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#बेवफ़ा_ज़िंदगी #गोपाल_पंडित #dear_ज़िंदगी #शायरी #Motivational #gopal_pandit

#Emotional ज़िंदगी तेरे आंचल की छांव में कितनी सुहानी थी इस दुनिया में तेरी ममता निस्वार्थ और रूहानी थी जब से निकले हैं तेरे आंचल की छांव

126 View

#कविता  White आसमान का चांद

आसमान पर चांद खिला है, साथ  लिए लाखों तारे, 
तेरे दीदार को तरस रहा चकोर,धरती पर बैठ तुझे नहारे।
दिन बीत रहा कड़क तपन संग , तरु छाया कहीं दिखे नहीं ,
हों हाड़  कांपती  ठंडी रातें , टेर एक घड़ी को हटे नहीं ।
सदियों  की  लंबी दास्तां, किस्मत का खेल इसे कहते ,
 कर्मों के फल से भाग्य मिला , अब क्यों तेरे आंसू बहते ।
तीव्र रोशनी तेरे अरमानों की , नित्य जलाती है होली ,
अंधियारे की शीतलता में , भ्रम से भरती सपनों की झोली ।
सौरभ आशाओं का दीप जलाकर, उम्मीद मत हारो समझाता,
कुवास है अभिशाप सृष्टि में, जीवन में निर्जन वन सा गहराता ।
है एक बगीचा एक ही माली, रंग बिरंगे फूलों से महके फुलवारी ,
कांटो ने भी संग में डेरा डाला , आंसुओं से भर गई मधु प्याली ।
प्रातः की  बहकी  बेला में, जैसे स्वप्न दूर खड़े  हर्षाते  हैं ,
किससे  पूछूं कि भोर होते ही , नक्षत्रमणी कहां छुप जाते हैं ।
बढ़ चला मुसाफिर यही सोचते, मधुर वचन बड़ा छलावा है ,
सत्य हमेशा कड़वा होता , उसे हर कोई मुखौटा पहन छुपाता है ।

©Usha Dravid Bhatt

आसमान का चांद एक सच्ची और निस्वार्थ लगन , जो बिना लाभ हानि के निरन्तर बनी रहती है।

117 View

#बेवफ़ा_ज़िंदगी #गोपाल_पंडित #dear_ज़िंदगी #शायरी #Motivational #gopal_pandit

#Emotional ज़िंदगी तेरे आंचल की छांव में कितनी सुहानी थी इस दुनिया में तेरी ममता निस्वार्थ और रूहानी थी जब से निकले हैं तेरे आंचल की छांव

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#कविता  White आसमान का चांद

आसमान पर चांद खिला है, साथ  लिए लाखों तारे, 
तेरे दीदार को तरस रहा चकोर,धरती पर बैठ तुझे नहारे।
दिन बीत रहा कड़क तपन संग , तरु छाया कहीं दिखे नहीं ,
हों हाड़  कांपती  ठंडी रातें , टेर एक घड़ी को हटे नहीं ।
सदियों  की  लंबी दास्तां, किस्मत का खेल इसे कहते ,
 कर्मों के फल से भाग्य मिला , अब क्यों तेरे आंसू बहते ।
तीव्र रोशनी तेरे अरमानों की , नित्य जलाती है होली ,
अंधियारे की शीतलता में , भ्रम से भरती सपनों की झोली ।
सौरभ आशाओं का दीप जलाकर, उम्मीद मत हारो समझाता,
कुवास है अभिशाप सृष्टि में, जीवन में निर्जन वन सा गहराता ।
है एक बगीचा एक ही माली, रंग बिरंगे फूलों से महके फुलवारी ,
कांटो ने भी संग में डेरा डाला , आंसुओं से भर गई मधु प्याली ।
प्रातः की  बहकी  बेला में, जैसे स्वप्न दूर खड़े  हर्षाते  हैं ,
किससे  पूछूं कि भोर होते ही , नक्षत्रमणी कहां छुप जाते हैं ।
बढ़ चला मुसाफिर यही सोचते, मधुर वचन बड़ा छलावा है ,
सत्य हमेशा कड़वा होता , उसे हर कोई मुखौटा पहन छुपाता है ।

©Usha Dravid Bhatt

आसमान का चांद एक सच्ची और निस्वार्थ लगन , जो बिना लाभ हानि के निरन्तर बनी रहती है।

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