#Labour_Day मुश्किल तमाम ज़िन्दगी में बादस्तूर है। | हिंदी शायरी

"#Labour_Day मुश्किल तमाम ज़िन्दगी में बादस्तूर है। मजदूर, मजदूर दिवस पे भी मजबूर है। ख़्वाहिश तमाम देखो हैं काँच की बनी। हर ख़्वाब हो चुका अब तो चकनाचूर है। ज़िन्दगी है ख़ास बस रोटी की तलाश। पापी पेट का होना भी साहब कुसूर है। सफ़र बहुत है लम्बा मुश्किल से भरा। हैं रास्ते पथरीले और मंज़िल भी दूर है। क़िस्मत बड़ी काली, खाली रही थाली। खाना भी कहाँ 'वीरेन' मिला भरपूर हैं। 🌹VरेN🌹 @alfaz_e_viren"

 #Labour_Day मुश्किल तमाम ज़िन्दगी में बादस्तूर है।
मजदूर, मजदूर दिवस पे भी मजबूर है।

ख़्वाहिश तमाम देखो हैं काँच की बनी।
हर ख़्वाब हो चुका अब तो चकनाचूर है।

ज़िन्दगी है ख़ास बस रोटी की तलाश।
पापी पेट का होना भी साहब कुसूर है।

सफ़र बहुत है लम्बा मुश्किल से भरा।
हैं रास्ते पथरीले और मंज़िल भी दूर है।

क़िस्मत बड़ी काली, खाली रही थाली।
खाना भी कहाँ 'वीरेन' मिला भरपूर हैं।
🌹VरेN🌹
@alfaz_e_viren

#Labour_Day मुश्किल तमाम ज़िन्दगी में बादस्तूर है। मजदूर, मजदूर दिवस पे भी मजबूर है। ख़्वाहिश तमाम देखो हैं काँच की बनी। हर ख़्वाब हो चुका अब तो चकनाचूर है। ज़िन्दगी है ख़ास बस रोटी की तलाश। पापी पेट का होना भी साहब कुसूर है। सफ़र बहुत है लम्बा मुश्किल से भरा। हैं रास्ते पथरीले और मंज़िल भी दूर है। क़िस्मत बड़ी काली, खाली रही थाली। खाना भी कहाँ 'वीरेन' मिला भरपूर हैं। 🌹VरेN🌹 @alfaz_e_viren

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