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New पाण्यात विरघळणारे पदार्थ Status, Photo, Video

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#श्रीसंभाजीसुर्यहृदय #धर्मवीर_बलिदान_मास #पौराणिककथा

*॥ धर्मवीर बलिदान मास ॥* *श्लोक क्रमांक. १३* ************************** *#श्रीसंभाजीसुर्यहृदय* ⛳ गंगाजलांत नसतो मळवा विषार । सुर्थात

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दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,  उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो ,  सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४     -  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा

जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम ।
रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।।

कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार ।
भोजन दूषित बन पके ,  उपजे हृदय विकार ।।

प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार ।
आपस में सदभाव हो ,  सदा बढ़े मनुहार ।।

प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत ।
त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।।

प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् ।
मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।।

पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ ।
उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।।

२९/०२/२०२४     -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , 

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#श्रीसंभाजीसुर्यहृदय #धर्मवीर_बलिदान_मास #पौराणिककथा

*॥ धर्मवीर बलिदान मास ॥* *श्लोक क्रमांक. १३* ************************** *#श्रीसंभाजीसुर्यहृदय* ⛳ गंगाजलांत नसतो मळवा विषार । सुर्थात

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दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,  उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो ,  सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४     -  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा

जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम ।
रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।।

कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार ।
भोजन दूषित बन पके ,  उपजे हृदय विकार ।।

प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार ।
आपस में सदभाव हो ,  सदा बढ़े मनुहार ।।

प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत ।
त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।।

प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् ।
मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।।

पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ ।
उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।।

२९/०२/२०२४     -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , 

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