क्या अजीब दास्तां है कोई पाल कर जी रहा है तो कोई जी कर पाल रहा है, ये सक भी न कितना अजीब है खुद को सही तो दूसरों को गलत बता रहा है! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramki.
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