Shashi Bhushan Mishra

Shashi Bhushan Mishra

I am a science graduate from UP. currently working in an Indian multinational pharma company as Sr RBM. I love poetry. I write poems and Gazals.

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सुपुर्द-ए-ख़ाक करके आ गया हूँ, अना को राख करके आ गया हूँ, हुआ ग़ुरबत में दिल का हाल ऐसा, जिग़र को चाक करके आ गया हूँ, जहालत ने किया है ज़िस्म छलनी, नसीहत ताक करके आ गया हूँ, चमन के फूल से दामन बचाकर, बुराई थाक करके आ गया हूँ, धुआँ से घुट न जाए दम मुसाफ़िर, चिलम सा नाक करके आ गया हूँ, घटक दल की कई मज़बूरियाँ थीं, शज़र को शाख करके आ गया हूँ, भला 'गुंजन' करे क्या बे-खुदी में, भरे को हाफ़ करके आ गया हूँ, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #आ  सुपुर्द-ए-ख़ाक  करके आ गया हूँ, 
अना को  राख  करके आ गया हूँ,

हुआ ग़ुरबत में दिल का हाल ऐसा, 
जिग़र को चाक करके आ गया हूँ,

जहालत ने किया है ज़िस्म छलनी, 
नसीहत  ताक  करके  आ गया हूँ,

चमन के फूल  से  दामन बचाकर, 
बुराई   थाक  करके  आ  गया हूँ,

धुआँ से घुट न जाए दम मुसाफ़िर, 
चिलम सा नाक करके आ गया हूँ,

घटक दल की कई मज़बूरियाँ थीं,
शज़र को शाख करके आ गया हूँ,

भला 'गुंजन' करे क्या बे-खुदी में, 
भरे को  हाफ़  करके  आ गया हूँ,
     --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
           समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#आ गया हूँ#

10 Love

प्यास को अपनी पहचानो, पहले जानो फिर मानो, अनुभव का भंडार भरो, ख़ाक जगत में मत छानो, चखो पुष्प से रस भँवरे सा, ख़ुशियों की चादर तानो, बनते बिगड़े काम सभी, राम नाम भज दीवानों, खोकर ख़ुद को क्या पाया, साथ गया क्या धनवानों, थोड़े दिन का सैर-सपाटा, समझो जग के मेहमानों, खाली हाथ विदाई 'गुंजन', रार जगत से मत ठानों, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #प्यास  प्यास को अपनी पहचानो, 
पहले  जानो  फिर   मानो,

अनुभव  का  भंडार भरो, 
ख़ाक जगत में मत छानो,

चखो पुष्प से रस भँवरे सा,
ख़ुशियों  की  चादर  तानो,

बनते  बिगड़े  काम  सभी, 
राम  नाम   भज   दीवानों,

खोकर ख़ुद को क्या पाया,
साथ  गया  क्या  धनवानों,

थोड़े दिन का सैर-सपाटा, 
समझो जग  के मेहमानों,

खाली हाथ विदाई 'गुंजन',
रार  जगत  से  मत  ठानों,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#प्यास को अपनी पहचानो#

11 Love

आँखों में बरसात, कट जायेगी रात, होठों पर मुस्कान, भीगे हैं जज़्बात, प्राणों में हलचल, बैठे पकड़े गात, मनुआँ उठे तरंग, हियरा डोले पात, अधरों पर अटकी, किससे बोलूँ बात, बची नहीं उम्मीद, पाकर ऐसी मात, 'गुंजन' को विश्वास, होंगे अच्छे हालात, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #कट  आँखों में बरसात, 
कट जायेगी  रात,

होठों पर मुस्कान, 
भीगे  हैं  जज़्बात,

प्राणों में  हलचल, 
बैठे   पकड़े  गात,

मनुआँ  उठे तरंग, 
हियरा डोले  पात,

अधरों पर अटकी, 
किससे बोलूँ बात,

बची नहीं  उम्मीद, 
पाकर  ऐसी मात,

'गुंजन' को विश्वास, 
होंगे अच्छे हालात,
--शशि भूषण मिश्र 
  'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#कट जायेगी रात#

12 Love

हवा का रुख ना पढ़ पाए, भितरघात ना सह पाए, था अभिमान बाजुओं पर, दरिया पार न कर पाए, बैठ गया किस करवट ऊँट, बात न क़ब्ल समझ पाए, कश्ती में थे छिद्र बहुत, साहिल तलक न बह पाए, शर्त जीतकर खुश नाविक, व्याकुल घटक न रह पाए, गौरव गाथा विपरीत राग, साधे बिन लक्ष्य स्वत: पाए, रहबर का साथ मिला गुंजन, जयघोष देश का कह पाए, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #जयघोष  हवा का रुख ना पढ़ पाए, 
भितरघात  ना  सह  पाए,

था अभिमान बाजुओं पर, 
दरिया  पार  न  कर  पाए,

बैठ गया किस करवट ऊँट, 
बात  न क़ब्ल  समझ पाए,

कश्ती  में  थे   छिद्र  बहुत, 
साहिल तलक न  बह पाए,

शर्त जीतकर खुश नाविक, 
व्याकुल घटक न  रह पाए,

गौरव गाथा  विपरीत  राग, 
साधे बिन लक्ष्य स्वत: पाए,

रहबर का साथ मिला गुंजन, 
जयघोष देश का  कह पाए,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#जयघोष देश का कह पाए#

10 Love

जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #जी  जी-हुजूरी कब तलक, 
बे-श'ऊरी कब तलक,

इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, 
हमसे दूरी कब तलक,

बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, 
बे-क़रारी कब तलक,

रहनुमा गुमराह क्यों, 
बे-हयाई कब तलक,

हाथ में  खंज़र छिपा, 
आशनाई कब तलक,

रहगुज़र अच्छी नहीं, 
इंतिहाई कब तलक,

जब उम्मीदें ना बची, 
इंतज़ारी कब तलक,

हो अगर मंज़िल ज़ुदा, 
रहनुमाई  कब तलक,

मची 'गुंजन'खींच तान, 
दुनियादारी कब तलक, 
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जी-हुजूरी कब तलक#

14 Love

जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #जी  जी-हुजूरी कब तलक, 
बे-श'ऊरी कब तलक,

इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, 
हमसे दूरी कब तलक,

बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, 
बे-क़रारी कब तलक,

रहनुमा गुमराह क्यों, 
बे-हयाई कब तलक,

हाथ में  खंज़र छिपा, 
आशनाई कब तलक,

रहगुज़र अच्छी नहीं, 
इंतिहाई कब तलक,

जब उम्मीदें ना बची, 
इंतज़ारी कब तलक,

हो अगर मंज़िल ज़ुदा, 
रहनुमाई  कब तलक,

मची 'गुंजन'खींच तान, 
दुनियादारी कब तलक, 
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जी हुज़ूरी कब तलक#

10 Love

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