हरा रंग _________ यूं तो दुनियां में रंग ह | हिंदी कविता

"हरा रंग _________ यूं तो दुनियां में रंग हजार है पर मुझे वो हरा रंग बहुत पसंद है। जो उन पेड़ों की पत्तियों का होता है हर पल हमें तरोताजा करने वाला जैसे अभी- अभी उन्होंने वो रंग पाया हो एक दम उजला, गहरा हरा जैसे दे रहे हो कोई संदेश हमें उन्हें बढ़ते रहने देने का पुकार रहे हो जैसे हमें खुद से प्रेम करने के लिए हवा में लहलहाते उनके पत्ते तो देखो और उन पत्तों की आवाज जैसे कोई नई राग हमें सुनते हो और दिखा रहे हो एक नई नृत्य शैली एक मौसम के बाद फिर झड़ जाना और फिर नव पल्लवित हो कर उभरना जैसे जीवन के सत्य से अवगत करवाते हो हमें जैसे कहते हो जीवन के बाद मरण और फिर नव अंकुरण इनकी बेफिक्री को तो देखो जैसे सिर्फ जीवन जीना इन्हें हो आता हो और सच भी तो है ये जीते तो ये है, हम तो जीवन काटते है खुद जीना और दूसरो को जीवन देना यही तो इनका मकसद रहा है इंसानों की तरह मतलबी थोड़े ही है ये एक पल रुको देखो तो इन्हें कितने प्यारे है ये । ©KAVYaKLPNA"

 हरा रंग
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यूं तो दुनियां में रंग हजार है                                 
पर मुझे वो हरा रंग बहुत पसंद है।     
जो उन पेड़ों की पत्तियों का होता है
हर पल हमें तरोताजा करने वाला 
जैसे अभी- अभी उन्होंने वो रंग पाया हो 
एक दम उजला, गहरा हरा 
जैसे दे रहे हो कोई संदेश हमें
उन्हें बढ़ते रहने देने का 
पुकार रहे हो जैसे हमें
खुद से प्रेम करने के लिए 
हवा में लहलहाते उनके पत्ते तो देखो 
और उन पत्तों की आवाज 
जैसे कोई नई राग हमें सुनते हो 
और दिखा रहे हो एक नई नृत्य शैली
एक मौसम के बाद फिर झड़ जाना 
और फिर नव पल्लवित हो कर उभरना
जैसे जीवन के सत्य से अवगत करवाते हो हमें 
जैसे कहते हो जीवन के बाद मरण 
और फिर नव अंकुरण
इनकी बेफिक्री को तो देखो 
जैसे सिर्फ जीवन जीना इन्हें हो आता हो 
और सच भी तो है ये 
जीते तो ये है, हम तो जीवन काटते है
खुद जीना और दूसरो को जीवन देना 
यही तो इनका मकसद रहा है 
इंसानों की तरह मतलबी थोड़े ही है ये 
एक पल रुको देखो तो इन्हें
कितने प्यारे है ये ।

©KAVYaKLPNA

हरा रंग _________ यूं तो दुनियां में रंग हजार है पर मुझे वो हरा रंग बहुत पसंद है। जो उन पेड़ों की पत्तियों का होता है हर पल हमें तरोताजा करने वाला जैसे अभी- अभी उन्होंने वो रंग पाया हो एक दम उजला, गहरा हरा जैसे दे रहे हो कोई संदेश हमें उन्हें बढ़ते रहने देने का पुकार रहे हो जैसे हमें खुद से प्रेम करने के लिए हवा में लहलहाते उनके पत्ते तो देखो और उन पत्तों की आवाज जैसे कोई नई राग हमें सुनते हो और दिखा रहे हो एक नई नृत्य शैली एक मौसम के बाद फिर झड़ जाना और फिर नव पल्लवित हो कर उभरना जैसे जीवन के सत्य से अवगत करवाते हो हमें जैसे कहते हो जीवन के बाद मरण और फिर नव अंकुरण इनकी बेफिक्री को तो देखो जैसे सिर्फ जीवन जीना इन्हें हो आता हो और सच भी तो है ये जीते तो ये है, हम तो जीवन काटते है खुद जीना और दूसरो को जीवन देना यही तो इनका मकसद रहा है इंसानों की तरह मतलबी थोड़े ही है ये एक पल रुको देखो तो इन्हें कितने प्यारे है ये । ©KAVYaKLPNA

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#NatureLove @SHAYAR (RK) अब्र The Imperfect @Dard मरजानो_मनोजियो (The GamePlanner) @Anupriya

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