White वो वक्त जो बीत गया।
बचपन वो कितना सुहाना था।
गर्मी की वो रातें, खुले आसमान के नीचे ठिकाना था।
मोबाइल था नहीं, किताबों के बाद विचारों में रहा करते थे।
किसी प्रेमी की याद में चांद को यूं देखा करते थे।
ढूंढते थे वो कबूतर जो हमारा दिले हाल भी कह आए।
सुकून से सोते थे जब जब पुरवाई बह आए।
हाए बड़ा दुख होता है इस आधुनिक जमाने में।
शहरो में आसमां इतना जगमगाए की तारे सारे छुप जाएं।
चांद में भी वो बात ना रही, सबको उसके गढ्ढे नज़र आए।
बदल गई है जीवन सैली, पल पल इंसान बदल जाएं।
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