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#Bhakti

Alok yadav

54 View

#दर्दों_का_अपना_आलम  दर्दों का अपना आलम  है 
कब मिल जायें पता नहीं...
कहने को तो सब ही अपने है 
कौन है अपना पता नहीं...
अजी जुड़ता जिससे भी यारों 
अलग ही रूप दिखाता है ...
सच -बोलूँ तो ऐ यार मेरे अब 
समझ ना हमको आता है....
देखता हूँ जो अजब- नजारा 
अजी दम ये घुटता जाता है...
अजी होता क्यों ये साथ ओ मेरे 
इसका तो हमको पता नहीं....
इक तुम हो बेहतर मान लिया है 
मैं क्या हूँ? इसका पता नहीं.....
अजी किये तो होंगें कुछ ओ गलत 
जो हमको है यारों पता नहीं....
अरे- तेरा क्या है?? यार बता अब 
सब ही यही धरा रह जाएगा...
जो रहता नित नित साथ तेरे है 
वो फिर शून्य यार हो जाएगा.....

©ANOOP PANDEY

आज- चला जो गांव के रस्ते याद बहुत कुछ आया है..... देख पुरानी सड़कों को अब अजी मन मेरा मुस्काया है... इक ही पल में भान हो आया अजी इन पे कितना दौड़े है... बचपन से जो दौड़ भी लगाई उसे अब तक ना ही रोके है... अजी भूल नहीं सकते है यारों उन खट्टी मीठी सी यादों को... अजी बेफिक्री में जिये जो यारों बेहद- अनमोल से लम्हों को.. नहीं पता है ये शहर की गालियाँ अजी कहाँ को लेकर जायेंगी... लेकिन यारों यह हमको पता है ये वो सुकून दिला ना पायेंगी.... ©ANOOP PANDEY

#गाँव  आज- चला जो गांव के रस्ते 
याद बहुत कुछ आया है.....
देख पुरानी सड़कों को अब 
अजी मन मेरा मुस्काया है...
इक ही पल में भान हो आया 
अजी इन पे कितना दौड़े है...
बचपन से जो दौड़ भी लगाई 
उसे अब तक ना ही रोके है...
अजी भूल नहीं सकते है यारों 
उन खट्टी मीठी सी यादों को...
अजी बेफिक्री में जिये जो यारों 
बेहद- अनमोल से लम्हों को..
नहीं पता है ये शहर की गालियाँ 
अजी कहाँ को लेकर जायेंगी...
लेकिन यारों  यह हमको पता है 
ये वो सुकून दिला ना पायेंगी....

©ANOOP PANDEY
#चंद्र_और_सूर्य  अरे देख जमाने की फितरत को 
अब हमनें इतना जान लिया.....
अजी डबल फेस वाले नागों को 
अब खुलेआम पहचान लिया....
अजी कुछ होते है कुछ है दिखाते 
बस -उनकी यही कहानी  है.....
अरे देख के उनकी अजब कहानी 
पल -पल ही मैं मुस्काता  हूँ ......
अजी नहीं हूँ कहता उनसे कुछ भी 
बस -मुस्काकर रह जाता हूँ.......
अरे समझ रहे जो खुद को श्याना 
अजी सोचा थोड़ा बतला दूँ ......
गर जो आया मैं ओ यार खुदी पर 
तो फिर कुछ भी कर जाऊँगा.....
तुम जो- जो भी हो उपहास बनाते  
मैं विकराल रूप दिखलाऊँगा.....
बस  इसी लियॆ मैं कहता हूँ तुमसे 
कि सोये इंसा को मत ही छेड़ो....
गर- कोई जो है यदि शीतलता मैं 
उसे चिंगारी तरफ ना ही ठेलो....
गर -चिंगारी जो है आग पकड़ ली 
फिर- खाक में तुम्हें मिलाएगी......
अजी -बना हुआ जो नाम तुम्हारा 
सब ही मिट्टी में मिल जाएगा.......
जिसको समझें हो चंद्र सा शीतल 
वो सूर्य नजर फिर आयेगा.........

©ANOOP PANDEY
#Bhakti

Alok yadav

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#दर्दों_का_अपना_आलम  दर्दों का अपना आलम  है 
कब मिल जायें पता नहीं...
कहने को तो सब ही अपने है 
कौन है अपना पता नहीं...
अजी जुड़ता जिससे भी यारों 
अलग ही रूप दिखाता है ...
सच -बोलूँ तो ऐ यार मेरे अब 
समझ ना हमको आता है....
देखता हूँ जो अजब- नजारा 
अजी दम ये घुटता जाता है...
अजी होता क्यों ये साथ ओ मेरे 
इसका तो हमको पता नहीं....
इक तुम हो बेहतर मान लिया है 
मैं क्या हूँ? इसका पता नहीं.....
अजी किये तो होंगें कुछ ओ गलत 
जो हमको है यारों पता नहीं....
अरे- तेरा क्या है?? यार बता अब 
सब ही यही धरा रह जाएगा...
जो रहता नित नित साथ तेरे है 
वो फिर शून्य यार हो जाएगा.....

©ANOOP PANDEY

आज- चला जो गांव के रस्ते याद बहुत कुछ आया है..... देख पुरानी सड़कों को अब अजी मन मेरा मुस्काया है... इक ही पल में भान हो आया अजी इन पे कितना दौड़े है... बचपन से जो दौड़ भी लगाई उसे अब तक ना ही रोके है... अजी भूल नहीं सकते है यारों उन खट्टी मीठी सी यादों को... अजी बेफिक्री में जिये जो यारों बेहद- अनमोल से लम्हों को.. नहीं पता है ये शहर की गालियाँ अजी कहाँ को लेकर जायेंगी... लेकिन यारों यह हमको पता है ये वो सुकून दिला ना पायेंगी.... ©ANOOP PANDEY

#गाँव  आज- चला जो गांव के रस्ते 
याद बहुत कुछ आया है.....
देख पुरानी सड़कों को अब 
अजी मन मेरा मुस्काया है...
इक ही पल में भान हो आया 
अजी इन पे कितना दौड़े है...
बचपन से जो दौड़ भी लगाई 
उसे अब तक ना ही रोके है...
अजी भूल नहीं सकते है यारों 
उन खट्टी मीठी सी यादों को...
अजी बेफिक्री में जिये जो यारों 
बेहद- अनमोल से लम्हों को..
नहीं पता है ये शहर की गालियाँ 
अजी कहाँ को लेकर जायेंगी...
लेकिन यारों  यह हमको पता है 
ये वो सुकून दिला ना पायेंगी....

©ANOOP PANDEY
#चंद्र_और_सूर्य  अरे देख जमाने की फितरत को 
अब हमनें इतना जान लिया.....
अजी डबल फेस वाले नागों को 
अब खुलेआम पहचान लिया....
अजी कुछ होते है कुछ है दिखाते 
बस -उनकी यही कहानी  है.....
अरे देख के उनकी अजब कहानी 
पल -पल ही मैं मुस्काता  हूँ ......
अजी नहीं हूँ कहता उनसे कुछ भी 
बस -मुस्काकर रह जाता हूँ.......
अरे समझ रहे जो खुद को श्याना 
अजी सोचा थोड़ा बतला दूँ ......
गर जो आया मैं ओ यार खुदी पर 
तो फिर कुछ भी कर जाऊँगा.....
तुम जो- जो भी हो उपहास बनाते  
मैं विकराल रूप दिखलाऊँगा.....
बस  इसी लियॆ मैं कहता हूँ तुमसे 
कि सोये इंसा को मत ही छेड़ो....
गर- कोई जो है यदि शीतलता मैं 
उसे चिंगारी तरफ ना ही ठेलो....
गर -चिंगारी जो है आग पकड़ ली 
फिर- खाक में तुम्हें मिलाएगी......
अजी -बना हुआ जो नाम तुम्हारा 
सब ही मिट्टी में मिल जाएगा.......
जिसको समझें हो चंद्र सा शीतल 
वो सूर्य नजर फिर आयेगा.........

©ANOOP PANDEY
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