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मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

White ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।।  घर की इज़्ज़त पे वार मत करना  जान भी माँग ले अगर भाई । तो यक़ीं तार तार मत करना ।। जो न समझे यहाँ वफ़ा तेरी । तू कभी उससे प्यार मत करना ।। माफ़ इस बार हो ख़ता मेरी । बाद बेशक दुलार मत करना ।। क़समों वादों को जो भुला डाले उसका फिर इंतजार मत करना ।। कितना कुछ है खाने को दुनिया में । देख अब तू शिकार मत करना ।। खुद को खुद की नज़र न लग जाये । इस तरह से शृंगार मत करना ।। सबका सम्मान हो बराबर से । मन में पैदा विकार मत करना ।। प्रेम अनमोल है प्रखर गहना । इसका  तू  कारोबार मत करना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल
भाई-भाई से रार मत करना ।। 
घर की इज़्ज़त पे वार मत करना 
जान भी माँग ले अगर भाई ।
तो यक़ीं तार तार मत करना ।।
जो न समझे यहाँ वफ़ा तेरी ।
तू कभी उससे प्यार मत करना ।।
माफ़ इस बार हो ख़ता मेरी ।
बाद बेशक दुलार मत करना ।।
क़समों वादों को जो भुला डाले
उसका फिर इंतजार मत करना ।।
कितना कुछ है खाने को दुनिया में ।
देख अब तू शिकार मत करना ।।
खुद को खुद की नज़र न लग जाये ।
इस तरह से शृंगार मत करना ।।
सबका सम्मान हो बराबर से ।
मन में पैदा विकार मत करना ।।
प्रेम अनमोल है प्रखर गहना ।
इसका  तू  कारोबार मत करना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।।  घर की इज़्ज़त पे वार मत करना 

12 Love

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और क्या लेना । इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।। जीवन है अनमोल , मानता गहना । खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।। इनकी उनकी बात .... कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी । छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।। रहकर इनके साथ , नहीं है डरना । इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।। इनकी उनकी बात... डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते । देकर आने चार , आठ ले लेते ।। धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना । सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।। इनकी उनकी बात ... इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  विधा      गीत  :- हंसगति छन्द 

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।
इनकी उनकी बात ...

हम सब में है प्यार , और क्या लेना ।
इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।।
जीवन है अनमोल , मानता गहना ।
खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।।
इनकी उनकी बात ....

कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी ।
छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।।
रहकर इनके साथ , नहीं है डरना ।
इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।।
इनकी उनकी बात...

डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते ।
देकर आने चार , आठ ले लेते ।।
धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना ।
सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।।
इनकी उनकी बात ...

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और

12 Love

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

White ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।।  घर की इज़्ज़त पे वार मत करना  जान भी माँग ले अगर भाई । तो यक़ीं तार तार मत करना ।। जो न समझे यहाँ वफ़ा तेरी । तू कभी उससे प्यार मत करना ।। माफ़ इस बार हो ख़ता मेरी । बाद बेशक दुलार मत करना ।। क़समों वादों को जो भुला डाले उसका फिर इंतजार मत करना ।। कितना कुछ है खाने को दुनिया में । देख अब तू शिकार मत करना ।। खुद को खुद की नज़र न लग जाये । इस तरह से शृंगार मत करना ।। सबका सम्मान हो बराबर से । मन में पैदा विकार मत करना ।। प्रेम अनमोल है प्रखर गहना । इसका  तू  कारोबार मत करना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल
भाई-भाई से रार मत करना ।। 
घर की इज़्ज़त पे वार मत करना 
जान भी माँग ले अगर भाई ।
तो यक़ीं तार तार मत करना ।।
जो न समझे यहाँ वफ़ा तेरी ।
तू कभी उससे प्यार मत करना ।।
माफ़ इस बार हो ख़ता मेरी ।
बाद बेशक दुलार मत करना ।।
क़समों वादों को जो भुला डाले
उसका फिर इंतजार मत करना ।।
कितना कुछ है खाने को दुनिया में ।
देख अब तू शिकार मत करना ।।
खुद को खुद की नज़र न लग जाये ।
इस तरह से शृंगार मत करना ।।
सबका सम्मान हो बराबर से ।
मन में पैदा विकार मत करना ।।
प्रेम अनमोल है प्रखर गहना ।
इसका  तू  कारोबार मत करना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।।  घर की इज़्ज़त पे वार मत करना 

12 Love

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और क्या लेना । इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।। जीवन है अनमोल , मानता गहना । खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।। इनकी उनकी बात .... कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी । छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।। रहकर इनके साथ , नहीं है डरना । इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।। इनकी उनकी बात... डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते । देकर आने चार , आठ ले लेते ।। धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना । सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।। इनकी उनकी बात ... इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  विधा      गीत  :- हंसगति छन्द 

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।
इनकी उनकी बात ...

हम सब में है प्यार , और क्या लेना ।
इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।।
जीवन है अनमोल , मानता गहना ।
खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।।
इनकी उनकी बात ....

कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी ।
छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।।
रहकर इनके साथ , नहीं है डरना ।
इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।।
इनकी उनकी बात...

डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते ।
देकर आने चार , आठ ले लेते ।।
धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना ।
सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।।
इनकी उनकी बात ...

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और

12 Love

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