White बड़ी खामोशी से तुम भी
देख रही थी चांद मेने देखा
क्या मालूम है तुमको ये
क्यू खामोश चमक रहा है
अकेला तारो के साथ में
इसको भी अपनी चांदनी
की याद सता रही हैं
क्युकी चांद की दुल्हन भी
बच्चो को लेकर नानी के गई हैं छुट्टियों में
समझी मेरी बात तुम कब आ रही हो घर !
गुमनाम शायर
©Poet Kuldeep Singh Ruhela
# बड़ी खामोशी से तुम भी
देख रही थी चांद मेने देखा
क्या मालूम है तुमको ये
क्यू खामोश चमक रहा है
अकेला तारो के साथ में
इसको भी अपनी चांदनी
की याद सता रही हैं
क्युकी चांद की दुल्हन भी