गाली पुरुष को लगता है कि गाली उसके पुरूष होने का ए | हिंदी Poetry

"गाली पुरुष को लगता है कि गाली उसके पुरूष होने का एक पहचान पत्र है उसकी मर्दानगी है एक औरत के नाम पर दी गाली में वो अपना पौरूषार्थ समझता है माँ - बहन की गालियों को वो अपने गुस्से का सुकून समझता है वो देता है......... औरत के उस हिस्से को गाली जिस हिस्से से वो दुनिया में आता है और अपना वंश बढ़ाता है ©Harpinder Kaur"

 गाली
पुरुष को लगता है कि
गाली उसके पुरूष होने का एक पहचान पत्र है
उसकी मर्दानगी है 
एक औरत के नाम पर दी गाली में
वो अपना पौरूषार्थ समझता है
माँ - बहन की गालियों को
वो अपने गुस्से का सुकून समझता है
वो देता है.........
औरत के उस हिस्से को गाली 
जिस हिस्से से वो दुनिया में आता है
और अपना वंश बढ़ाता है

©Harpinder Kaur

गाली पुरुष को लगता है कि गाली उसके पुरूष होने का एक पहचान पत्र है उसकी मर्दानगी है एक औरत के नाम पर दी गाली में वो अपना पौरूषार्थ समझता है माँ - बहन की गालियों को वो अपने गुस्से का सुकून समझता है वो देता है......... औरत के उस हिस्से को गाली जिस हिस्से से वो दुनिया में आता है और अपना वंश बढ़ाता है ©Harpinder Kaur

# भाग -1 ..... ✍️

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