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#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (17 & 18) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

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#पौराणिककथा #विष्णु #नारायण #मन्त्र #महिमा #vishnubhagwan  Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए ।
क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।।

जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान ।
लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।।

धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार ।
सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।।

चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे ।
हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।।

नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार ।
सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।।

कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान ।
सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।।

©Shivkumar

#vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न

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Village Life सन्ध्या छन्द  221    111    22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा ।। साधू कब तक बोले । लोभी मन मत डोले ।। इच्छा जब बढ़ती है । वो तो फिर डसती है ।। हो जीवन फिर बाधा । बोले गिरधर राधा ।। मीठी सुनकर वाणी । दौड़े सब अब प्राणी ।। सोचा नहिँ कुछ आगे । जोड़े मन-मन धागे ।। १४/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  Village Life सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा ।।
साधू कब तक बोले ।
लोभी मन मत डोले ।।
इच्छा जब बढ़ती है ।
वो तो फिर डसती है ।।
हो जीवन फिर बाधा ।
बोले गिरधर राधा ।।
मीठी सुनकर वाणी ।
दौड़े सब अब प्राणी ।।
सोचा नहिँ कुछ आगे ।
जोड़े मन-मन धागे ।।
१४/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सन्ध्या छन्द  221    111    22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा

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#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (17 & 18) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

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#पौराणिककथा #विष्णु #नारायण #मन्त्र #महिमा #vishnubhagwan  Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए ।
क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।।

जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान ।
लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।।

धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार ।
सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।।

चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे ।
हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।।

नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार ।
सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।।

कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान ।
सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।।

©Shivkumar

#vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न

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Village Life सन्ध्या छन्द  221    111    22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा ।। साधू कब तक बोले । लोभी मन मत डोले ।। इच्छा जब बढ़ती है । वो तो फिर डसती है ।। हो जीवन फिर बाधा । बोले गिरधर राधा ।। मीठी सुनकर वाणी । दौड़े सब अब प्राणी ।। सोचा नहिँ कुछ आगे । जोड़े मन-मन धागे ।। १४/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  Village Life सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा ।।
साधू कब तक बोले ।
लोभी मन मत डोले ।।
इच्छा जब बढ़ती है ।
वो तो फिर डसती है ।।
हो जीवन फिर बाधा ।
बोले गिरधर राधा ।।
मीठी सुनकर वाणी ।
दौड़े सब अब प्राणी ।।
सोचा नहिँ कुछ आगे ।
जोड़े मन-मन धागे ।।
१४/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सन्ध्या छन्द  221    111    22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा

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