नहाकै ,आकै सिगरण लागी
चुटकी, बिछुएं ,पायल, पहरे पहर लिये पगपान
कडी टणका छैल कडे था नेवरी पाती पर ध्यान
झाझन और कडुले पहरे शोभा बनगी बेअनुमान
मगजी ऊपर पायपीन गोटा का किनारा चमकै
लाल लामन लगी हुई रंग रंगीला न्यारा चमकै
काला दामन पहर रही सारा प्यारा प्यारा चमकै
घटा जैसे सामण मै छागी
तागड़ी का गुच्छा सटका चाल म्ह झंकारा लागै
झब्बेदार नाडा , कमरबंध का चमकारा लागै
नौ डांडी का बाजना जो बाजता भी प्यारा लागै
कुर्ता कुर्ति आंगी चोली का रंग गजब घाल रहा
गलसरी, कंढी,गल पटटी जुगनी का धमाल रहा
हंसली पतरी हार झालरा हमेल का कमाल रहा
कई माला थी मन को भागी
अंगूठी,वींटी,मूंदडी थे छाप और हथफूल पाती
छन्न कडे़,छन्न पछेल्ली ,गजरा गोखरु करामाती
चूडी,,चूडामणि कंगन फूंदा ,पौंची मन को भाती
डंडे बाली झुमकी लटकै जो कानों का है सिंगार
नाक में नथनी सजाई मुखड़ा चंदा सी उनिहार
ठीक बीच में टिकी आई काली भोहे बनी कटार
केश थे काले मांग जमागी
छाज ,बोरला,राखडी सिंगार पट्टी लग रही प्यारी
सितारे भी करै पलापल सिर क ऊपर चीर हजारी
काले सैंडल पहर लिए पनघट की करली तैयारी
सिर के ऊपर दौघड़ धरी हाथ के में लिया डोल
केले कैसा गात लरजता पैरों मै बजती रमझोल
अशोक कुमार जाखड़ जो मर्द देखता रहा बोल
कोई हूर स्वर्ग की धरा पै आगी
©Anand Kumar Ashodhiya
Haryanvi Ragni by Ashok Jakhad