात को सूर्य-पुत्र यमराज जानते हैं, कि केवल मेरे दोनों हाथ ही रक्‍त में सने हुए थे। 
📜 युद्ध में वृषसेन के द्वारा नकुल के घोड़ो को मारा गया देख जो दु:शासन के सभी भाई हर्ष से उल्‍लसित हो उठे थे, उनके मनमें वैसा करके मैंने केवल त्रास उत्‍पन्न किया था। द्यतक्रीडा के समय जब द्रौपदी का केश खींचा गया, उस समय क्रोध में भरकर मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, उसकी याद हमारे हृदय में बराबर बनी रहती थी।

©N S Yadav GoldMine

#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्‍त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्‍धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्

99 View

#कविता  White एक बार फिर सुनाई पढ़ने लगी है 
आतत्ताई कोरवो की  दहाड़े...... लगता है एक 
नया महाभरत  फिर जन्म  लें रहा है 
लेकिन  हथियार  दोनों पक्षों के ( तल वार भाले बंदूके और तिर्कमान ) आदि क़ो तो 
जंग लग चुका है 
लगता है अब तो केवल  रसायनिक हथियारों से ही युद्ध लड़ना पड़ेगा जो सक्षम है  आदमी और उसकी आने वाली नस्लों का संहार करने में 

और ये भी संभावना नही रही कि इस युद्ध में कृष्ण भी आकर भाग लेंगे 
क्योंकि उनका सुदर्शन चकर भी जंग खाकर तिथि बाहय हो चुका है

©Arora PR

महाभारत द्वितीय

135 View

#रामधारी_सिंह_दिनकर #महाभारत #कविता  वसुधा का नेता कौन हुआ?


भूखण्ड-विजेता कौन हुआ?
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ?
जिसने न कभी आराम किया,
विघ्नों में रहकर नाम किया।

जब विघ्न सामने आते हैं,
सोते से हमें जगाते हैं,
मन को मरोड़ते हैं पल-पल,
तन को झँझोरते हैं पल-पल।
सत्पथ की ओर लगाकर ही,
जाते हैं हमें जगाकर ही।

वाटिका और वन एक नहीं,
आराम और रण एक नहीं।
वर्षा, अंधड़, आतप अखंड,
पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड।
वन में प्रसून तो खिलते हैं,
बागों में शाल न मिलते हैं।

कङ्करियाँ जिनकी सेज सुघर,
छाया देता केवल अम्बर,
विपदाएँ दूध पिलाती है
लोरी आँधियाँ सुनाती हैं।
जो लाक्षा-गृह में जलते हैं,
वे ही शूरमा निकलते हैं।

बढ़कर विपत्तियों पर छा जा,
मेरे किशोर! मेरे ताजा!
जीवन का रस छन जाने दे,
तन को पत्थर बन जाने दे।
तू स्वयं तेज भयकारी है,
क्या कर सकती चिनगारी है?

~ रामधारी सिंह दिनकर

©rahul_the_adrito_
#शायरी #कृष्ण  White रिश्तों संबंधों धर्मो का बेख़ौफ़ तिज़ारत होता है
कृष्ण, अब बिना तुम्हारे ही  महाभारत  होता है.

©malay_28

#कृष्ण बिना महाभारत

144 View

#सर्वशक्तिमान #नवरात्रि2024 #शक्तिशाली #स्कंदमाता #नवरात्रि #भक्ति  
 जिसकी पूजा नवरात्रि के ,पांचवें दिन होती है ।
जिसके समान  ,सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं है ।।

कमल आसन पर विराजती, सिंह जिनकी सवारी है।
  होंठों पर मृदुल मुस्कान , अदम्य साहसी नारी है ।।

माता पार्वती ने धारण , वो पांचवां रुप मां का किया ।
पुत्र स्कंद को शिक्षित करने हेतु , स्कंदमाता बनी ।।

तारकासुर के अत्याचारों से , जब जग त्रस्त हुआ ।
इंद्रादिक देवगण स्वर्ग छोड़े , उससे परास्त हुए ।।

उसे शिवपुत्र के हाथों वध का , उनको वरदान मिला था ।
तब शिवपुत्र के रूप में ,  अवतार स्कंद का हुआ ।।

उसी स्कंद को शिक्षित करने  हेतु आई स्कंदमाता ।
अति सौम्य,अति शक्तिशाली , अति दयालु माता है ।।

श्वेत वस्त्र, श्वेत भोग , स्कंदमाता को अति प्रिय है ।
 स्कंदमाता की नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा करें ।।

हर विपदा दूर होगी ,  हर मुश्किलें परास्त होगी ।
मां अपने भक्तों को सदा , आश्वस्त करती है ।।

©Shivkumar

#navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं

144 View

तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा। ©||स्वयं लेखन||

#विचार #Life_experience #achievement #thought  तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की 
महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा।

©||स्वयं लेखन||

तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा। #achievement #Life #Life_experience #thought #Poetry

14 Love

#कोट्स #sad_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 
📜 भीमसेन का गान्‍धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मॉंगना, युधिष्ठिर का अपना अपराध स्‍वीकार करना, गान्‍धारी के दृष्टिपात से युधिष्ठिर के पैरों के नखों का काला पड़ जाना, अर्जुन का भयभीत होकर श्रीकृष्‍ण के पीछे छिप जाना, पाण्‍डवों का अपनी माता से मिलना, द्रौपदी का विलाप, कुन्‍ती का आश्‍वासन तथा गान्‍धारी का उन दोनोंको धीरज बँधाना.
📜 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं-जनमेजय ! गान्‍धारी की यह बात सुनकर भीमसेन नें डरे हुए की भॉंति विनय पूर्वक उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा। माताजी ! यह अधर्म हो या धर्म मैंने दुर्योधन से डरकर अपने प्राण बचाने के लिये ही वहॉं ऐसा किया था अत: आप मेरे उस अपराध को क्षमा कर दें। 
📜 आपके उस महाबली पुत्र को कोई भी धर्मानु कूल युद्ध करके मारने का साहस नहीं कर सकता था अत: मैंने विषमता पूर्ण बर्ताव किया। पहले उसने भी अधर्मसे ही राजा युघिष्ठिर को जीता था और हम लोगों के साथ सदा धोखा किया था, इसलिये मैंने भी उसके साथ विषम बर्ताव किया। कौरव सेना का एक मात्र बचा हुआ यह पराक्रमी वीर गदा युद्ध के द्वारा मुझे मारकर पुन: सारा राज्‍य हर न ले, 
📜 इसी आशड्का़ से मैंने वह अयोग्‍य बर्ताव किया था। राजकुमारी द्रौपदी से, जो एक वस्‍त्र धारण किये रजस्‍वला अवस्‍था में थी, आपके पुत्र ने जो कुछ कहा था, वह सब आप जानती हैं। दुर्योधन का संहार किये बिना हम लोग निष्‍कण्‍टक प्रथ्‍वी का राज्‍य नहीं भोग सकते थे, इसलिये मैंने यह अयोग्‍य कार्य किया। 
📜 आपक ेपुत्र ने तो हम सब लोगों का इससे भी बढ़कर अप्रिय कि‍या था कि उसने भरी सभा में द्रौपदी को अपनी बॉंयी जॉंघ दिखायी। आपके उस दुराचारी पुत्र को तो हमें उसी समय मार डालना चाहिये था, परंतु धर्मराज की आज्ञा से हम लोग समय के बन्‍धन में बँधकर चुप रह गये। 
📜 रानी ! आपके पुत्र ने उस महान् वैर की आग को और भी प्रज्‍वलित कर दिया और हमें वन में भेजकर सदा क्‍लेश पहुँचाया इसीलिये हमने उसके साथ ऐसा व्‍यवहार किया है। रणभूमि में दुर्योधन का वध करके हमलोग इस वैर से पार हो गये। राजा युधिष्ठिर को राज्‍य मिल गया और हम लोगों का क्रोध शान्‍त हो गया।
📜 गान्धार्युवाच गान्‍धारी बोलीं –तात ! तुम मेरे पुत्र की इतनी प्रशंसा कर रहे हो इसलिये यह उसका वध नहीं हुआ (वह अपने यशोमय शरीर से अमर है) और मेरे सामने तुम जो कुछ कह रहे हो, वह सारा अपराध दुर्योधनbने अवश्‍य किया है। भारत ! परंतु वृषसेन ने जब नकुल के घोड़ो को मारकर उसे रथहीन कर दिया था, 
📜 उस समय तुमने युद्ध में दु:शासन -को मारकर जो उसका खून पी लिया, वह सत्‍पुरुषों द्वारा निन्दित और नीच पुरुषों द्वारा सेवित घोर क्रूरता पूर्ण कर्म है। वृकोदर ! तुमने वही क्रूर कार्य किया है, इसलिये तुम्‍हारे द्वारा सत्‍यन्‍त अयोग्‍य कर्म बन गया है। भीमसेन उवाच भीमसेन बोले—माताजी ! दूसरे का भी खून नहीं पीना चाहिये फिर अपना ही खून कोई कैसे पी सकता है ? 
📜 जैसे अपना शरीर है, वैसे ही भाई का शरीर है।अपने में और भाई में कोई अन्‍तर नहीं है। मॉं ! आप शोक न करें। वह खून मेरे दॉंतो और ओठों को लॉंघकर आगे नहीं जा सका था। इस बात को सूर्य-पुत्र यमराज जानते हैं, कि केवल मेरे दोनों हाथ ही रक्‍त में सने हुए थे। 
📜 युद्ध में वृषसेन के द्वारा नकुल के घोड़ो को मारा गया देख जो दु:शासन के सभी भाई हर्ष से उल्‍लसित हो उठे थे, उनके मनमें वैसा करके मैंने केवल त्रास उत्‍पन्न किया था। द्यतक्रीडा के समय जब द्रौपदी का केश खींचा गया, उस समय क्रोध में भरकर मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, उसकी याद हमारे हृदय में बराबर बनी रहती थी।

©N S Yadav GoldMine

#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्‍त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्‍धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्

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#कविता  White एक बार फिर सुनाई पढ़ने लगी है 
आतत्ताई कोरवो की  दहाड़े...... लगता है एक 
नया महाभरत  फिर जन्म  लें रहा है 
लेकिन  हथियार  दोनों पक्षों के ( तल वार भाले बंदूके और तिर्कमान ) आदि क़ो तो 
जंग लग चुका है 
लगता है अब तो केवल  रसायनिक हथियारों से ही युद्ध लड़ना पड़ेगा जो सक्षम है  आदमी और उसकी आने वाली नस्लों का संहार करने में 

और ये भी संभावना नही रही कि इस युद्ध में कृष्ण भी आकर भाग लेंगे 
क्योंकि उनका सुदर्शन चकर भी जंग खाकर तिथि बाहय हो चुका है

©Arora PR

महाभारत द्वितीय

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#रामधारी_सिंह_दिनकर #महाभारत #कविता  वसुधा का नेता कौन हुआ?


भूखण्ड-विजेता कौन हुआ?
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ?
जिसने न कभी आराम किया,
विघ्नों में रहकर नाम किया।

जब विघ्न सामने आते हैं,
सोते से हमें जगाते हैं,
मन को मरोड़ते हैं पल-पल,
तन को झँझोरते हैं पल-पल।
सत्पथ की ओर लगाकर ही,
जाते हैं हमें जगाकर ही।

वाटिका और वन एक नहीं,
आराम और रण एक नहीं।
वर्षा, अंधड़, आतप अखंड,
पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड।
वन में प्रसून तो खिलते हैं,
बागों में शाल न मिलते हैं।

कङ्करियाँ जिनकी सेज सुघर,
छाया देता केवल अम्बर,
विपदाएँ दूध पिलाती है
लोरी आँधियाँ सुनाती हैं।
जो लाक्षा-गृह में जलते हैं,
वे ही शूरमा निकलते हैं।

बढ़कर विपत्तियों पर छा जा,
मेरे किशोर! मेरे ताजा!
जीवन का रस छन जाने दे,
तन को पत्थर बन जाने दे।
तू स्वयं तेज भयकारी है,
क्या कर सकती चिनगारी है?

~ रामधारी सिंह दिनकर

©rahul_the_adrito_
#शायरी #कृष्ण  White रिश्तों संबंधों धर्मो का बेख़ौफ़ तिज़ारत होता है
कृष्ण, अब बिना तुम्हारे ही  महाभारत  होता है.

©malay_28

#कृष्ण बिना महाभारत

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#सर्वशक्तिमान #नवरात्रि2024 #शक्तिशाली #स्कंदमाता #नवरात्रि #भक्ति  
 जिसकी पूजा नवरात्रि के ,पांचवें दिन होती है ।
जिसके समान  ,सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं है ।।

कमल आसन पर विराजती, सिंह जिनकी सवारी है।
  होंठों पर मृदुल मुस्कान , अदम्य साहसी नारी है ।।

माता पार्वती ने धारण , वो पांचवां रुप मां का किया ।
पुत्र स्कंद को शिक्षित करने हेतु , स्कंदमाता बनी ।।

तारकासुर के अत्याचारों से , जब जग त्रस्त हुआ ।
इंद्रादिक देवगण स्वर्ग छोड़े , उससे परास्त हुए ।।

उसे शिवपुत्र के हाथों वध का , उनको वरदान मिला था ।
तब शिवपुत्र के रूप में ,  अवतार स्कंद का हुआ ।।

उसी स्कंद को शिक्षित करने  हेतु आई स्कंदमाता ।
अति सौम्य,अति शक्तिशाली , अति दयालु माता है ।।

श्वेत वस्त्र, श्वेत भोग , स्कंदमाता को अति प्रिय है ।
 स्कंदमाता की नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा करें ।।

हर विपदा दूर होगी ,  हर मुश्किलें परास्त होगी ।
मां अपने भक्तों को सदा , आश्वस्त करती है ।।

©Shivkumar

#navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं

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तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा। ©||स्वयं लेखन||

#विचार #Life_experience #achievement #thought  तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की 
महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा।

©||स्वयं लेखन||

तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा। #achievement #Life #Life_experience #thought #Poetry

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