बस वक्त बदला है मैं नहीं बदला,
बहता है अब भी वही
तन में लहू
निकलती है वही ज्वाला,
धधकती है वही अग्नि!!
बदला है तो बस एक अंदाज़,
पहले मैं हवा था,
अब तूफान होना है,
अपनी ही जमीं का आसमान होना है!!
वही लहजा वही हरकत,
तरीका गुफ्तगू का वही,
बस महफिलें बदल गईं हैं,
लेकिन तन पर अभी तक लिबाज़ वही है,
वही शौक वही बात ख्याल वही हैं,
बदला है तो केवल एक नज़रिया मेरा,
बाकी लोगों के बीच
अहबाब वही हैं।
कुछ न बदले हुए भी
सब बदला हुआ है
नवीन जन्म कह सकते हो
पर नव युग की यही आवश्यकता है।
(तान्या) 30 मार्च 2024
©Lamha
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