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क्यूँ छीन लेता है, सुहाग स्त्रियों के… हे परमात्मा तू तो दया का सागर है , फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है । क्यूँ छीन लेता है, सुहाग उन स्त्रियों के, जिनका जीवन सही से, शुरू भी नहीं हुआ होता है । अगर नहीं पता तो देख, कभी झाँककर उनके सूने दिल में , फफक-फफककर, रो रातों को , ये कितने तकिये भिगोता है । जो उनके अपने हैं , वो घर बैठें तो नुख़राने लगते हैं , अगर जाये बाहर नौकरी करने, तो आरोप ग़लत लगाने लगते हैं । उनकी चाह सजने-सँवरने की, मन से जैसे मिट-सी जाती है , वो बहुत कुछ रखती हैं अरमान दिल में, मगर बिन साजन कह नहीं पाती हैं । अब वो एक माँ भी हैं , तो टूटा हुआ नहीं देख सकती अपने बच्चों के ह्रदय को , वो दिलाती हैं दिलासा उन्हें, पिता नहीं हैं उनके तो क्या हुआ , माँ के साथ-साथ , वो पिता का भी फ़र्ज़ अदा करेंगी । नहीं हटेंगी पीछे कैसे भी हालात हों, उनकी परवरिश के लिए , वो जीवन की हर चुनौती से लड़ेंगी । माना तू रखता होगा हिसाब-किताब , पिछले जन्म के कर्मों का, लेकिन कैसे करें यक़ीन तुझ पर, तू क्यूँ एक जन्म का हिसाब, उसी जन्म में नहीं करवाता है । हे परमात्मा तू तो दया का सागर है , फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है । ©Ravindra Singh

#विधवानारी #विधवा  क्यूँ छीन लेता है, सुहाग स्त्रियों के…

हे परमात्मा तू तो दया का सागर है ,
फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है ।

क्यूँ छीन लेता है, 
सुहाग उन स्त्रियों के,
जिनका जीवन सही से, 
शुरू भी नहीं हुआ होता है ।

अगर नहीं पता तो देख, 
कभी झाँककर उनके सूने दिल में ,
फफक-फफककर, रो रातों को ,
ये कितने तकिये भिगोता है ।

जो उनके अपने हैं ,
वो घर बैठें तो नुख़राने लगते हैं ,
अगर जाये बाहर नौकरी करने,
तो आरोप ग़लत लगाने लगते हैं ।

उनकी चाह सजने-सँवरने की,
मन से जैसे मिट-सी जाती है ,
वो बहुत कुछ रखती हैं अरमान दिल में,
मगर बिन साजन कह नहीं पाती हैं ।

अब वो एक माँ भी हैं ,
तो टूटा हुआ नहीं देख सकती अपने बच्चों के ह्रदय को ,
वो दिलाती हैं दिलासा उन्हें,
पिता नहीं हैं उनके तो क्या हुआ ,
माँ के साथ-साथ ,
वो पिता का भी फ़र्ज़ अदा करेंगी ।

नहीं हटेंगी पीछे कैसे भी हालात हों,
उनकी परवरिश के लिए ,
वो जीवन की हर चुनौती से लड़ेंगी ।

माना तू रखता होगा हिसाब-किताब , 
पिछले जन्म के कर्मों का,
लेकिन कैसे करें यक़ीन तुझ पर,
तू क्यूँ एक जन्म का हिसाब, 
उसी जन्म में नहीं करवाता है ।

हे परमात्मा तू तो दया का सागर है ,
फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है ।

©Ravindra Singh

#विधवानारी #विधवा ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति

13 Love

ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति की कैंसर से मृत्य

135 View

#मराठीकविता #MarathiKavita #streetgirl #JKpoetess #marathi

#JKpoetess #marathi #MarathiKavita #hungry #streetgirl आज मै अपनी कविता के माध्यम से एक भारतीय स्ट्रीट सर्कस लड़की का दर्द व्यक्त करने

207 View

रचना दिनांक ४,,,,४,,,2024,,, वार,, गुरुवार समय सुबह पांच बजे ््््््निजविचार ्््् ्््््छाया चित्र बहुत सुंदर लगते है कथन सच्चाई यह है,, कि वह राहगीर और राहगीरों को राह दिखाने वाले नगर शहर महानगर में यातायात व्यवस्था नियम और कानून व्यवस्था और नागरिक सम्मान ््््् ्््््् नगर सूरक्षाप्रहरी लगे निरन्तर प्रयास में घटनाओं से अवगत होकर दूर्रघटनासे पीड़ित आम नागरिक का जीवन रक्षक प्रणाली सुधार है ।। यातायात पर गतिरोध दूर हो मुसाफिर पर जिंदगी का रक्षक के भांति सुरक्षा कवच शक्ति सैनिक है आन बान और शान है,, मेरास्वाभिमान हिन्दूस्तान है यह मंत्र शक्ति कवच शक्ति ईमानदार अफसर और जवान है।। बाढ आंधी तुफान प्राकृतिक आपदाओं से सदैव तत्पर चौकस मुस्तैद है ,, मानवता पर जिंदगी में अर्जुन लक्ष्य है।। नगर और चौराहे पर सिग्नलों पर निर्भर करता है,, जीवनसाथी जीवन का परिवार परिचय है सूरक्षा है का जीवन रक्षकता में सजग प्रहरी है ।। रक्षा पंक्ति में भावचित्र खिंचती हुई़ तस्वीर मेरे नगर और कस्बे कीमहानगर की ओर हम हमारे साथ सबका साथ सबका विकास,, सहयोग भागीदारी में ही जरुरी है जिन्दगी लाजवाब है।। श्रद्धा और आस्था और चिंतन में एक स्वर में यातायात पुलिस और प्रशासन कर्त्तव्य परायणता में शंख नाद विगूल फूंक दिया है ।। हम नागरिकको में भी हो अपने दायित्वों का अहसास हो तो,, वह जुनून और प्रेरणा से जन्मा विचार ही सुन्दर जीवन सफल हो का नारा बुलंद हो गया है।। आवो कदम उठाए बढाये उन्नति के लिए सब कुछ सबक लेकर सड़क सप्ताह मनाया गया,, लक्ष्य से और भारत में सबसे विश्वसनीय सेवा में सर्व श्रेष्ठ सेवाएं हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। ्््््् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 4,,,,,4,,,,2024,,, ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #trafficcongestion  रचना दिनांक ४,,,,४,,,2024,,,
वार,, गुरुवार
समय सुबह पांच बजे
््््््निजविचार ््््
्््््छाया चित्र बहुत सुंदर लगते है कथन सच्चाई यह है,,
कि वह राहगीर और राहगीरों को राह
 दिखाने वाले नगर शहर महानगर में यातायात व्यवस्था नियम और कानून व्यवस्था और नागरिक सम्मान ्््््
््््््
नगर सूरक्षाप्रहरी लगे निरन्तर प्रयास में घटनाओं से अवगत होकर
 दूर्रघटनासे पीड़ित आम नागरिक का जीवन रक्षक प्रणाली सुधार है ।।
यातायात पर गतिरोध दूर हो मुसाफिर पर जिंदगी का रक्षक के भांति सुरक्षा कवच शक्ति सैनिक है आन बान और शान है,,
 मेरास्वाभिमान हिन्दूस्तान है यह मंत्र शक्ति कवच शक्ति ईमानदार अफसर और जवान है।।
बाढ आंधी तुफान प्राकृतिक आपदाओं से सदैव तत्पर चौकस मुस्तैद है ,,
मानवता पर जिंदगी में अर्जुन लक्ष्य है।।

नगर और चौराहे पर सिग्नलों पर निर्भर करता है,,
जीवनसाथी जीवन का परिवार परिचय है 
सूरक्षा है का जीवन रक्षकता में सजग प्रहरी है ।।
रक्षा पंक्ति में भावचित्र खिंचती हुई़ तस्वीर मेरे नगर और 
कस्बे कीमहानगर की ओर हम हमारे साथ सबका साथ सबका विकास,, सहयोग भागीदारी में ही जरुरी है जिन्दगी लाजवाब है।।
 श्रद्धा और आस्था और चिंतन में एक स्वर में यातायात पुलिस 
और प्रशासन कर्त्तव्य परायणता में शंख नाद विगूल फूंक दिया है ।।
हम नागरिकको में भी हो अपने दायित्वों का अहसास हो तो,,
 वह जुनून और प्रेरणा से जन्मा विचार ही सुन्दर जीवन सफल हो का नारा बुलंद हो गया है।।
आवो कदम उठाए बढाये उन्नति के लिए सब कुछ सबक लेकर सड़क सप्ताह मनाया गया,,
 लक्ष्य से और भारत में सबसे विश्वसनीय सेवा में सर्व श्रेष्ठ सेवाएं हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।
््््््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््
4,,,,,4,,,,2024,,,

©Shailendra Anand

#trafficcongestion नगर महानगर और यातायात व्यवस्था और सिग्नल पर ख्यालात अच्छे रहे ्््भावचित्र शीर्षक है फोटू खिंचते हुए ्््््कवि शैलेंद्र आनं

11 Love

#Holi  शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग "
              ................................

मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से
उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...!

थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना..
लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस,
एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान,
तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे..
आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"

शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ

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क्यूँ छीन लेता है, सुहाग स्त्रियों के… हे परमात्मा तू तो दया का सागर है , फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है । क्यूँ छीन लेता है, सुहाग उन स्त्रियों के, जिनका जीवन सही से, शुरू भी नहीं हुआ होता है । अगर नहीं पता तो देख, कभी झाँककर उनके सूने दिल में , फफक-फफककर, रो रातों को , ये कितने तकिये भिगोता है । जो उनके अपने हैं , वो घर बैठें तो नुख़राने लगते हैं , अगर जाये बाहर नौकरी करने, तो आरोप ग़लत लगाने लगते हैं । उनकी चाह सजने-सँवरने की, मन से जैसे मिट-सी जाती है , वो बहुत कुछ रखती हैं अरमान दिल में, मगर बिन साजन कह नहीं पाती हैं । अब वो एक माँ भी हैं , तो टूटा हुआ नहीं देख सकती अपने बच्चों के ह्रदय को , वो दिलाती हैं दिलासा उन्हें, पिता नहीं हैं उनके तो क्या हुआ , माँ के साथ-साथ , वो पिता का भी फ़र्ज़ अदा करेंगी । नहीं हटेंगी पीछे कैसे भी हालात हों, उनकी परवरिश के लिए , वो जीवन की हर चुनौती से लड़ेंगी । माना तू रखता होगा हिसाब-किताब , पिछले जन्म के कर्मों का, लेकिन कैसे करें यक़ीन तुझ पर, तू क्यूँ एक जन्म का हिसाब, उसी जन्म में नहीं करवाता है । हे परमात्मा तू तो दया का सागर है , फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है । ©Ravindra Singh

#विधवानारी #विधवा  क्यूँ छीन लेता है, सुहाग स्त्रियों के…

हे परमात्मा तू तो दया का सागर है ,
फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है ।

क्यूँ छीन लेता है, 
सुहाग उन स्त्रियों के,
जिनका जीवन सही से, 
शुरू भी नहीं हुआ होता है ।

अगर नहीं पता तो देख, 
कभी झाँककर उनके सूने दिल में ,
फफक-फफककर, रो रातों को ,
ये कितने तकिये भिगोता है ।

जो उनके अपने हैं ,
वो घर बैठें तो नुख़राने लगते हैं ,
अगर जाये बाहर नौकरी करने,
तो आरोप ग़लत लगाने लगते हैं ।

उनकी चाह सजने-सँवरने की,
मन से जैसे मिट-सी जाती है ,
वो बहुत कुछ रखती हैं अरमान दिल में,
मगर बिन साजन कह नहीं पाती हैं ।

अब वो एक माँ भी हैं ,
तो टूटा हुआ नहीं देख सकती अपने बच्चों के ह्रदय को ,
वो दिलाती हैं दिलासा उन्हें,
पिता नहीं हैं उनके तो क्या हुआ ,
माँ के साथ-साथ ,
वो पिता का भी फ़र्ज़ अदा करेंगी ।

नहीं हटेंगी पीछे कैसे भी हालात हों,
उनकी परवरिश के लिए ,
वो जीवन की हर चुनौती से लड़ेंगी ।

माना तू रखता होगा हिसाब-किताब , 
पिछले जन्म के कर्मों का,
लेकिन कैसे करें यक़ीन तुझ पर,
तू क्यूँ एक जन्म का हिसाब, 
उसी जन्म में नहीं करवाता है ।

हे परमात्मा तू तो दया का सागर है ,
फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है ।

©Ravindra Singh

#विधवानारी #विधवा ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति

13 Love

ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति की कैंसर से मृत्य

135 View

#मराठीकविता #MarathiKavita #streetgirl #JKpoetess #marathi

#JKpoetess #marathi #MarathiKavita #hungry #streetgirl आज मै अपनी कविता के माध्यम से एक भारतीय स्ट्रीट सर्कस लड़की का दर्द व्यक्त करने

207 View

रचना दिनांक ४,,,,४,,,2024,,, वार,, गुरुवार समय सुबह पांच बजे ््््््निजविचार ्््् ्््््छाया चित्र बहुत सुंदर लगते है कथन सच्चाई यह है,, कि वह राहगीर और राहगीरों को राह दिखाने वाले नगर शहर महानगर में यातायात व्यवस्था नियम और कानून व्यवस्था और नागरिक सम्मान ््््् ्््््् नगर सूरक्षाप्रहरी लगे निरन्तर प्रयास में घटनाओं से अवगत होकर दूर्रघटनासे पीड़ित आम नागरिक का जीवन रक्षक प्रणाली सुधार है ।। यातायात पर गतिरोध दूर हो मुसाफिर पर जिंदगी का रक्षक के भांति सुरक्षा कवच शक्ति सैनिक है आन बान और शान है,, मेरास्वाभिमान हिन्दूस्तान है यह मंत्र शक्ति कवच शक्ति ईमानदार अफसर और जवान है।। बाढ आंधी तुफान प्राकृतिक आपदाओं से सदैव तत्पर चौकस मुस्तैद है ,, मानवता पर जिंदगी में अर्जुन लक्ष्य है।। नगर और चौराहे पर सिग्नलों पर निर्भर करता है,, जीवनसाथी जीवन का परिवार परिचय है सूरक्षा है का जीवन रक्षकता में सजग प्रहरी है ।। रक्षा पंक्ति में भावचित्र खिंचती हुई़ तस्वीर मेरे नगर और कस्बे कीमहानगर की ओर हम हमारे साथ सबका साथ सबका विकास,, सहयोग भागीदारी में ही जरुरी है जिन्दगी लाजवाब है।। श्रद्धा और आस्था और चिंतन में एक स्वर में यातायात पुलिस और प्रशासन कर्त्तव्य परायणता में शंख नाद विगूल फूंक दिया है ।। हम नागरिकको में भी हो अपने दायित्वों का अहसास हो तो,, वह जुनून और प्रेरणा से जन्मा विचार ही सुन्दर जीवन सफल हो का नारा बुलंद हो गया है।। आवो कदम उठाए बढाये उन्नति के लिए सब कुछ सबक लेकर सड़क सप्ताह मनाया गया,, लक्ष्य से और भारत में सबसे विश्वसनीय सेवा में सर्व श्रेष्ठ सेवाएं हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। ्््््् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 4,,,,,4,,,,2024,,, ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #trafficcongestion  रचना दिनांक ४,,,,४,,,2024,,,
वार,, गुरुवार
समय सुबह पांच बजे
््््््निजविचार ््््
्््््छाया चित्र बहुत सुंदर लगते है कथन सच्चाई यह है,,
कि वह राहगीर और राहगीरों को राह
 दिखाने वाले नगर शहर महानगर में यातायात व्यवस्था नियम और कानून व्यवस्था और नागरिक सम्मान ्््््
््््््
नगर सूरक्षाप्रहरी लगे निरन्तर प्रयास में घटनाओं से अवगत होकर
 दूर्रघटनासे पीड़ित आम नागरिक का जीवन रक्षक प्रणाली सुधार है ।।
यातायात पर गतिरोध दूर हो मुसाफिर पर जिंदगी का रक्षक के भांति सुरक्षा कवच शक्ति सैनिक है आन बान और शान है,,
 मेरास्वाभिमान हिन्दूस्तान है यह मंत्र शक्ति कवच शक्ति ईमानदार अफसर और जवान है।।
बाढ आंधी तुफान प्राकृतिक आपदाओं से सदैव तत्पर चौकस मुस्तैद है ,,
मानवता पर जिंदगी में अर्जुन लक्ष्य है।।

नगर और चौराहे पर सिग्नलों पर निर्भर करता है,,
जीवनसाथी जीवन का परिवार परिचय है 
सूरक्षा है का जीवन रक्षकता में सजग प्रहरी है ।।
रक्षा पंक्ति में भावचित्र खिंचती हुई़ तस्वीर मेरे नगर और 
कस्बे कीमहानगर की ओर हम हमारे साथ सबका साथ सबका विकास,, सहयोग भागीदारी में ही जरुरी है जिन्दगी लाजवाब है।।
 श्रद्धा और आस्था और चिंतन में एक स्वर में यातायात पुलिस 
और प्रशासन कर्त्तव्य परायणता में शंख नाद विगूल फूंक दिया है ।।
हम नागरिकको में भी हो अपने दायित्वों का अहसास हो तो,,
 वह जुनून और प्रेरणा से जन्मा विचार ही सुन्दर जीवन सफल हो का नारा बुलंद हो गया है।।
आवो कदम उठाए बढाये उन्नति के लिए सब कुछ सबक लेकर सड़क सप्ताह मनाया गया,,
 लक्ष्य से और भारत में सबसे विश्वसनीय सेवा में सर्व श्रेष्ठ सेवाएं हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।
््््््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््
4,,,,,4,,,,2024,,,

©Shailendra Anand

#trafficcongestion नगर महानगर और यातायात व्यवस्था और सिग्नल पर ख्यालात अच्छे रहे ्््भावचित्र शीर्षक है फोटू खिंचते हुए ्््््कवि शैलेंद्र आनं

11 Love

#Holi  शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग "
              ................................

मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से
उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...!

थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना..
लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस,
एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान,
तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे..
आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"

शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ

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