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New govt diary 7th pay commission Status, Photo, Video

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#diary  शब्दों के उच्चारण से कब शांति मन को मिलती है
ये बात है बस अलबेली सी मस्तानी सी दीवानी सी

©Naushad Nasar

#diary

99 View

ना मीठे हैं ना मीठा बनने की आदत हैं हम तो वो सच हैं ज़ो हमेशा कडवे लगते ©अगबर

#शायरी #diary  ना मीठे हैं ना
मीठा बनने की आदत हैं 
हम तो वो सच हैं ज़ो हमेशा कडवे लगते

©अगबर

#diary

16 Love

#Videos

govt. बालिका स्कूल टपूकड़ा

126 View

#Videos

Google pay sound pod

126 View

#dailycurrentaffairs2024 #Videos

1st-7th of march (weekly current affairs)/#dailycurrentaffairs2024

135 View

#कविता #diary  "कलम"
 मैंने अपने सारे आँसू छुपा रखे अलमारी में। 
तुम भी सुन लो कलम प्यारी हम तुम बिन अंधियारे में।। 
कब सुनोगी दिल की बात प्यास बहुत है आँखों में। 
शब्द बहुत है ज़ख़्मी कहने को क्यों नहीं आ रही झासें में।। 

कलम सुनो तुम बात हमारी मत बैठो बंजारेपन में। 
ऊँगलियां मेरी तड़प रही है बहुत कुछ तुम्हें बतलाने में।। 
पेपर भी तो पड़ा हुआ है सदमा और वीराने में। 
प्यास बुझा दो उसकी तुम लिपट जाओ अक्षर बना दामन में।। 

तोड़ दो मौन आज अपना तुम रच दो इतिहास ज़माने में। 
मत दूरी अपनाओ मुझे से भर लो मुझको झट से बाँहों में।। 
चीख़ रहे हैं अंदर से शब्द पड़े मन के मैखाने में।
तुम्हीं तो हो साथी संगी फ़िर क्यों हो अनजाने में।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"

©Madhu Gupta

#diary

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#diary  शब्दों के उच्चारण से कब शांति मन को मिलती है
ये बात है बस अलबेली सी मस्तानी सी दीवानी सी

©Naushad Nasar

#diary

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ना मीठे हैं ना मीठा बनने की आदत हैं हम तो वो सच हैं ज़ो हमेशा कडवे लगते ©अगबर

#शायरी #diary  ना मीठे हैं ना
मीठा बनने की आदत हैं 
हम तो वो सच हैं ज़ो हमेशा कडवे लगते

©अगबर

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#कविता #diary  "कलम"
 मैंने अपने सारे आँसू छुपा रखे अलमारी में। 
तुम भी सुन लो कलम प्यारी हम तुम बिन अंधियारे में।। 
कब सुनोगी दिल की बात प्यास बहुत है आँखों में। 
शब्द बहुत है ज़ख़्मी कहने को क्यों नहीं आ रही झासें में।। 

कलम सुनो तुम बात हमारी मत बैठो बंजारेपन में। 
ऊँगलियां मेरी तड़प रही है बहुत कुछ तुम्हें बतलाने में।। 
पेपर भी तो पड़ा हुआ है सदमा और वीराने में। 
प्यास बुझा दो उसकी तुम लिपट जाओ अक्षर बना दामन में।। 

तोड़ दो मौन आज अपना तुम रच दो इतिहास ज़माने में। 
मत दूरी अपनाओ मुझे से भर लो मुझको झट से बाँहों में।। 
चीख़ रहे हैं अंदर से शब्द पड़े मन के मैखाने में।
तुम्हीं तो हो साथी संगी फ़िर क्यों हो अनजाने में।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"

©Madhu Gupta

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