अक्सर तुम्हारी तारीफ़ में कुछ लिख देता हूं,
तो सुनो...🌹✨
हमारा रिश्ता भी कुछ ऐसा ही है,
जैसे इस फूल और इन बूंदों की...
जब तक ये बूंदे इन "फूलों" पर है
तब तक इसकी खूबसूरती है...
जैसे ही ये बूंदे,
इन फूलों से अलग होती है
अपनी खूबसूरती खो देती है...
लेकिन फूल तब भी खूबसूरत थी
और बुंदे के जाने के बाद भी...
अपनी वजूद किसने खोया... उन बूंदों ने, जो
अपनी बिरादरी से दूर,
फूल कि खूबसूरती को बढ़ाता रहा,
और अंत में मिट्टी में मिलकर रह गया...
और लोग तब भी फूल की तारीफ करते रहे...
अन्यांश तुम्हारा रिश्ता भी कुछ ऐसा ही था...
वो तो फूल तब भी थी और अब भी हैं,
बस तुम "Fool" बनकर रह गए...
©अन्यांश
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