कभी कभी भाग जाने का मन करता है,
कहीं दूर ……
क्षितिज से भी पार,
बस इतना दूर,
ये अंतर्मन की ज्योति बुझती नहीं,
एक तुम्हारी मुस्कुराहट,
बाकी इस शहर में मुझे लुभाता कुछ भी नहीं।
©Bhanu Priya
कभी कभी भाग जाने का मन करता हैं,
कहीं दूर ……
क्षितिज से भी पार,बस इतना दूर,
ये अंतर्मन की ज्योति बुझती नहीं,