आंगन का पहला कदम ... पता नही कब आखरी कदम बन के विदा हो जाता है,
पहला कदम खुशी में भावुक कर देता है तो आखरी कदम गम में रुला जाता है,
एक फूल ....जो खिला था किसी के बगीचे में
जिसे संवारा था माली (पिता) ने हर मौसम में...
आखिर में उसे अपना बाग(मायका) छोड़ किसी और गुलिस्तान(ससुराल) में सजा दिया जाता है ।
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here