पैरों के चन्द आबलों से अगर घबराता मैं,
तो शायद मुहब्बत की राह ना अपनाता मैं!
किसी पे मरने को ज़िन्दगी ना समझता फिर,
इश्क़ का फलसफा मुझे खाँम ही लगता फिर!
तुम अगर नाज़ुक हो तो इसरार नही चलने का साथ,
भूल जाओ के हमारे दरमियाँ थी कोई बात!
मैने तुम को चाह कर आज़ादे बंदिश कर दिया,
और उस बंदिश में ख़ुद को कैद भी है कर लिया!
अब यही ग़म है, ख़ुशी भी है इसी फरियाद में,
उम्र सारी काटनी है अब तुम्हारी याद में!
#bandish