जीत देखी हार देखी,
वक्त की रफ़्तार देखी,
सत्य को ख़ामोश पाया,
झूठ की दस्तार देखी,
मुल्क ने नुक़सान देखे,
खनकती तलवार देखी,
वोट के रहमोकरम पर,
मुकम्मिल सरकार देखी,
दौर-ए-उल्फ़त बेक़रारी,
रहगुज़र गुलज़ार देखी,
नाव दरिया पार करते,
धड़कनें दुश्वार देखी,
नज़र में इक़रार देखा,
अधर पर इन्कार देखी,
फ़रेबी अन्दाज 'गुंजन',
हाथ में कटार देखी,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
प्रयागराज उ•प्र•
©Shashi Bhushan Mishra
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