प्यास को अपनी पहचानो, पहले जानो फिर मानो, अन | हिंदी कविता

"प्यास को अपनी पहचानो, पहले जानो फिर मानो, अनुभव का भंडार भरो, ख़ाक जगत में मत छानो, चखो पुष्प से रस भँवरे सा, ख़ुशियों की चादर तानो, बनते बिगड़े काम सभी, राम नाम भज दीवानों, खोकर ख़ुद को क्या पाया, साथ गया क्या धनवानों, थोड़े दिन का सैर-सपाटा, समझो जग के मेहमानों, खाली हाथ विदाई 'गुंजन', रार जगत से मत ठानों, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra"

 प्यास को अपनी पहचानो, 
पहले  जानो  फिर   मानो,

अनुभव  का  भंडार भरो, 
ख़ाक जगत में मत छानो,

चखो पुष्प से रस भँवरे सा,
ख़ुशियों  की  चादर  तानो,

बनते  बिगड़े  काम  सभी, 
राम  नाम   भज   दीवानों,

खोकर ख़ुद को क्या पाया,
साथ  गया  क्या  धनवानों,

थोड़े दिन का सैर-सपाटा, 
समझो जग  के मेहमानों,

खाली हाथ विदाई 'गुंजन',
रार  जगत  से  मत  ठानों,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

प्यास को अपनी पहचानो, पहले जानो फिर मानो, अनुभव का भंडार भरो, ख़ाक जगत में मत छानो, चखो पुष्प से रस भँवरे सा, ख़ुशियों की चादर तानो, बनते बिगड़े काम सभी, राम नाम भज दीवानों, खोकर ख़ुद को क्या पाया, साथ गया क्या धनवानों, थोड़े दिन का सैर-सपाटा, समझो जग के मेहमानों, खाली हाथ विदाई 'गुंजन', रार जगत से मत ठानों, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#प्यास को अपनी पहचानो#

People who shared love close

More like this

Trending Topic