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New 'मातृभूमि कविता मराठी' Status, Photo, Video

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#सुरेशभट #कविता #मराठी #गझल #आग

विझलो आज जरी मी, हा माझा अंत नाही... पेटेन उद्या नव्याने, हे सामर्थ्य नाशवंत नाही #मराठी #सुरेशभट #कविता #गझल #आग

153 View

#मराठीकविता #MarathiKavita #streetgirl #JKpoetess #marathi

#JKpoetess #marathi #MarathiKavita #hungry #streetgirl आज मै अपनी कविता के माध्यम से एक भारतीय स्ट्रीट सर्कस लड़की का दर्द व्यक्त करने

207 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

423 View

 Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही,
चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी,
हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर,
 ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी
🙂

©Shahid0007

#कविता

108 View

#सुरेशभट #कविता #मराठी #गझल #आग

विझलो आज जरी मी, हा माझा अंत नाही... पेटेन उद्या नव्याने, हे सामर्थ्य नाशवंत नाही #मराठी #सुरेशभट #कविता #गझल #आग

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#मराठीकविता #MarathiKavita #streetgirl #JKpoetess #marathi

#JKpoetess #marathi #MarathiKavita #hungry #streetgirl आज मै अपनी कविता के माध्यम से एक भारतीय स्ट्रीट सर्कस लड़की का दर्द व्यक्त करने

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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©Harsh Sharma

#कविता

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#कविता

कविता

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 Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही,
चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी,
हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर,
 ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी
🙂

©Shahid0007

#कविता

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