"नवीन रुत की घटा छिड़ी
सब ग्वाले बाले नाच रहे
बंसी से मधुर सी तान छिड़ी
सब कृष्ण के रंग भीग रहे
बारिश की बूंदे तितर बितर
धरती को गले लगाती है
और भीनी भीनी खुशबू से
सारे जग को महकाती है
ऐसा मनोरम दृश्य देख
नयन हर्षित हो जाते है
भरत भूमि पर जन्म लिया
ये सोच सोच इतराते है
ये सोच सोच इतराते है
©Aashish Vyas"