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#मोटिवेशनल #sad_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं !! 🌠🌠 जय श्री राधे कृष्ण जी.
देवी लक्ष्मी:- 🚤 प्रत्येक देवी और देवता का हिंदू धर्म में अपना ही एक अलग महत्व है, जो प्राचीन शास्त्रों में परिलक्षित है। वहीं हिंदुओं के लिए देवी लक्ष्मी धन, भाग्य, शक्ति, विलासिता, सौंदर्य, उर्वरता और शुभता की देवी हैं। लक्ष्मी शब्द संस्कृत के शब्द लक्ष्या से लिया गया है, और वह धन और सभी भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। लक्ष्मी को माँ दुर्गा की बेटी और विष्णु की पत्नी के रूप में जाना जाता है, जिनके साथ वह अपने प्रत्येक अवतार में अलग-अलग रूप धारण करती हैं। देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं।

देवी लक्ष्मी का जन्म कथा:-🚤 देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी कुछ इस प्रकार है। दरअसल एक बार ऋषि दुर्वासा और भगवान इंद्र बैठकर बात कर रहे होते हैं। ऋषि दुर्वासा इंद्र को सम्मानित करने के लिए उन्हें पुष्पों की माला भेंट करते हैं। इंद्र उसे माला को अपने हाथी ऐरावत को पहना देते हैं लेकिन ऐरावत उस माला को पृथ्वी पर फेंक देता है। यह देखकर ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो जाते हैं, और देवराज को शाप देते हैं कि उनका राज्य बर्बाद हो जाएगा। ऋषि के श्राप की वजह से इंद्र की राजधानी अमरावती में लोग भूखे मरने लगते हैं, और वहां पेड़-पौधे भी उगना बंद हो जाते हैं। 
🚤 जब अमरावती में अकाल पड़ जाता है, तब राक्षस देवताओं पर आक्रमण कर देते हैं, और उन्हें हरा देते हैं। पराजित होने के बाद देवता मदद के लिए भगवान हरि के जाते हैं, जो उन्हें समुद्र मंथन का सुझाव देते हैं, ताकि उससे निकले अमृत से देवता वापस से अपनी शक्तियों को पा सकें। इस तरह समुद्र मंथन शुरू होता है, और उससे ही देवी लक्ष्मी प्रकट होती हैं। वहीं कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महा लक्ष्मी सप्तर्षियों में से एक भृगु महर्षि की बेटी थीं। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के देवसखा, चिकलिता, आनंद, कर्दम, श्रीपदा, जटावेदा, अनुराग, संवत, विजया, वल्लभ, माडा, हर्ष, बाला, तेजा, दमका, सलिला, गुग्गुला, कुरुंतका नाम के 18 पुत्र हैं।
देवी लक्ष्मी का स्वरूप:-🚤 देवी लक्ष्मी के चार हाथ जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले चार लक्ष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं - धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष। इसके अलावा देवी लक्ष्मी की कलाकृतियों और मूर्तियों में, सिक्कों का झरना धन का प्रतिनिधित्व करता है और हाथियों के झुंड को शाही शक्ति का प्रतिनिधित्व माना जाता है। साथ ही लाल रंग की साड़ी जो वह पहनती है वह निरंतर गतिविधि और सकारात्मक ऊर्जा के लिए है।
🚤 पौराणिक मान्यता है कि जब जब धरती पर भगवान विष्णु का अवतार हुआ तब तब मां लक्ष्मी ने उनकी सेवा करने के लिए धरती पर अवतार लिया। त्रेतायुग में सीता के रूप में और द्वापर युग में रुक्मिणी के रूप में अवतरित हुई थीं। 
🚤 अष्टलक्ष्मी लक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं, जो धन के आठ स्रोतों में रहते हैं और इस प्रकार महालक्ष्मी की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दीपों के पर्व दीपावली पर हिंदू सबसे अधिक लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कोलकाता में देवी काली की पूजा दिवाली के दौरान महालक्ष्मी के रूप में की जाती है।
लक्ष्मी अवतार और स्वरूप:-🚤 आदि लक्ष्मी - माँ लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं, 
🚤 धन लक्ष्मी - वह जो धन की वर्षा करती हैं:-
🚤 धान्य लक्ष्मी - वह जो अन्न / अनाज की प्रचुरता देती हैं.
🚤 गज लक्ष्मी - शक्ति और साहस देने वाली हैं:- 
🚤 संतान लक्ष्मी - वह संतान के साथ आशीर्वाद देती हैं.
🚤 वीरा लक्ष्मी - जो वीरता और साहस देती हैं.
🚤 विजया लक्ष्मी - सभी प्रकार के शत्रुओं पर विजय देती हैं,.
🚤 ऐश्वर्या लक्ष्मी - व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं देती हैं.
🚤 महा लक्ष्मी के 8 रूपों को सामूहिक रूप से अष्टलक्ष्मी के रूप में जाना जाता है। इन 8 रूपों के अलावा, देवी लक्ष्मी के भी स्वरुप में पूजा की जाती है।
🚤 विद्या लक्ष्मी - जो बुद्धि और ज्ञान देने वाली हैं.
🚤 सौभाग्य लक्ष्मी - वह जो सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं.
🚤 राज्य लक्ष्मी - राज्य और संपत्ति देने वाली हैं. {Bolo Ji Radhey Radhey}
🚤 वर लक्ष्मी - जो वरदान देती हैं.
🚤 धैर्य लक्ष्मी - वह जो धैर्य प्रदान करती हैं.
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय:-🚤 शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे अच्छा दिन है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के लिए कमल के फूल, चंदन, सुपारी और मेवे, फल और गुड़, चावल और नारियल से बनी विभिन्न मीठी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को ॐ महालक्ष्मी च विद्हे विष्णुपत्नींच धीमही । तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात ॥ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।

©N S Yadav GoldMine

#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं !! 🌠🌠 जय श्

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#चुनाव

दिब्यांग को माला पहना कर किया स्वागत

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#Like__Follow__And__Share #sad_shayari #Bhakti #Video  White श्री कृष्ण 🥰 गोविंद मुरारी ♥️

Uff तुम्हारी ये मुस्कान 💞

“ दिल तुमसे लगा बैठे हैं,
प्रेम की राह पर सपने सजाएं बैठे है,
हर किसी ने तोड़े है सपने हमारे,
एक तू ही है कन्हैया, 
जिससे हर उम्मीद लगाए बैठे है…”

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी ,
हे नाथ नारायण वासुदेवा..!!😘😘❤️😌

©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda

#sad_shayari 🙏🙏जय श्री कृष्ण 🙏🙏 रंग तो तेरा श्याम है कान्हा तिरछे तेरे नैन, रूप सलोना है मोहन और बांके तेरे बैन...!! शंख चक्र वैजयंती माल

126 View

#मेरेशब्दसंकलन #अतुकांत_रचना #sheetalchoudhary #कविता #शून्य #छंद  💫 #मेरेशब्दसंकलन
2024

अतुकांत मोतियों कि माला #मेरेशब्दसंकलन #sheetalchoudhary #shbd #सच #छंद #अतुकांत_रचना @Muna Uncle @Uma sharma @_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09

2,079 View

#मोटिवेशनल #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 
महाभारत: आश्रमवासिका पर्व 
पंचम अध्याय: श्लोक 18-32 
📔 भारत। जिन मनुष्यों के कुल और शील अच्छी तरह ज्ञात हों, उन्हीं से तुम्हें काम लेना चाहिये। भोजन आदि के अवसरों पर सदा तुम्हें आत्मरक्षा पर ध्यान देना चाहिये। आहार विहार के समय तथा माला पहनने, शय्या पर सोने और आसनों पर बैठने के समय भी तुम्हें सावधानी के साथ अपनी रक्षा करनी चाहिये। युधिष्ठिर। कुलीन, शीलवान्, विद्वान, विश्वासपात्र एवं वृद्ध पुरुषों की अध्यक्षता में रखकर तुम्हें अन्तःपुर की स्त्रियों की रक्षा का सुन्दर प्रबन्ध करना चाहिये। राजन्। तुम उन्हीं ब्राह्मणों को अपने मन्त्री बनाओ, जो विद्या में प्रवीण, विनयशील, कुलीन, धर्म और अर्थ में कुशल तथा सरल स्वभाव वाले हों। उन्हीं के साथ तुम गूढ़ विषय पर विचार करो, किंतु अधिक लोगों को साथ लेकर देर तक मन्त्रणा नहीं करनी चाहिये। सम्पूर्ण मन्त्रियों को अथवा उनमें से दो एक को किसी के बहाने चारों ओर से घिरे हुए बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाकर उनके साथ किसी गूढ़ विषय पर विचार करना। जहाँ अधिक घास फूस या झाड़ झंखाड़ न हो, ऐसे जंगल में भी गुप्त मन्त्रणा की जा सकती है, परंतु रात्रि के समय इन स्थानों में किसी तरह गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये।
📔 मनुष्यों का अनुसरण करने वाले जो वानर और पक्षी आदि हैं, उन सबको तथा मूर्ख एवं पंगु मनुष्यों को भी मन्त्रणा गृह में नहीं आने देना चाहिये। गुप्त मन्त्रणा के दूसरों पर प्रकट हो जाने से राजाओं को जो संकट प्राप्त होते हैं, उनका किसी तरह समाधान नहीं किया जा सकता - ऐसा मेरा विश्वास है। शत्रुदमन नरेश। गुप्त मन्त्रणा फूट जाने पर जो दोष पैदा होते हैं और न फूटने से जो लाभ होते हैं, उनको तुम मन्त्रिमण्डल के समक्ष बारंबार बतलाते रहना। राजन्। कुरूश्रेष्ठ युधिष्ठिर। नगर औश्र जनपद के लोगों का हृदय तुम्हारे प्रति शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का तुम्हें जैसे भी ज्ञान प्राप्त हो सके, वैसा उपाय करना। नरेश्वर। न्याय करने के काम पर तुम सदा ऐसे ही पुरुषों को नियुक्त करना, जो विश्वासपात्र, संतोषी और हितैषी हों तथा गुप्तचरों के द्वारा सदा उनके कार्यों पर दृष्टि रखना। भरतनन्दन युधिष्ठिर। तुम्हें ऐसा विधान बनाना चाहिये, जिससे तुम्हारे नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें।
📔 जो दूसरों से घूस लेने की रुचि रखते हों, परायी स्त्रियों से जिनका सम्पर्क हो, जो विशषतः कठोर दण्ड देने के पक्षपाती हों, झूठा फैसला देते हों, जो कटुवादी, लोभी, दूसरों का धन हड़पने वाले, दुस्साहसी, सभाभवन और उद्यान आदि को नष्ट करने वाले तथा सभी वर्ण के लोगों को कलंकित करने वाले हों, उन न्यायाधिकारियों को देश काल का ध्यान रखते हुए सुवर्ण दण्ड अथवा प्राण दण्ड के द्वारा दण्डित करना चाहिये। प्रातःकाल उठकर (नित्य नियम से निवृत्त होने के बाद) पहले तुम्हें उन लोगों से मिलना चाहिये, जो तुम्हारे खर्च बर्च के काम पर नियुक्त हों। उसके बाद आभूषण पहनने या भोजन करने के काम पर ध्यान देना चाहिये। जय श्री राधे कृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उ

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#तेरे #माला #नाम  भूल गए हम ओ पलछिन, जब तुमपे सनम हम मरते थे।
अब हम ओ नही की जब कभी,तेरे नाम की माला जपते थे।।

©दूध नाथ वरुण
#मोटिवेशनल #sad_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं !! 🌠🌠 जय श्री राधे कृष्ण जी.
देवी लक्ष्मी:- 🚤 प्रत्येक देवी और देवता का हिंदू धर्म में अपना ही एक अलग महत्व है, जो प्राचीन शास्त्रों में परिलक्षित है। वहीं हिंदुओं के लिए देवी लक्ष्मी धन, भाग्य, शक्ति, विलासिता, सौंदर्य, उर्वरता और शुभता की देवी हैं। लक्ष्मी शब्द संस्कृत के शब्द लक्ष्या से लिया गया है, और वह धन और सभी भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। लक्ष्मी को माँ दुर्गा की बेटी और विष्णु की पत्नी के रूप में जाना जाता है, जिनके साथ वह अपने प्रत्येक अवतार में अलग-अलग रूप धारण करती हैं। देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं।

देवी लक्ष्मी का जन्म कथा:-🚤 देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी कुछ इस प्रकार है। दरअसल एक बार ऋषि दुर्वासा और भगवान इंद्र बैठकर बात कर रहे होते हैं। ऋषि दुर्वासा इंद्र को सम्मानित करने के लिए उन्हें पुष्पों की माला भेंट करते हैं। इंद्र उसे माला को अपने हाथी ऐरावत को पहना देते हैं लेकिन ऐरावत उस माला को पृथ्वी पर फेंक देता है। यह देखकर ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो जाते हैं, और देवराज को शाप देते हैं कि उनका राज्य बर्बाद हो जाएगा। ऋषि के श्राप की वजह से इंद्र की राजधानी अमरावती में लोग भूखे मरने लगते हैं, और वहां पेड़-पौधे भी उगना बंद हो जाते हैं। 
🚤 जब अमरावती में अकाल पड़ जाता है, तब राक्षस देवताओं पर आक्रमण कर देते हैं, और उन्हें हरा देते हैं। पराजित होने के बाद देवता मदद के लिए भगवान हरि के जाते हैं, जो उन्हें समुद्र मंथन का सुझाव देते हैं, ताकि उससे निकले अमृत से देवता वापस से अपनी शक्तियों को पा सकें। इस तरह समुद्र मंथन शुरू होता है, और उससे ही देवी लक्ष्मी प्रकट होती हैं। वहीं कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महा लक्ष्मी सप्तर्षियों में से एक भृगु महर्षि की बेटी थीं। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के देवसखा, चिकलिता, आनंद, कर्दम, श्रीपदा, जटावेदा, अनुराग, संवत, विजया, वल्लभ, माडा, हर्ष, बाला, तेजा, दमका, सलिला, गुग्गुला, कुरुंतका नाम के 18 पुत्र हैं।
देवी लक्ष्मी का स्वरूप:-🚤 देवी लक्ष्मी के चार हाथ जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले चार लक्ष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं - धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष। इसके अलावा देवी लक्ष्मी की कलाकृतियों और मूर्तियों में, सिक्कों का झरना धन का प्रतिनिधित्व करता है और हाथियों के झुंड को शाही शक्ति का प्रतिनिधित्व माना जाता है। साथ ही लाल रंग की साड़ी जो वह पहनती है वह निरंतर गतिविधि और सकारात्मक ऊर्जा के लिए है।
🚤 पौराणिक मान्यता है कि जब जब धरती पर भगवान विष्णु का अवतार हुआ तब तब मां लक्ष्मी ने उनकी सेवा करने के लिए धरती पर अवतार लिया। त्रेतायुग में सीता के रूप में और द्वापर युग में रुक्मिणी के रूप में अवतरित हुई थीं। 
🚤 अष्टलक्ष्मी लक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं, जो धन के आठ स्रोतों में रहते हैं और इस प्रकार महालक्ष्मी की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दीपों के पर्व दीपावली पर हिंदू सबसे अधिक लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कोलकाता में देवी काली की पूजा दिवाली के दौरान महालक्ष्मी के रूप में की जाती है।
लक्ष्मी अवतार और स्वरूप:-🚤 आदि लक्ष्मी - माँ लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं, 
🚤 धन लक्ष्मी - वह जो धन की वर्षा करती हैं:-
🚤 धान्य लक्ष्मी - वह जो अन्न / अनाज की प्रचुरता देती हैं.
🚤 गज लक्ष्मी - शक्ति और साहस देने वाली हैं:- 
🚤 संतान लक्ष्मी - वह संतान के साथ आशीर्वाद देती हैं.
🚤 वीरा लक्ष्मी - जो वीरता और साहस देती हैं.
🚤 विजया लक्ष्मी - सभी प्रकार के शत्रुओं पर विजय देती हैं,.
🚤 ऐश्वर्या लक्ष्मी - व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं देती हैं.
🚤 महा लक्ष्मी के 8 रूपों को सामूहिक रूप से अष्टलक्ष्मी के रूप में जाना जाता है। इन 8 रूपों के अलावा, देवी लक्ष्मी के भी स्वरुप में पूजा की जाती है।
🚤 विद्या लक्ष्मी - जो बुद्धि और ज्ञान देने वाली हैं.
🚤 सौभाग्य लक्ष्मी - वह जो सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं.
🚤 राज्य लक्ष्मी - राज्य और संपत्ति देने वाली हैं. {Bolo Ji Radhey Radhey}
🚤 वर लक्ष्मी - जो वरदान देती हैं.
🚤 धैर्य लक्ष्मी - वह जो धैर्य प्रदान करती हैं.
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय:-🚤 शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे अच्छा दिन है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के लिए कमल के फूल, चंदन, सुपारी और मेवे, फल और गुड़, चावल और नारियल से बनी विभिन्न मीठी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को ॐ महालक्ष्मी च विद्हे विष्णुपत्नींच धीमही । तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात ॥ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।

©N S Yadav GoldMine

#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} देवी लक्ष्मी के जन्म की कहानी को समझने के लिए आइए हम विष्णु पुराणों पर कुछ प्रकाश डालते हैं !! 🌠🌠 जय श्

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#चुनाव

दिब्यांग को माला पहना कर किया स्वागत

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Uff तुम्हारी ये मुस्कान 💞

“ दिल तुमसे लगा बैठे हैं,
प्रेम की राह पर सपने सजाएं बैठे है,
हर किसी ने तोड़े है सपने हमारे,
एक तू ही है कन्हैया, 
जिससे हर उम्मीद लगाए बैठे है…”

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी ,
हे नाथ नारायण वासुदेवा..!!😘😘❤️😌

©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda

#sad_shayari 🙏🙏जय श्री कृष्ण 🙏🙏 रंग तो तेरा श्याम है कान्हा तिरछे तेरे नैन, रूप सलोना है मोहन और बांके तेरे बैन...!! शंख चक्र वैजयंती माल

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#मेरेशब्दसंकलन #अतुकांत_रचना #sheetalchoudhary #कविता #शून्य #छंद  💫 #मेरेशब्दसंकलन
2024

अतुकांत मोतियों कि माला #मेरेशब्दसंकलन #sheetalchoudhary #shbd #सच #छंद #अतुकांत_रचना @Muna Uncle @Uma sharma @_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09

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#मोटिवेशनल #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 
महाभारत: आश्रमवासिका पर्व 
पंचम अध्याय: श्लोक 18-32 
📔 भारत। जिन मनुष्यों के कुल और शील अच्छी तरह ज्ञात हों, उन्हीं से तुम्हें काम लेना चाहिये। भोजन आदि के अवसरों पर सदा तुम्हें आत्मरक्षा पर ध्यान देना चाहिये। आहार विहार के समय तथा माला पहनने, शय्या पर सोने और आसनों पर बैठने के समय भी तुम्हें सावधानी के साथ अपनी रक्षा करनी चाहिये। युधिष्ठिर। कुलीन, शीलवान्, विद्वान, विश्वासपात्र एवं वृद्ध पुरुषों की अध्यक्षता में रखकर तुम्हें अन्तःपुर की स्त्रियों की रक्षा का सुन्दर प्रबन्ध करना चाहिये। राजन्। तुम उन्हीं ब्राह्मणों को अपने मन्त्री बनाओ, जो विद्या में प्रवीण, विनयशील, कुलीन, धर्म और अर्थ में कुशल तथा सरल स्वभाव वाले हों। उन्हीं के साथ तुम गूढ़ विषय पर विचार करो, किंतु अधिक लोगों को साथ लेकर देर तक मन्त्रणा नहीं करनी चाहिये। सम्पूर्ण मन्त्रियों को अथवा उनमें से दो एक को किसी के बहाने चारों ओर से घिरे हुए बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाकर उनके साथ किसी गूढ़ विषय पर विचार करना। जहाँ अधिक घास फूस या झाड़ झंखाड़ न हो, ऐसे जंगल में भी गुप्त मन्त्रणा की जा सकती है, परंतु रात्रि के समय इन स्थानों में किसी तरह गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये।
📔 मनुष्यों का अनुसरण करने वाले जो वानर और पक्षी आदि हैं, उन सबको तथा मूर्ख एवं पंगु मनुष्यों को भी मन्त्रणा गृह में नहीं आने देना चाहिये। गुप्त मन्त्रणा के दूसरों पर प्रकट हो जाने से राजाओं को जो संकट प्राप्त होते हैं, उनका किसी तरह समाधान नहीं किया जा सकता - ऐसा मेरा विश्वास है। शत्रुदमन नरेश। गुप्त मन्त्रणा फूट जाने पर जो दोष पैदा होते हैं और न फूटने से जो लाभ होते हैं, उनको तुम मन्त्रिमण्डल के समक्ष बारंबार बतलाते रहना। राजन्। कुरूश्रेष्ठ युधिष्ठिर। नगर औश्र जनपद के लोगों का हृदय तुम्हारे प्रति शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का तुम्हें जैसे भी ज्ञान प्राप्त हो सके, वैसा उपाय करना। नरेश्वर। न्याय करने के काम पर तुम सदा ऐसे ही पुरुषों को नियुक्त करना, जो विश्वासपात्र, संतोषी और हितैषी हों तथा गुप्तचरों के द्वारा सदा उनके कार्यों पर दृष्टि रखना। भरतनन्दन युधिष्ठिर। तुम्हें ऐसा विधान बनाना चाहिये, जिससे तुम्हारे नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें।
📔 जो दूसरों से घूस लेने की रुचि रखते हों, परायी स्त्रियों से जिनका सम्पर्क हो, जो विशषतः कठोर दण्ड देने के पक्षपाती हों, झूठा फैसला देते हों, जो कटुवादी, लोभी, दूसरों का धन हड़पने वाले, दुस्साहसी, सभाभवन और उद्यान आदि को नष्ट करने वाले तथा सभी वर्ण के लोगों को कलंकित करने वाले हों, उन न्यायाधिकारियों को देश काल का ध्यान रखते हुए सुवर्ण दण्ड अथवा प्राण दण्ड के द्वारा दण्डित करना चाहिये। प्रातःकाल उठकर (नित्य नियम से निवृत्त होने के बाद) पहले तुम्हें उन लोगों से मिलना चाहिये, जो तुम्हारे खर्च बर्च के काम पर नियुक्त हों। उसके बाद आभूषण पहनने या भोजन करने के काम पर ध्यान देना चाहिये। जय श्री राधे कृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

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#तेरे #माला #नाम  भूल गए हम ओ पलछिन, जब तुमपे सनम हम मरते थे।
अब हम ओ नही की जब कभी,तेरे नाम की माला जपते थे।।

©दूध नाथ वरुण
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